उत्तराखंड में लगातार अवैध कब्जे और जमीन से जुड़े घोटालों के मामले सामने आते रहे हैं। इन घोटालों में कहीं ना कहीं सरकार या सरकार में बैठे अधिकारियों की मिलीभगत पाई जाती है।
ताजा मामला आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा लगभग 40 बीघा जमीन को खुर्दबुर्द करने से जुड़ा है। जहां आपदा प्रबंधन विभाग की 40 बीघा जमीन पर अवैध निर्माण कर दिया गया।
जानिए पुरा मामला
आपदा प्रबंधन विभाग को वर्ष 2011 में 70 बीघा (5.29 हे०) भूमि झाझरा सुद्धोवाला में आबंटित की गयी थी, जिसमें से 10 बीघा भूमि आपदा प्रबंधन विभाग ने NDRF (National Disaster Response Force) को हस्तांतरित कर दी थी और शेष 60 बीघा भूमि अपने पास रखी थी।
शेष बची 60 बीघा भूमि में से लगभग 40 बीघा भूमि पर इन 11 वर्षों में लोगों ने अवैध कब्ज़ा करके अवैध निर्माण कर दिये हैं, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग मूकदर्शक बने रहे।आपदा विभाग द्वारा इन 11 वर्षों में इस भूमि का किसी भी प्रकार से कोई उपयोग नहीं किया गया।
आपदा प्रबंधन विभाग को आबंटित इस भूमि पर अभी भी लगातार अवैध कब्जे हो रहे हैं और लोगों द्वारा इस भूमि पर अपने निजी आवास बना लिये गये हैं, ये सभी आवास भूमि आबंटन के बाद बनाए गये हैं।
सवाल यह है कि सरकारी भूमि पर निजी आवास कैसे बना दिये गये!
आपदा प्रबंधन विभाग ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं की!
इस भूमि पर लोगों द्वारा अवैध प्लॉटिंग भी की गयी है जिसमें लोगों ने अपने अपने कब्जा किये गये प्लॉट पर सीमेंटेड पुस्ता भी बना लिया हैं।
इस भूमि पर अवैध कब्ज़ा करके एक गैस एजेंसी का गोदाम भी बनाया गया है।इस भूमि पर एक निजी बोरवेल भी खुदवाया गया है जिसमें सबमर्सिबल पंप लगाकर पानी की सप्लाई की जा रही है।
बड़ा सवाल यहां यह है कि आखिर सरकारी भूमि पर बिना अनुमति के बोरवेल कैसे खुदवा दिया गया, आपदा प्रबंधन विभाग ने इसमें आपत्ति क्यों नहीं की!
जांच का एक बड़ा विषय यह बनता है कि सरकारी भूमि को खुर्द बुर्द करने और इसमें अवैध कब्ज़ा करवाने में आपदा प्रबंधन विभाग और राजस्व विभाग के कौन कौन से अधिकारी और कर्मचारी सम्मिलित हैं, किस लालच में इस भूमि पर अवैध कब्ज़ा और अवैध निर्माण करने की मूकसहमती प्रदान की गयी!
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रविन्द्र जुगरान ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करके उन्हें आपदा प्रबन्धन विभाग में हुये बड़े जमीन घोटाले की आशंका की शिकायत करते हुये इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच की मांग की है।जिसपर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी जांच मुख्य सचिव को सौंप दी।