कृष्णा बिष्ट
एक तरफ सरकार शिक्षा की दिशा और दशा सुधारने के लिए जिम्मेदारी का बखान करते नहीं थकती वहीं विद्यालयों को शिक्षकों से खाली कराने पर तुली हुई है। हाल ही में सरकार ने सहायक अध्यापिका तबिंदा अली को सहायक नगर आयुक्त के पद पर प्रतिनियुक्ति पर 3 साल के लिए भेज दिया है। जबकि सरकार बार बार गोदी मीडिया मे खबरें प्लांट कराती है कि शिक्षा विभाग मे प्रतिनियुक्ति खतम कर दी गयी है।
अगर शिक्षा विभाग मे प्रतिनियुक्ति खतम हो गई है तो फिर यह आदेश क्यों जारी कर दिया !
ताबिंदा अली राजकीय इंटर कॉलेज हमीरा वाला विकासखंड जसपुर (उधम सिंह नगर) में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात थी। इन्हें अब सहायक नगर आयुक्त के पद पर नगर निगम काशीपुर उधम सिंह नगर में 3 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर दिया गया है।
अहम सवाल यह है कि जो विषय श्रीमती तबिंदा अली पढ़ाती थी, आखिर उस विषय को इस इंटर कॉलेज में कौन पढ़ाएगा !
सरकार अपने चहेतों को आराम की नौकरी कराने के लिए एक भी बार यह नहीं सोचती कि इससे बच्चों के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा !
यह आदेश पंचायत चुनाव की आचार संहिता के दिन अर्थात 13 सितंबर को ही जारी किया गया है।
जाहिर है कि सरकार के इस कदम से ताबिंदा अली को आराम की नौकरी तो नसीब हो जाएगी और तबिंदा अली के बच्चे की शायद थोड़ा सा मां का ध्यान प्राप्त कर लेंगे लेकिन आखिर राजकीय इंटर कॉलेज हमीरा वाला विकास खंड जसपुर उधम सिंह नगर के सैकड़ों छात्रों को अब कौन पढ़ाएगा !
क्या सरकार को इसकी चिंता है ! जाहिर है कि इस कदम से इस बात की भी पोल खुल गई है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है !