पूरे आम के बाग का एक रात में अवैध पातन कर दिया गया। नीचे से लेकर उपर तक मोटा मैनेजमेंट। लगभग 250 से ज्यादा हरेभरे आम के फलदार पेड़ों की भूमाफियाओ ने अपने मंसूबे पूरे करने के लिये चढ़ा दी बली। डूंगा लो सीटी के बगल का मामला।
गूगल अर्थ से लिया गया फोटो बयान कर रहा बाग के अस्तित्व के निशान। मीडिया सोई कुंभकरणी नींद। अधिकारी झाड़ रहे पल्ला एक दूसरे के पाले में डाल रहे गेंद। कोई जिम्मेदारी लेने को नहीं तैयार। सहसपुर ढाकी की लगभग चालीस लेबर ने इलेक्ट्रॉनिक कटर की मदद से काटे पेड़
राजधानी देहरादून से मात्र बीस किलोमीटर की दूरी पर डूंगा गाँव में भूमाफिया प्रदेश की जीरो टाँलरेंस सरकार को मुँह चिढा रहे हैं। डूंगा गाँव में “लॉ सीटी” के पास भूमाफियाओं ने अपने बुलंद हौसलों के दम पर एक हफ्ते पहले लगभग 27 बीघा कृषि भूमि से रातों 250 पेड़ से अधिक के एक आम के बाग का अवैध पातन कर नामों निशान मिटा दिया है।
मामले के तार देहरादून के बड़े बड़े लोगों से जुड़े हुए बताये जा रहे हैं। बिना अनुमति काटे गये पेड़ों के पूरे मामले में उद्यान और वन विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है। दोनों ही विभागों के उच्चाधिकारी बेहद संवेदनशील इस मामले में कार्यवाही करने के बजाये खुद के पास कार्यवाही के अधिकार नहीं होने का रोना रो रहे हैं।
हालांकि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तराखण्ड के सहसपुर कार्यालय और झाझरा रेंज के अधिकारियों ने मौके का निरिक्षण जरूर किया है और मौके पर काटे गये पेड़ों के ठूंट सहित भारी मात्रा में पेड़ों की टहनियाँ झाड़ झंकाड भी देखने को मिली है। बावजूद इसके ये निरीक्षण औपचारिकता ही साबित हो रहा है। हालांकि इस वक्त मामले में हडकंप मचते ही मौके से सारे बचे खुचे सबूतों को हटा दिया गया है। कुछ टहनियों का बड़ा ढेर लगाकर जला दिया गया है। ठूंठों को ट्रैक्टर की मदद से जमीन में ही छुपा दिया गया है।
मामले में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और सांठ गाँठ का तगड़ा खेल खेला जा रहा है। बड़ा सवाल यह की आखिर इतने बड़े स्तर पर काटी हुई लकड़ी को कहां और किसके इशारे पर ठिकाने लगाया गया है। वहीं मामले में स्थानीय पुलिस की संलिप्ता की भी तथाकथित सूचना प्राप्त हो रही है।
गूगल सेटेलाइट की मदद से लिया गया एक पिक्चर दिखा रहा बाग की वास्तविकता , पिक्चर में दिख रहा अवैध पातन से पूर्व का पूरा बाग
मौके पर अवैध पातन का कार्य छुप कर करने के लिये कुछ समय पहले सड़क किनारे उंची दीवार बनाई गयी है ताकि दीवार के पार क्या हो रहा है ये किसी को पता ना चल पाये।