मुख्यमंत्री की आधी घोषणाएं अधूरी, आधे पर काम ही शुरू नहीं
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डबल इंजन की सुस्त रफ्तार अब राज्य की विकास को अपूरणीय क्षति पहुंचाने लगी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभालने के दिन 18 मार्च 2017 से लेकर 9 नवंबर 2020 तक कुल 2266 विकास योजनाओं की घोषणा की। लेकिन इनमें से 381 घोषणाओं में अब तक काम ही शुरू नहीं हो पाया है। जबकि 459 पर मार्च आखिर तक काम पूरा को पाना लगभग नामुमकिन है। सिर्फ 1300 घोषणाओं पर ही काम पूरा हो सका है। 4 साल में विकास की यह सुस्त रफ़्तार राज्य पर भारी पड़ रही है।
भारी भरकम 46 महकमों के बोझ तले दबे त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास अपने महकमे की समीक्षा करने का भी समय नहीं है। लगभग शुरुआत से त्रिवेंद्र सिंह रावत के कामकाज की तुलना जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से होने लगी तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह कहकर अपना बचाव करना चाहा कि मैदानों में गाड़ी की रफ्तार अधिक होती है और पहाड़ों में कम होती है इसलिए विकास कार्य धीमा है। अब विकास कार्यों में फिसड्डी रहने का ठीकरा कोरोना के माथे पर छोड़ने की तैयारी चल रही है।
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया द्वारा लगाए सूचना के अधिकार में जानकारी मिली है कि लोक निर्माण विभाग ने 178, सिंचाई विभाग के 51, शहरी विकास विभाग के 47, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की 25 योजनाओं पर अब तक काम ही शुरू नहीं हो पाया है। सभी भारी-भरकम महकमे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है और 4 साल में भी मंत्रिमंडल के एक चौथाई मंत्री पद खाली चल रहे हैं। इससे विकास योजनाओं पर बुरा असर पड़ रहा है।
मंत्री के सचिव और कुमाऊं कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यंकी का कहना है कि कोरोना के कारण यह रफ्तार धीमी हुई है और जल्दी ही मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बाद डीपीआर तथा उसके बाद शासनादेश जारी होने के बाद योजना में बजट मिलेगा और फिर काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल की रफ्तार को देखकर तो यही लग रहा है कि ना कोरोना वायरस खत्म होगा और न ये काम समय पर पूरे होंगे।