विद्यालय भवन को तरस गया राजीय इंटर कालेज जगतेश्वर !
खेलकूद संस्कृति तथा विज्ञान के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं अपितु राष्ट्रीय स्तर तक प्रदेश का प्रतिनिधित्व चुका विकास खण्ड पाबो जनपद पौडी़ गढ़वाल के राठ क्षेत्र में स्थित राइका जगतेश्वर एक अदद भवन को तरस गया है !
सन् 2010 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा० रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में इस विद्यालय भवन के लिए दो करोड़ स्वीकृत किये गये थे !
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15 दिसंबर 2015 को विधायक श्रीनगर गणेश गोदियाल द्वारा विद्यालय भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया था जो कि आज लगभग पांच साल बाद भी अधूरा पडा़ है !
वर्तमान समय में विद्यालय सन् 1978 में बने जूनियर हाईस्कूल के अत्यन्त ही जीर्ण शीर्ण तथा क्षतिग्रस्त भवन में संचालित हो रहा है ! विकास खण्ड पाबो के सबसे अधिक छात्रसंख्या वाले इस विद्यालय में वर्तमान में 300 से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं !
विद्यालय भवन के पीछे एक बडी़ चट्टान खिसक कर भवन की छत पर अटकने से भवन कभी भी जमींदोज होने के कगार पर है !
विद्यालय प्रबंधन समिति तथा शिक्षक अभिभावक संघ द्वारा बार बार विभागीय अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों से विद्यालय भवन का निर्माण कार्य यथाशीघ्र करने की गुजारिशें की गयी किन्तु नतीजा आज भी सिफर ही है !
बरसात का मौसम आते ही विद्यालय के प्रधानाचार्य शिक्षक अभिभावकों तथा छात्र छात्राओं के माथे पर चिंता की लकीरें खिच जाती हैं !
नया भवन निर्माणाधीन होने के कारण विद्यालय में लघु मरम्मत हेतु धनराशि सन् 2015 से निर्गत नहीं की जा रही है अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय भवन निर्माण के प्रति सरकार की उदासीनता दुखद है !
किसी भी प्रकार की दुर्घटना के लिए शासन प्रशासन ही उत्तरदायी रहेगा ! विभागीय अधिकारियों द्वारा बजट की अनुपलब्धता कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है !
विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष श्रीमती ऊषा देवी शिक्षक अभिभावक संघ श्री बचन सिंह सदस्य श्री राजेन्द्र रौथाण ग्रामसभा बुरांसी के प्रधान प्रतिनिधि श्री बीर सिंह रावत सहित अभिभावकों तथा क्षेत्रीय जनता ने इस पर कडा़ रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यदि शीघ्र ही विद्यालय भवन का निर्माण कार्य आरम्भ नहीं हुआ तो शासन प्रशासन सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का भी घेराव किया जायेगा तथा अनशन भी किया जायेगा !
इस पर भी अगर बात नहीं बनी तो कोई भी अभिभावक अपने पाल्यों को विद्यालय में प्रवेश नहीं दिलवायेगा तथा अन्य समीपवर्ती विद्यालयों में पढा़ने को मजबूर होंगे ! जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व विभागीय अधिकारियों जनप्रतिनिधियों तथा शासन प्रशासन का होगा !