राजधानी देहरादून में इलाज के नाम पर कुछ अस्पतालों का गोरखधंधा धड़ल्ले से फल फूल रहा है ऐसा ही एक मामला विधानसभा के पास चल रहे जगदम्बा अस्पताल का सामने आया है रिपोर्ट में दिखिए क्या है ये पूरा मामला।
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अक्सर अपनी खामियों की वजह से चर्चित रहने वाला जगदम्बा अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां एक डेंगू के मरीज को पिछले 6 दिनों से आईसीयू में भर्ती किया गया है लेकिन हालत में अभी भी कोई सुधर नहीं है। मरीज के तीमारदारों और उसके पति का आरोप है कि महन्त इन्द्रेश मेडिकल कॉलेज से मरीज को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया था लेकिन इन्द्रेश से चलते ही एम्बुलेन्स चालक ने जगदम्बा अस्पताल की तारीफ में कशीदे पढ़ते हुए इस अस्पताल में भर्ती करवा दिया।
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भर्ती के समय अस्पताल के द्वारा 3 हजार प्रतिदिन का खर्च बताया गया था लेकिन आज छठे दिन ही एक लाख से ऊपर का बिल पहुंच चुका है। कुछ पैसा जमा भी कर दिया है लेकिन अस्पताल पूरे भुगतान की बात कह के डिस्चार्ज नहीं कर रहा है और न ही मरीज से मिलने दिया जा रहा है।
अस्पताल के द्वारा तीमारदारों को गुमराह किया जा रहा है। …… यहां आप को बता दें मरीज की माली हालत काफी नाजुक है और भर्ती मरीज और उसका पति दोनों ही विकलांग भी हैं।
अपने मरीज को अस्पताल से छुड़वाने के लिए मरीज के तीमारदारों ने पुलिस और सीएमओ देहरादून से शिकायत कर मदद की गुहार लगायी। साथ ही मरीज के मरीजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा करते हुए अस्पताल के खिलाफ नारेबाजी की।
इस अस्पताल के कारनामे ऐसे है कि यहां पर एम्स ऋषिकेश , दून मेडिकल कॉलेज महन्त इन्द्रेश जैसे बड़े अस्पतालों से मरीज अपना इलाज कराने आते हैं जबकि ये छोटा सा अस्पताल है।
अस्पताल का मालिक अपने आप को नेता बताता है। इससे पहले भी इस अस्पताल पर कई बार मरीजों ने आरोप लगाए हैं लेकिन रसूखदार होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं होती।
सीएमओ भी शिकायत मिलने पर जाँच की बात कहते रहते है। …. अगर सूत्रों की माने तो यहां पर कार्यरत स्टाफ के पेपर किसी और के जमा है काम कोई और करता है। मेडिकल स्टोर चलता है लेकिन लाइसेंस से कोई लेना देना नहीं है। राजधानी में इस तरह के और भी कई अस्पताल हैं, जिन्होंने ये धन्धा बना लिया है लेकिन प्रशासन किसी अस्पताल की बिना शिकायत के उसका भौतिक परिक्षण तक करने की जहमत नहीं उठा रहा है। यँहा आप को बता दें राजधानी में दलालों के सहारे कई ऐसे अस्पताल चल रहे है जिनका कभी कोई मालिक बदल जाता है कभी उनकी जगह….. इन अस्पतालों का स्वास्थ्य सेवाएं देने से कोई लेना देना नहीं है। इनका काम सिर्फ मरीजों की मज़बूरी का फायदा उठाना है। अब देखना ये होगा कि इस बार इस अस्पताल की जाँच कहां तक होती है।