उत्तराखंड बने 23 साल हो चुके हैं वहीं देश आजाद हुए 70 साल से भी अधिक हो चुके हैं लेकिन आज भी उत्तराखंड में कई ऐसे गांव है जहां सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है।
आए दिन इस तरह की खबरें सामने आती रहती हैं लेकिन शासन प्रशासन मौन साधे रहता है।
शासन प्रशासन से परेशान जनता फिर चुनाव के समय विरोध करने के अलग-अलग तरीके निकलती है। जिसमें से एक है रोड नहीं तो वोट नहीं।
आज फिर एक मामला सामने आया है जिसमें जनता सड़क न मिलने पर मतदान न करने की चेतावनी दे रही है।
जनपद टिहरी गढ़वाल के विकासखण्ड धौलधार में डागंधार से पौलधार तक 8 किमी मोटरमार्ग को लेकर स्थानीय जनता ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में लिखा है कि,जनपद टिहरी गढ़वाल के विकासखण्ड धौलधार में डागंधार से पौलधार तक 8 किमी मोटरमार्ग की स्वीकृति विगत वर्ष 2004 में हुयी थी।
वित्तीय स्वीकृति के बाद उक्त मोटर मार्ग का सर्वे आदि का कार्य पूर्ण हो चूका था, किन्तु लम्बे समय तक वन अधिनियम के कारण इस मोटर मार्ग का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था।
वर्ष 2023 में वन (पर्यावरण मंत्रालय / विभाग) द्वारा भी वन भूमि एवं चिहिन्त पेड़ो के कटान के सम्बन्ध में अनापत्ति प्रदान कर दी गयी थी, फिर भी आज तक इस मोटर मार्ग के निर्माण के संबंध में लो० नि० विभाग चम्बा द्वारा कोई किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी है।
पुनः वत्त विभाग व लो० नि० विभाग द्वारा आपत्तियों लगाकर स्थानीय जनता की इस महत्वपूर्ण सड़क को रोका जा रहा है।
ठागंधार – बौलधार मोटर मार्ग से स्थानीय ग्राम सभा बरवाल गाँव क्यूलागी बन्हवाल गाँव बमराही, कोट, बोरगांव, रखों, उजाड गाँव के लगभग 12 गाँव लाभान्वित होंगे।
जिनका ग्रीष्मकालीन निवास कैथीगी, बोरगाव, मोलाखर्क, चरीपाल्दा ठागंधार, रामुली बाल, भैरा दुगा आदि स्थानों पर है।
स्थानीय कृषक उक्त स्थानों पर आलू, मटर, सब्जीयां व सेच की फसल उगाते है तथा पशु पालन करते हैं लेकिन सड़क के अभाव में अपनी उपज को मुख्य बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं।
बर्तमान में स्थानीय जनता को बौलधार में ठागंधार जाने के लिए 54 कि०मी० मोटर से दूरी तय करनी पड़ती है, इस सड़क के बन जाने में स्थानीय जनता को अत्यधिक लाभ होगा तथा मसूरी से प्रताप नगर क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों पर्यटकों को 30 किमी की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।
30 वर्षों से स्थानीय जनता निरंतर माग करती जा रही है लेकिन जनता कि आवाज को सुना नहीं जा रहा है, इसलिये स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जनता ने निर्णय लिया है कि यदि हमें स्वतंत्रता के 77 वर्षों के बाद भी सड़क जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही है तो हम उपरोक्त ग्राम सभाओ की जनता आगामी लोकसभा चुनाव में चुनाव का विरोध करेंगे, मतदान नहीं होने देगे, हम मतदान नहीं करेंगे तथा किसी भी राजनैतिक दल के प्रत्याशियों व समर्थको की क्षेत्र में घुसने नहीं देंगे।
यथाशीघ्र उपरोक्त मोटर मार्ग के निर्माण की कार्यवाही प्रारम्भ नहीं होती है तो हमें अपनी अनदेखी के लिये सरकार, शासन व प्रशासन को दोषी मानते हुए, उपरोक्त वर्णित तरीके से विरोध / आन्दोलन करने हेतु वाध्य होना पड़ेगा ।
अब बड़ा सवाल हैं कि आखिर उत्तराखंड बनने के इतने साल बाद भी आज क्यों इतने सारे गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं!
और आखिर क्यों शासन मूलभूत सुविधा सड़क,बिजली,पानी को स्थानीय जनता तक पहुंचने में विफल है।