अनुज नेगी
देहरादून।प्रदेश भर में जनरल ओबीसी कार्मिकों की हड़ताल से
सरकारी कामकाज व आवश्यक सेवा बाधित होने से आमजन परेशान दिखने लगा है।मगर प्रदेश सरकार इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है।
प्रदेश में 13 दिन से चली आ रही जनरल ओबीसी कार्मिकों की हड़ताल से आमजन के जीवन पर काफी असर पड़ने लगा है,मगर प्रदेश सरकार इस पर कुछ भी कहने से बच रही है।
शनिवार को कैबिनेट की बैठक से जनता आस लगाई बैठी थी कि प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी और कर्मचारियों से हड़ताल वापस कराई जाएगी। मगर कैबिनेट बैठक में सरकार ने इसका जिक्र तक नहीं किया।
कोरोना वायरस महामारी व आपदा घोषित हो गया है ऐसे में आने वाले दिनों में कर्मचारियों की हड़ताल प्रदेश सरकार पड़ भारी पड़नी तय है।
प्रदेश भर में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर जनरल ओबीसी कार्मिक हड़ताल से कदम पीछे खींचने को राजी नहीं हैं तो सरकार ने भी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं, जिससे यह लगे कि वह हड़ताल खत्म कराने की दिशा में गंभीर है।
कर्मचारियों की हड़ताल दो मार्च से चल रही है। इस दौरान मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री तक से वार्ता हो चुकी है,लेकिन नतीजा विफल ही रहा।अब देखना होगा ऐसे विकट समय में यदि कर्मचारी हड़ताल पर रहे तो आम जनमानस का क्या होगा।
इस मामले मे सरकार ने चुप्पी साधी है तो दूसरी तरफ जनरल ओबीसी कार्मिकों इस बात पर अडिग हैं कि जब तक बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का शासनादेश जारी नहीं हो जाता, तब तक वह कदम पीछे नहीं खींचेंगे।
अब सवाल यह कि कोरोना वायरस का खतरा बढ़ा तो फिर आम नागरिकों का क्या होगा ! क्योंकि जिन सरकारी कर्मचारियों के बलबूते सरकार कोरोना को मात देने की कोशिश करेगी, वह कर्मचारी तो हड़ताल पर हैं।