श्रीदेव सुमन को राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की घोषणा पर छात्र-छात्राओं में आक्रोश। दिया अल्टीमेटम
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय को श्रीदेव सुमन राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की घोषणा उत्तराखंड सरकार ने की है। इसको लेकर छात्र-छात्राओं में आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। छात्र और छात्राओं ने मांग की है कि, ये निर्णय बिल्कुल भी छात्र-छात्राओं के हित में नहीं है, इसे वापस लिया जाए।
छात्राओं ने एचएनबी को श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध के निर्णय पर रोष जताया। महिला विद्यालय डिग्री कॉलेज की छात्रा संघ अध्यक्ष मोनिका शर्मा ने कहा कि, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय को श्रीदेव सुमन राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की घोषणा उत्तराखंड सरकार ने की है। ये निर्णय बिल्कुल भी छात्र-छात्राओं के हित में नहीं है, इसे वापस लिया जाए। मोनिका शर्मा ने कहा कि, उत्तराखंड सरकार ने राज्य के महाविद्यालयों को श्री देव सुमन राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध करने जा रही है। मंत्रिमंडल ने इसके लिए कह दिया है कि, ये फैसला छात्र छात्राओं के भविष्य को अंधकार में धकेलने वाला है। एचएनबी विवि से संबद्ध होने से छात्र छात्राओं को केंद्रीय विवि की डिग्री प्राप्त होना समाप्त हो जाएगी। जिससे छात्र-छात्राओं को नौकरी के लिए भविष्य में मुसीबत खड़ी हो जाएगी। सरकार का यह फैसला बिल्कुल भी छात्र छात्राओं के हित में नहीं है।
पूर्व छात्रा संघ अध्यक्ष कीर्तिका पंत ने कहा कि, सरकार को ये फैसला लेने से पहले छात्र-छात्राओं से बात करनी चाहिए थी। क्या विद्यार्थी इससे सहमत हैं या नहीं इससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के सामने परेशानी खड़ी हो जाएगी। फीस में भारी वृद्धि के साथ कई बदलाव हो जाएंगे। छात्राएं इस फैसले से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। एचएनबी से संबद्धता होने से परीक्षा व परीक्षाफल और प्रमाण पत्र समय से प्राप्त होते हैं। श्रीदेव सुमन विवि की परीक्षाएं समय पर नहीं होती है। इस फैसले को जल्द वापस न लिया गया तो छात्राएं सरकार के खिलाफ विरोध करेंगी।
बता दें कि, एचएनबी को श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध के निर्णय के बाद छात्रों में आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। छात्रों ने मांग की है कि, जल्द से जल्द इस फैसले को बदला जाए। नहीं तो इससे उनके भविष्य पर काफी असर पड़ेगा। अब देखना होगा छात्रों के आक्रोश के बाद क्या इस निर्णय को बदला जाता है या नहीं। क्योंकि छात्रों ने आरोप लगाया है कि, इस निर्णय से पहले छात्र-छात्रों से इस बारे में चर्चा नहीं की गई।