जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि “राज्यपाल ने बहुप्रतीक्षित उत्तराखंड पंचायत राज का जो संशोधन विधेयक था उस अपने हस्ताक्षर कर लिए। हमने अपना पक्ष रखने के लिए तीन बार श्री राज्यपाल से समय की मांग की लेकिन हमें समय नहीं दिया गया। अच्छा होता कि समय देते और हमारा पक्ष भी सुना जाता, उसके बाद इस पर विचार होता। लेकिन अब उनके हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बनेगा और हम को माननीय न्यायालय में जाने के लिए रास्ता खुला है। हमें उम्मीद है माननीय न्यायालय हमारी बात को सुनकर के उस पर हमें न्याय देंगे।”
कांग्रेस का कहना है कि तीन बच्चों की सीमा के लिए निकायो की तरह 300 दिन का समय दिया जाना चाहिए था।
शैक्षिक योग्यता के मुद्दे पर भी कांग्रेस असहमत है। इस एक्ट मे ओबीसी की शैक्षिक योग्यता का जिक्र ही नही है।
414जिला पंचायत सदस्य ,3112क्षेत्र पंचायत सदस्य ,7762 ग्राम प्रधान, तथा 50824 ग्राम पंचायत सदस्य चुने जाने हैं अर्थात कुल 62112 सदस्यों के लिए चुनाव होने हैं। आज लगभग दो लाख लोगों की शिरकत इस पंचायत चुनाव में होनी है।
जब कोई शर्त नही तब भी सैकड़ों सीटें खाली रह जाती थी।उसके लिए दोबारा अधिसूचना जारी करनी पड़ती थी। अब इतनी शर्त होने से आधी सीटें खाली रह सकती हैं। जोत सिंह बिष्ट दावा करते हैं कि “इस एक्ट के अनुसार चुनाव होने पर जो सीटें खाली रह जाएंगी सरकार उनपर चोर दरवाजों से अपने प्रतिनिधियों को नियुक्त कर देगी।” इससे लोकतंत्र की आत्मा ही मर जाएगी इसीलिए कांग्रेस ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।”