देहरादून। राज्य स्थापना के समय से ही उत्तराखंड की आम जनता के हित में आवाज बुलंद करने वाले पर्वतजन के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार एक बार फिर से अति सक्रिय हो गई है।
पर्वतजन के खिलाफ गैंगस्टर लगाए जाने की साजिश की जा रही है। इसकी तैयारी में सरकार काफी लंबे समय से लगी हुई थी। गौरतलब है कि हाल ही में तपोवन टिहरी गढवाल के थाने में एफआईआर पिछले 3 महीने से सिर्फ इसलिए छुपाकर रखी गई थी, ताकि पर्वतजन के शिव प्रसाद सेमवाल को किसी दिन अचानक से गैंगस्टर लगाकर गिरफ्तार कर दिया जाए।
गैंगस्टर लगाने के लिए 2-3 जिलों में एफआईआर होने से सरकार के लिए दमन करना आसान हो जाता है।
गैंगस्टर में गिरफ्तारी होने के बाद यह मजबूरी हो जाती है कि पहले सभी एफआईआर में जमानत कराई जानी होती है, उसके बाद गैंगस्टर के मामले में कोर्ट सुनवाई करता है। सरकार मामले को इतना उलझाती है कि हाईकोर्ट से नीचे जमानत नहीं हो पाती।
इस सारे सिलसिले में कम से कम चार-पांच महीने लग जाते हैं और तब तक व्यक्ति जेल में ही रहता है।
पर्वतजन ने एक महीने पहले ही गैंगस्टर लगाए जाने की तैयारी का पर्दाफाश कर दिया था। इसके बाद बागेश्वर में सैलून खोलने वाले युवक पर भी पुलिस ने काफी दबाव डाला था कि पर्वतजन के खिलाफ वह मुकदमा दर्ज करा दे, किंतु समय रहते पर्वतजन को सरकार की इस साजिश का पता चल गया और उस करतूत का भी खुलासा हो गया।
युवक ने पर्वतजन से कहा था कि ‘पुलिस ने उस पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए इतना दबाव डाला था कि उस पूरी रात उनके पूरे परिवार ने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया और वह पूरे परिवार सहित सारी रात भर रोते रहे और भूखे ही सो गए। उस दिन उनका पूरा खाना बर्बाद हो गया था।’
जब पर्वतजन ने सरकार की इस साजिश का खुलासा किया तो फिर सरकार अपनी गलती मानने के बजाय और भी अधिक बौखला गई और दमन चक्र और भी तेज कर लिया। इसके बाद सरकार ने सिंगटाली पुल को लेकर प्रकाशित की गई खबर छुपा कर रखी गई।
तीन महीने पुरानी एफआईआर को सक्रिय कर दिया। पुलिस के सहारे सरकार मीडिया की आवाज बंद करके राजकाज चलाना चाहती है।
इसका खुलासा होने पर उत्तराखंड में चौतरफा आक्रोश फैल गया है। लोग सरकार से पूछ रहे हैं कि वह जनता की आवाज उठाने वाले पर्वतजन के खिलाफ इस तरह से दमन चक्र चला कर क्या साबित करना चाहती है!
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी उमेश कुमार ने सबसे पहले पर्वतजन के खिलाफ की गई एफआईआर की कॉपी निकाल कर फेसबुक पर अपनी पोस्ट के साथ प्रकाशित की तो फिर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।
लोगों ने अपनी टिप्पणियों के साथ इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
आम जनता में त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ खासा आक्रोश पनप रहा है और यह मीडिया के खिलाफ आपातकाल के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में दर्जनों पत्रकारों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए आम जनता के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज करा रही है। जो भी सरकार की नाकामियों पर आक्रोश जाहिर कर रहा है, सरकार उसे मुकदमों से भयभीत करना चाह रही है।
गौरतलब है कि टिहरी गढ़वाल के तपोवन क्षेत्र में सिंगटाली के पास उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक कार्यक्रम का उद्घाटन करने पहुंचे थे। पर्वतजन रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के विवादित बिंदुओं की ओर सरकार का ध्यान खींचा गया था। गौरतलब है कि यहां पर सरकारी तथा ग्राम समाज की भूमि कब्जाए जाने के खिलाफ ग्रामीण काफी लंबे समय से आक्रोशित हैं।
पूर्व राजस्व सचिव तथा गढ़वाल कमिश्नर सुरेंद्र सिंह पांगती ने भी सिंगटाली में जमीन कब्जाए जाने को लेकर काफी विरोध किया है और पत्र-पत्रिकाओं में इस पर लेख भी लिखे हैं, लेकिन सरकार ने अपनी गलती मानने के बजाय और गलती को सुधारने और जांच करने के बजाए सीधे पर्वतजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मुकदमें को गोपनीय रखने के पीछे सरकार की मंशा थी पर्वतजन के शिव प्रसाद सेमवाल को चुपचाप गिरफ्तार कर लिया जाए और पर्वतजन मुकदमेबाजी तथा जमानत कराने में ही उलझ कर रह जाए।
सरकार तीन चार महीने से पर्वतजन के खिलाफ गैंगस्टर लगाए जाने के लिए दिन रात एक किए हुए थी।
जब बागेश्वर से मुकदमा दर्ज कराने की रणनीति फेल हो गई तो सरकार बौखला गई।
इसके बाद रेखा आर्य तथा उनके परिजनों पर नौकरी लगाने को लेकर पैसे लेने से संबंधित खबर का प्रकाशन होने के बाद तो यह बौखलाहट चरम पर पहुंच गई और सरकार ने मर्यादा और गरिमा का त्याग करके सीधे खुलकर ही पुलिसिया हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए।
इस मामले मे पत्रकार उमेश कुमार की पोस्ट से खुलासा होने पर सरकार की इस कार्यवाही पर लोगों को बेहद गुस्सा है।
पीआईएल की तैयारी में लोग
कोरोनाकाल में शिलान्यास, 50 से ज्यादा लोगों का एकत्रित होना, आमंत्रण पत्र छपाकर भीड़ जुटाना, भूमि की खरीद, लैंडयूज कन्वर्जन आदि मामले को लेकर अब लोग जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।
साफ है पर्वतजन के खिलाफ दमन की कार्यवाही करके सरकार ने आम जनता का गुस्सा भी मोल ले लिया है।
जाहिर है कि उत्तराखंड की जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत प्रदान किया था, लेकिन भाजपा ने उत्तराखंड को सर्वथा अयोग्य मुख्यमंत्री का तोहफा देकर जनादेश का अपमान किया है।
अब त्रिवेंद्र सरकार के मात्र डेढ़ साल ही कार्यकाल के बचे हुए हैं। पत्रकारों के खिलाफ दमन के इस सिलसिले से ही उत्तराखंड में भाजपा का सूपड़ा साफ होना तय है।
यह भी पढें : देखिए वीडियो : पर्वतजन के खिलाफ गैंगस्टर की तैयारी!