नीरज उत्तराखंडी/उत्तरकाशी
पैसा, पावर और पहुंच के बल पर सब कुछ मनमाफिक करने का अंहकार पाले एक जनप्रतिनिधि ने अपनी मनमानी के चलते कायदे-कानून को दरकिनार कर रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण भू-स्वामियों की अनुमति के बिना उनके खेतों तथा सरकारी जमीन पर जेसीबी मशीन चलाकर संपर्क मार्ग बनाना शुरू करवा दिया है। यही नहीं सेब के पौधों को नुकसान पहुंचाने, जमीन पर खड़े देवदार के पेड़ काटने तथा समिति की सहमति के बिना मत्स्य जीवी सहकारी समिति का स्वयंभू अध्यक्ष बनने तथा सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर से धन आहरित करने जैसे आरोप लगने के चलते मछली पालन की एक रोजगार परक योजना को ग्रहण लगा दिया है।
मामला जनपद उत्तरकाशी के विकासखण्ड मोरी के ग्राम पंचायत चींवा के जागटा गांव का है। जहां प्रधान के प्रपंच से पब्लिक परेशान है। आराकोट-चींवा मोटर मार्ग पर कोठी गाड के किनारे गवाइचा तोक में ग्राम प्रधान ने मत्स्य पालन परियोजना निर्माण स्थल तक सम्पर्क मार्ग बनाने के लिए प्रशासन तथा गरीब एवं पहुंचहीन भू स्वामियों की अनुमति के बिना जेसीबी चला कर सम्पर्क मार्ग बना डाला।
इतना ही नहीं ग्रामीणों की जमीन पर लगे सेब के पौधों को सड़क के मलबे से दबा कर नुकसान पहुंचाया तथा राजस्व भूमि पर खडे देवदार के हरे पेड़ों पर भी जेसीबी चला कर सम्पर्क मार्ग बना डाला। उनकी मनमानी यही नहीं रुकी और अपनी पावर और पहुंच के बल पर पूर्व में बनी जय लकुडा देवता सहकारी समिति को बिना बैठक बुलाए भंग करके तथा सदस्यों को हटाकर स्वयंभू अध्यक्ष भी बन गये। ये सभी आरोप पीडि़त ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान सतीश चौहान पर लगाये हैं।
ग्रामीण रतन दास, मंगत राम, पुष्पा चौहान ने ग्राम प्रधान सतीश चौहान पर मनमानी तथा पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए मत्स्य पालन की परियोजना को सडक मार्ग से जोडऩे के लिए उनकी सहमति लिए बिना उनकी जमीन पर पर्यावरण के नियमों को ताक पर रखकर जेसीबी चला कर सम्पर्क मार्ग बनाने तथा जमीन पर लगे सेब के पौधों को सडक के मलबे से दबाव कर आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। तथा उप जिलाधिकारी तथा तहसीलदार को शिकायत भेजकर मामले की जांच की मांग की है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसडीएम ने तहसीलदार को जांच के आदेश दिए हैं।
इतना ही नहीं राजस्व विभाग की जमीन पर खड़े देवदार के हरे पेड़ों को काटे जाने का मामला भी सामने आया है। ग्राम प्रधान पर परियोजना निर्माण के लिए पूर्व में बनी सहकारी समिति द्वारा गराडू तोक में चयनित की गई सामुहिक भूमि का प्रस्ताव बदलने तथा पूर्व अध्यक्ष कमाल चंद को हटाकर स्वयं मनमाने तरीके से अध्यक्ष बनने तथा परियोजना स्थल के लिए गवाइचा तोक में अपनी निजी जमीन प्रस्तावित करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री तथा निदेशालय को मामले की शिकायत भेजकर जांच करने तथा दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
मुख्यमंत्री तथा निदेशालय को भेजे गये शिकायत में कमाल चंद, भगत सिंह, सुधीर चौहान, जनक सिंह ने पूर्व में बनी सहकारी समिति द्वारा चयनित की गई भूमि पर परियोजना लगाने तथा पूर्व अध्यक्ष कमाल चंद की अध्यक्षता में गठित सहकारी समिति की देखरेख में परियोजना निर्माण का निर्माण करने तथा मामले में की गई गड़बड़ी की जांच की मांग की है।
यही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की पहली किस्त सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर कर गलत तरीके से आहरित कर सरकारी धन को ठिकाने लगाया जा रहा है। तथा गवाइचा तोक में पूर्व में अन्य योजना से बनें पुराने टैंकों को नई योजना में दिखाये जा रहे हैं तथा 40 प्रतिशत काम पूर्ण होना दिखाया गया है।
प्रभावित काश्तकार रतन दास, मंगत राम, पुष्पा चौहान ने उपजिला अधिकारी पुरोला तथा तहसीलदार मोरी से शिकायत कर जांच की मांग की है। उपजिला अधिकारी ने नायब तहसीलदार मोरी को जांच के आदेश दिए हैं।
वही दूसरी ओर पूर्व अध्यक्ष कमाल चंद, भगत सिंह सुधीर चौहान, जनक सिंह तथा अन्य समिति के सदस्यों ने 7 मई 2019 को मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
शासन ने समिति के सदस्यों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए 27 मई को निबंधक सहकारी समितियां उतराखण्ड अल्मोड़ा को पत्र लिखकर मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिये हंै।
बताते चलें कि जिले में ट्राउट मछली पालन की अपार संभावनाएं को रोजगारपरक बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके तहत मोरी ब्लाक में तीन परियोजना पर वर्तमान समय में काम चल रहा है तथा एक प्रस्तावित है। परियोजना में 40 प्रतिशत अनुदान तथा 60 प्रतिशत अंशदान की व्यवस्था है। परियोजना में रोजगार की अपार संभावनाएं हंै, लेकिन जागटा में ग्राम प्रधान पर लगे मनमानी के आरोप के चलते परियोजना में ग्रहण लगता नजर आ रहा है। बहरहाल जांच पूरी होने तक परियोजना का निर्माण अधर में लटक गया है और प्रधान के प्रपंच से पब्लिक परेशान है।
इस संबंध में ग्राम प्रधान सतीश चौहान का कहना है कि उन पर लगाये गये सभी आरोप निराधार हैं। परियोजना निर्माण के सभी कार्य समिति की सहमति से किये गये हंै। जिसके उनके पास लिखित प्रमाण है। समिति के पूर्व अध्यक्ष तथा सदस्यों ने परियोजना निर्माण के पूर्व में चयनित भूमि को संबंधित विभाग को लीज पर दिये जाने और बंधक रखने से मना कर दिया, इसलिए उन्होंने अपनी निजी भूमि प्रस्तावित गई है। सम्पर्क मार्ग बनाने के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई है। सम्पर्क मार्ग में कोई पेड़ नहीं काटे गये हैं।