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खुलासा: सिडकुल निवेशक को ऐसा दौड़ाएगा तो क्यों करेगा निवेश

August 27, 2019
in पर्वतजन
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*सिडकुल कोटद्वार में चलती है अफसरों की मनमानी, नहीं है कोई जवाबदेही, निवेशक का करते है उत्पीड़न*

सिडकुल कोटद्वार अधिकारियों ने पकड़ाई निवेशक को गलत लीज दीड, किया नियमो का उल्लंघन, नहीं होने दिया निवेशक का कोई भी काम।

एक निवेशक प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री और बाबा रामदेव आदि प्रेरणास्रोत के विचारों, शब्दों, ज्ञान से प्रेरित हो जाता है और उत्तराखंड में निवेश करने के लिए आता है। लेकिन निवेश करने के बाद, वह अव्यवसायिक, भ्रष्ट लोगों का शिकार हो जाता है तथा अपने सपनों, ऊर्जा, समय और धन को खोता पाता हैं
कपिल कुमार, Eatmind के संस्थापक ने April 2017 में उत्तराखंड सरकार की सिडकुल कोटद्वार योजना में निवेश किया। सिडकुल अधिकारियों द्वारा उन्हें गलत लीज दीड सौप दी गयी। कपिल कुमार द्वारा कई बार गलत डीड को सही करने की गुहार लगाने के बावजूद भी अधिकारियों ने उन्हें सही डीड नहीं दी और ऐसे ही काम शुरू करने को ज़ोर दिया। सिडकुल अधिकारियों ने ये कहा “इस से कोई फर्क नहीं पड़ता।”

 

जब सही लीज डीड का होना डिपार्टमेंट द्वारा नक्शा मंजूरी के लिए अनिवार्य बताया गया तो 12 महीने के बाद कपिल कुमार को सही लीज दीड सौपी गयी। 2 साल की सीमा में कंस्ट्रक्शन की डेडलाइन देकर, 1+ साल का समय सिडकुल ऑफिस ऐसे ही खा गया। ना केवल दो बार कपिल कुमार को दिल्ली से कोटद्वार लीज दीड के लिए बुलाया गया और खर्चा लिया गया बल्कि सिडकुल कोटद्वार ऑफिस द्वारा उनसे हर छोटी चीज़ जैसे फोटो स्टेट्स, लंच और पेट्रोल के पैसे लिए गए और परेशान किया गया।

 

18 april 2018 को ईमेल पर सही लीज दीड मिलते ही जब कपिल कुमार ने नक्शा मंजूरी के लिए आवेदन किया, तो वही सिडकुल ऑफिस ने सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा दिशानिर्देश का उलंघन करके फाइल को अपने पास रोके रखा और Kapil कुमार को फाइल क्लियर करने हेतु बार बार Kotdwar ऑफिस बुलाते रहे और इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 6 महीने लग गए । (जो कि सिडकुल द्वारा दी गयी सरकारी समय सीमा अवधि का उल्लंघन भी है)
18 महीने खो जाने के बाद कपिल कुमार ने एक्सटेंशन के लिए ११ Nov 2018 में समय विस्तार एप्लीकेशन लगायी। बहुत सारे ईमेल और कॉल किये पर कोई जवाब नहीं आया. एक कॉल उठ जाने के बाद इन्होने एक्सटेंशन अंडरटेकिंग की मांग की और प्रारूप बताया. 11 Mar 2019 को कपिल कुमार ने अंडरटेकिंग कूरियर और ईमेल दोनों पंहुचा दिए।
सिडकुल अधिकारी KN Nautiyal और इनका स्टाफ हमेशा की तरह ये अंडरटेकिंग भी टालते रहे और फ़ोन पर झूठ बोलते रहे। KN Nautiyal ने कहा कि फाइल प्रोसेस्ड हो चुकी हैं; और फिर १० दिन में एक्सटेंशन लेटर मिलने का भरोसा दिया;’ और फिर उन्होंने कहा कि ऍमडी साहब कि वजह से नहीं हुआ; और आखिर में जून 2019 में उन्होंने ये कहा कि मेरी कोई ज़िम्मेदारी नहीं हैं | (ये सारा संचार टेलीफोन में रिकार्डेड हैं)।

ऐसा प्रतीत होता हैं कि सिडकुल अधिकारियों की ये सुनियोजित समय को पार करने कि और प्लाट को कैंसिल करने की साजिश हैं नहीं तो 7 महीने से ज्यादा से एक एप्लीकेशन का रिप्लाई न देना और 4 महीने से एक अंडरटेकिंग पर लगातार झूठ बोलते रहना और गुमराह करते रहना, वो ऐसा क्यों करेंगे?
7 महीने गुज़र गए (10 June 2019), 20 से ज्यादा लिखित कम्युनिकेशन और 30 से ज्यादा ऑफिसियल कम्युनिकेशन के बाद भी किसी ने भी इस आवेदन का निष्कर्ष और जवाब नहीं दिया।
Sidcul GM Prakash Chandra Dumka और कुछ अन्य अधिकारी सभी ईमेल संचार का हिस्सा हमेशा से रहे।
कपिल कुमार का कहना है की जब ये बात व्हाट्सप्प ऑफिसियल ग्रुप पर रखी गयी तो आईएएस C Ravi Shankar ने GM, Siidcul, प्रकाश चंद्र दुमका से इस बात की जवाबदेही मांगी. जिस बात से नाराज़ होकर प्रकाश चंद्र दुमका ने हमें फोन किया और अनियमितताओं को दूर करने की बजाय, हमारे प्रश्न पूछने को “बदतमीज़ी की पराकाष्टा” कहा। हालाँकि ये सारी बातें उनके संज्ञान में शुरू से ही थी, उसके बावजूद उन्होंने सारी अनियमितताओं को नज़र अंदाज़ करके हमसे 6 महीने की एक नयी अंडरटेकिंग की मांग की और अब हमे एक हफ्ते में दूसरा नोटिस प्लाट कैंसलेशन प्रर्किया का भी भेज दिया हैं।
इन तथ्यों से साफ़ प्रतीत होता हैं कि न सिर्फ सिडकुल अधिकारियों ने एक लोक सेवक के रूप में कार्यालय का दुरुपयोग किया बल्कि इन्वेस्टर का उत्पीड़न किया, उसके निवेश को नुक्सान पहुँचाया (जो कि कोशिश अभी भी जारी हैं), उसके समय को तुच्छ समझा और साथ ही साथ राज्य की प्रगति योजनाओ को भी रोका और नुक्सान पहुँचाया और पहुंचा भी रहे हैं।
कपिल कुमार का कहना है “कोई भी इन्वेस्टर ऐसे भ्रष्ट, अभिमानी, अव्यवसायिक वातावरण में काम नहीं कर सकता है और ऐसा कल्चर उत्तराखंड के लिए बहुत ही बदनामी की बात है”
हम केवल इतना चाहते है की प्रशासन इन सब बातो और तथ्यों पर ध्यान दे और निर्णय ले और निवेशक के प्रति जिम्मेदारी निर्धारित करें। जिम्मेदार और नैतिक लोगों को कुर्सी पर बिठाएं। गलत काम कर रहे लोगो की जवाबदेही तय करे और उन्हें कानून के अनुसार नियमों के उल्लंघन के लिए दंडित किया जाए।


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