बिग ब्रेकिंग: पत्रकार राजीव गौड़ की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक। अवैध खनन पर खुलासे के कारण हुई थी एफआईआर
उत्तराखंड में कोटद्वार के पत्रकार राजीव गौड़ की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। गौरतलब है कि, कोटद्वार के पत्रकार राजीव को कोटद्वार में अवैध खनन लाइव कवरेज कर रहे थे। इस दौरान अवैध खनन मे लिप्त खनन माफिया ने पत्रकार राजीव गौड़ और उनके साथी मुजीब नैथानी पर जानलेवा हमला कर दिया था। जबकि पत्रकार राजीव गौड़ पुलिस को पहले से ही सूचना देकर कवरेज के लिए गए थे। चोटिल होकर जब पत्रकार राजीव गौड़ और मुजीब नैथानी हमलावरों के खिलाफ कोटद्वार थाने में गए तो अवैध खनन करने वालों के खिलाफ पुलिस ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की तथा साधारण धाराओं में मुकदमा लिख दिया। लेकिन देर रात अवैध खनन करने वालों की तहरीर पर पत्रकार राजीव गौड़ और मुजीब नैथानी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया था। तभी से पत्रकार गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की शरण में चले गए थे।
पत्रकार उमेश ने कराई पैरवी
मुजीब नैथानी और राजीव गौड़ दोनों को वरिष्ठ पत्रकार उमेश कुमार ने कानूनी सहायता उपलब्ध कराई थी तथा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए सीनियर अधिवक्ताओं की व्यवस्था कराई थी। मुजीब नैथानी को हाई कोर्ट उत्तराखंड से अरेस्ट स्टे मिल गया था। पत्रकार राजीव गौड़ हाई कोर्ट उत्तराखंड से नहीं मिल पाया था। अब राजीव की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। पत्रकार उमेश कुमार कहते हैं कि “यह दौर उत्तराखंड में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले पत्रकारों के लिए बड़ा कठिन दौर है तथा उत्तराखंड के हितों के लिए गंभीर पत्रकारों और समाज के अन्य वर्ग को एक दूसरे की सहायता के लिए एकजुट होना ही आज के समय की सबसे बड़ी मांग है।” पत्रकार राजीव गौड़ ने कहा कि राज्य आंदोलन के लिए भी वह ढाई महीने जेल में रहे थे तथा राज्य हित के लिए उन पर चाहे जितनी भी मुकदमे हों, वह पीछे नहीं हटेंगे। राजीव गौड़ ने कहा कि पहले वह राज्य बनाने के लिए लड़े और अब वह राज्य को संवारने के लिए लड़ रहे हैं।”
त्रिवेंद्र और ओमप्रकाश के पास है खनन
उत्तराखंड का यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि खनन मंत्रालय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है और शासन में खनन अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश संभाल रहे हैं। उत्तराखंड में सरकार ही अवैध खनन में लिप्त है और खनन माफिया को संरक्षण देने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने कई सारे शासनादेश भी जारी किए हैं। जिसके कारण उत्तराखंड सरकार को नैनीताल हाई कोर्ट की लताड़ भी खानी पड़ी है तथा उत्तराखंड सरकार को नैनीताल हाई कोर्ट मे भी अपनी गलती भी स्वीकार करनी पड़ी है।
इसके बावजूद उत्तराखंड में अवैध खनन को खुला संरक्षण दिया जा रहा है और उत्तराखंड सरकार के चहेते तथा प्रभावशाली लोग अवैध खनन से जमकर काली कमाई कर रहे हैं और उत्तराखंड के खजाने को जमकर चूना लगा रहे हैं। यदि कोई पत्रकार अवैध खनन या अन्य काले कारनामों के खिलाफ कवरेज करता है तो उल्टा उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिये जाते हैं।