- सालभर में मिलने वाली सभी सीएल का छात्रहित में किया त्याग।
- पिछले दो वर्षों से एक भी आकस्मिक अवकाश न लेकर कायम की अनोखी मिसाल।
- त्याग व समर्पण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं शिक्षक उपाध्याय।
चंपावत। हमारे जीवन को आकार देने और बेहतर भविष्य का निर्माण करने में शिक्षकों की अहम भूमिका है। एक शिक्षक ऐसी मशाल है जो सैंकड़ों चिरागों को रौशन करता है। राउमावि खूनाबोरा में कार्यरत शिक्षक प्रकाश चन्द्र उपाध्याय ऐसे ही एक कर्णयोगी शिक्षक हैं, जो त्याग और समर्पण की एक मिसाल कायम कर चुके हैं।
उन्होंने अपने घर परिवार को छोड़कर निर्धन और अपवंचित छात्रों के लिए वर्षभर में मिलने वाले 14 आकस्मिक अवकाशों में से एक भी अवकाश नहीं लिया और रविवार एवं अन्य अवकाश के दिनों में किए गए विभागीय कार्यों के बदले मिलने वाले 32 प्रतिकर अवकाशों को भी छात्रहित में उन्होंने त्याग दिया।
उपाध्याय ने वर्ष भर में कुल निर्धारित कार्य दिवसों से कहीं अधिक दिन कार्य किया है। उनके द्वारा निरंतर ग्रीष्मावकाश,शीतावकाश एवं अन्य अवकाश के दिनों में भी शिक्षण कार्य किया जाता रहा है,जिसके फलस्वरूप दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों ने बोर्ड परीक्षा में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन किया। श्री उपाध्याय द्वारा पढ़ाए गए विषय सामाजिक विज्ञान में सभी बच्चों ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की और अधिकांश बच्चों ने 75 तथा 90 से अधिक अंक प्राप्त किए। यही नहीं अवकाश दिवसों तथा अतिरिक्त शिक्षण कार्य के फलस्वरूप पिछले वर्ष उनके तीन छात्रों का चयन राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा में हुआ तथा आठ छात्रों का चयन मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति परीक्षा में हुआ। उक्त परीक्षाओं में सफल छात्र-छात्राओं को 48 हजार से 72 हजार तक की छात्रवृत्ति मिलेगी।
श्री उपाध्याय का कहना है कि यदि हम अपने कार्य पूर्ण मनोयोग से करें और प्रत्येक बच्चे को अपने परिवार का सदस्य मानकर कार्य करें तो वर्षभर में किसी भी अवकाश की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बिना थके,बिना रुके किए गए शिक्षक उपाध्याय के प्रयासों के कारण उनके छात्र सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के साथ ही विभिन्न राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना लगातार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवा रहे हैं।
श्री उपाध्याय के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा देवभूमि उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार,विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान,शोध गुरु सम्मान, महानिदेशक एटीआई,महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा,निदेशक आरआईई अजमेर,निदेशक एससीईआरटी, जिलाधिकारी चंपावत तथा अन्य कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रमुख शिक्षाविदों तथा अभिभावकों का कहना है कि इस प्रकार किए गए त्याग और समर्पण से निश्चित ही पुनः सरकारी विद्यालय अपना पुराना गौरव प्राप्त कर सकेंगे। प्रकाश उपाध्याय जैसे शिक्षक एक आदर्श शिक्षक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन छात्रों के लिए ही समर्पित किया हुआ है। ऐसे कर्मयोगी शिक्षक निश्चित ही समाज के एक पथ प्रदर्शक हैं।
फोटो – शिक्षक प्रकाश चन्द्र उपाध्याय।