आयुष छात्रों की जीत। फीस बढोतरी को ठहराया गलत
ज्ञानेन्द्र कुमार
लोकतंत्र में न्याय की सर्वोच्च पीठ यानि मा. उच्चतम न्यायालय ने प्रदेश के आंदोलनरत आयुष छात्रों के हक में आज फैसला सुनाकर पुनः इस बात की पुष्टि कर दी कि पैसे और सत्ता की हनक के बल पर अन्याय नहीं किया जा सकता। हिमालयन आयुर्वेदिक कॉलेज की कोरोना काल की वजह से लगातार टलती आ रही याचिका पर आज मा. उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति अरुण मिश्र, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सुनवाई की।
कॉलेज, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरुद्ध अपील में गया था, जिसमें निजी कॉलेजों की फीस बढ़ोतरी को गलत ठहराया गया था । यह निर्णय छात्रों के हित में था, किंतु तमाम आंदोलनों के बाद भी कॉलेज इस निर्णय को मानने को तैयार नहीं थे। ललित तिवारी के नेतृत्व में छात्र 2 माह तक खुले आसमान के नीचे आंदोलनरत रहे थे। आज छात्रों की लड़ाई को उनका मुकाम हासिल हुआ।
न्यायपीठ ने याची को अन्य किसी पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिये भी प्रतिबंधित कर दिया। एक ओर पैसे और सत्ता की गर्मी, दूसरी ओर चंदा जमाकर भूखे प्यासे रहकर छात्रों की लड़ी गयी यह लड़ाई अन्तोगत्वा विजय पर समाप्त हुई । यह निर्णय अन्य कॉलेजों के लिये भी नज़ीर बनेगा ।