पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ नेता केदार सिंह फोनिया का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। आपको बता दें केदार सिंह फोनिया ने वर्ष 1991 में भाजपा से राजनीति में प्रवेश किया।
1992 में यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री थे। इस दौरान पहली बार यूपी सरकार ने राममंदिर के लिए 2.77 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। तब उस फाइल पर बतौर पर्यटन मंत्री फोनिया ने ही हस्ताक्षर किए थे।
इसके बाद सन् 1993 और सन् 1996 में वे लगातार विधानसभा चुनाव जीते। नव – गठित राज्य की अन्तिरिम सरकार में वे पर्यटन और उद्योग मंत्री रहे। वर्ष 2002 का चुनाव वे हारे परन्तु वर्ष 2007 को वे पुनः विधायक निर्वाचित हुए।
भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए चमोली के निर्दलीय विधायक राजेंद्र भंडारी और यूकेडी का समर्थन लिया था और भंडारी और देवप्रयाग विधायक दिवाकर भट्ट को मंत्रिमंडल में शामिल किया था।
2007 में निर्वाचित होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिल पायी थी।
वर्ष 2012 में टिकट न मिलने पर फोनिया चुनाव लड़े और हार गए थे।2019 में वापस भाजपा में शामिल होने के बाद अब उन्होंने पीएम मोदी के विजन और उनके कार्यों की तारीफ की।
भुवन चंद्र खंडूरी से नाराजगी।
केदार सिंह फोनिया की पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी से नाराजगी की वजह बताई जाती है कि खंडूड़ी सरकार की कैबिनेट में फोनिया को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया। कुल मिलाकर फोनिया को उम्मीद थी कि उनका बालसखा उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाएगा परंतु ऐसा नहीं हो सका।
इसके अलावा केदार सिंह फोनिया ने हरक सिंह के चुनाव प्रचार में जाकर सभी को चौंका दिया था। उनको यह लगता था कि एक मात्र हरक सिंह ही हैं जो खंडूरी को सियासत की पिच पर पटखनी दे सकते हैं।
वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा ने फोनिया को टिकट नहीं दिया लगातार हो रही उपेक्षा से नाराज फोनिया ने उत्तराखंड रक्षा मोर्चा का दामन थामा। वह भंडारी के खिलाफ चुनाव लडे़, लेकिन हार गए।
कुछ समय बाद ही फोनिया आप में शामिल हो गए थे। आप ने उनसे चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया था। लेकिन वे चुनाव नहीं लड़े।
जनरल बीसी खंडूड़ी के बेटे के कांग्रेस से चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि खंडूड़ी जी ने भाजपा के साथ बहुत बड़ा कपट छल किया है।
2019 में त्रिवेंद्र रावत सरकार में घर वापसी कर भाजपा में शामिल होने के बाद अब उन्होंने पीएम मोदी के विजन और उनके कार्यों की तारीफ की।यही नहीं, फोनिया के साथ पूर्व आइएएस सुबर्धन साह व एमसी उप्रेती ने भी भाजपा का दामन थामा था।