ऊर्जा प्रदेश के अस्पताल में टार्च की रोशनी में इलाज
– लो जी! ऊर्जा प्रदेश में, एक अस्पताल में टॉर्च से इलाज करते डॉक्टर मामला रिखणीखाल द्वारी अस्पताल का
लैंसडौन। जनपद गढ़वाल का रिखणीखाल प्रखंड के राजकीय चिकित्सालय आजकल बहुचर्चित और सुर्खियों में है। विगत दिनों में रिखणीखाल विकासखण्ड स्तर के अस्पताल में एक गर्भवती की डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से मौत हो गई थी तो ये मामला सोशल मीडिया में खूब चला। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मामले की जांच की मांग की और युवाओं के एक दल ने भी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था।
अब आपको उस अस्पताल के बारे में बताते हैं। जहां पर टॉर्च की रोशनी में इलाज होता है। मामला राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारी का प्रकाश मे आया है कि, दिनांक 04/07/2020 रात्रि 09-15 बजे एक मरीज स्वास्थ्य केंद्र द्वारी लाया गया। उसे पैर मे चोट लगी थी। लेकिन आप देख रहे हैं कि चिकित्सक डाक्टर अंजु चौहान व उनका स्टाफ अंधेरे मे टार्च व मोबाइल की रोशनी मे मरहम पट्टी व इंजेक्शन आदि उपचार कर रहे हैं।
इस चिकित्सालय को खुले हुए कई साल हो गये हैं, लेकिन इस भवन मे अभी तक विद्युत संयोजन नही है। आवश्यक दवाईयां भी बिना फ्रीज के खराब हो रही हैं। सुना है इस राज्य को ऊर्जा प्रदेश के नाम से भी पुकारा जाता है लेकिन यहां तो अंधकार ही नजर आ रहा है। नीति नियंताओ से निवेदन है कि जरा इस तरफ नजर घुमाये।ऐसे ही यहां कई उदाहरण मिलेंगे।
रिखणीखाल में स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों बदहाल
स्थानीय ग्रामीण बालम सिंह गुसांईं बताते हैं कि रिखणीखाल ब्लॉक के अंतर्गत 4 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 15 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें रिखणीखाल स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक डॉक्टर सहित 12 कर्मचारी नियुक्त हैं। उत्तराखंड सरकार ने 2 साल पहले इस अस्पताल को अपग्रेड करते हुए 14 अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति का आदेश दिया था, किंतु आज तक इस अस्पताल में है नियुक्ति नहीं हुई है।
इस अस्पताल में लापरवाही के चलते कई लोगों की जानें गई हैं। इसी तरह रिखणीखाल ब्लॉक के अंतर्गत 104 प्राइमरी स्कूल 20 मिडिल स्कूल और सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। कई स्कूल खंडहर बन चुके हैं यहीं खंडहरों में बच्चों की पढ़ाई का काम चलता है। इसके लिए पूरी तरह से विधायक और स्थानीय जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं।
साभार- पहाड़ समाचार