प्राधिकरण की शह पर आम के बगीचों में चल रही खुलेआम आरियां, वन विभाग मौन
● वन विभाग और उद्यान विभाग दे रहा आम के हरे फलदार पेड़ों को काटने की अनुमति
● उद्यान विभाग और डीएफओ कार्यालय से कुछ मीटर दूर हो रहा हरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। नगर निगम क्षेत्र में भूमाफियाओं द्वारा खुलेआम आम के हरे भरे बागों में आरियां चलवाई जा रही हैं। मानकों को ताक पर रखकर 30 से 40 आम के हरे पेड जो कि बमुश्किल 25 से 30 साल पुराने हैं, धरासाई कर दिए हैं। बात यहीं नही थमी, आम के बगीचे में विलुप्त प्रजातियों के पीपल, गूलर व शीशम के पेड भी नही बख्शे।
रतनपुर कुम्भीचौड में आम के कटे हरे पेेड़
गौरतलब है कि, पूर्व में भी वार्ड नं 1और 2 की सीमा पर सटे रतनपुर, कुम्भीचौड में आम और पीपल के हरे पेड धरासाई किए गए थे, जिसकी जानकारी उद्यान विभाग और वन विभाग को थी। लेकिन कार्यवाही नहीं की गई, वर्तमान में वहां भवन निर्माण जारी है। वन और उद्यान विभाग की मौन मंजूरी से उत्साहित भू माफियाओं द्वारा लगभग 10 बीघा भूमि में हरा-भरा आम का फलदार बाग नष्ट कर आवासीय बनाया जा रहा है। वहीं भूमाफियाओं और बिल्डरों ने वन व उद्यान विभाग के अधिकारियों के आशीर्वाद से एक दो पेडों की अनुमति लेकर 30 से 40हरे पेड़ों का सफाया कर डाला है।
कोटद्वार का राजस्व विभाग भी मानकों की अनदेखी कर भू माफियाओं को खुला समर्थन देता दिखाई देता है। रेरा कानून के तहत नयी कॉलोनियों या आवासीय क्षेत्र विकसित करने के लिए रेरा में पंजीकृत होना अनिवार्य है। वहीं जिला विकास प्राधिकरण पौड़ी भी इस सम्बन्ध में मौन स्वीकृति देकर भूमाफियाओं के हौसले बुलंद कर रहा है। कोटद्वार के विकास प्राधिकरण के कर्मचारी सनेह वार्ड नं 1 से लेकर सिगड्डी वार्ड नं 40 तक छापामारी कर गरीब और जरूरतमंद भवन स्वामियों को तो अपनी हनक दिखा रहे, लेकिन बडे स्तर पर कॉलोनियां काटने वाली प्रोपर्टी पर कोई कार्यवाही नहीं करते।
हरे आम के फलदार पेड़ कटवाने में उद्यान विभाग कोटद्वार लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। उद्यान विभाग पर भाजपा और वन मंत्री के एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि का खासा दबाब भी बताया जा रहा है। अगर इसी तरह फलदार पेड़ों पर मानकों को धरासाई कर आवासीय कॉलोनियां बनाने के जिम्मेदार सरकारी विभागों का सहयोग बिल्डरों को मिलता रहा तो आने वाले दिनों में कोटद्वार की आबो-हवा दिल्ली, मुम्बई जैसी होने में देर नहीं लगेगी।
पर्वतजन एनजीटी से भी इस सम्बन्ध में गंभीरता से संज्ञान लेने की अपील करता है। एक ओर तो राज्य में एनजीटी आम जनता से सम्बंधित विकास योजनाओं में आने वाले हरे पेड़ों को काटने में बाधक बन जनहित की योजनाओं को रोक देता है, वही निजी बिल्डरों और प्रापर्टी डीलरों के मामले में चुप्पी साध लेता है। जो कि एनजीटी को भी कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है।