राज्य मे जीरो टोलरेंस का आलम यह है कि वर्ष 2013 से अब तक 197 पुल टूट चुके हैं लेकिन न इनके निर्माण का हिसाब-किताब है और न ही रिपेयर का। फिर दोषियों को चिन्हित करने और सजा देने की बात करना तो दूर की कौड़ी है। आरटीआइ मे एक बड़ा खुलासा।
कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में आपदा से प्रभावित पुलों के निर्माण में विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च करे हैं, जबकी अभी भी यहां हालात ऐसे हैं कि बीते सप्ताह दो छात्राएं बिन पुल की नदी पार करने में बह गई जिसमें एक को जान गंवानी पड़ी। केदारनाथ आपदा से अबतक राज्य में लगभग 200 पुल पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुके हैं।
हल्द्वानी निवासी आर.टी.आई.कार्यकर्ता हेमंत गौनिया द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई सूचना के आधार पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
एक जून 2019 को लोक सूचना अधिकारी कार्यालय से प्राप्त सूचना के आधार पर लोक निर्माण विभाग द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि राज्य बनने के बाद तेरह वर्षों तक पुलों के निर्माण और रिपेयर का कोई हिसाब नहीं रखा गया है।
विभाग ने बताया है कि इन पुलों के नवनिर्माण और पुनः निर्माण में शासन से प्राप्त लगभग 892 करोड़ से अधिक रुपये के सापेक्ष में लगभग 815 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। इसके बाद बची कुल 77 करोड़ की धनराशि को शासन को लौटा दिया गया है।
सूचना में कहा गया है कि राज्य के निर्माण से अबतक कुल 1985 पुलों का निर्माण किया गया। इन निर्मित पुलों में से 1427 मोटर पुल हैं जबकि 531 पैदल पुलों का निर्माण किया गया साथ ही बताया गया है कि कुल 195 पुलों का निर्माण कराया जा रहा है।
विभाग के अनुसार केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 से अभी तक लगभग 383 करोड़ की धनराशि पुल निर्माण के लिए दी है जबकि राज्य सरकार ने लगभग 508 करोड़ रुपया पुल निर्माण और रिपेयर में लगाया है।
इतने के बावजूद पुलों के हाल ऐसे हैं कि मुनस्यारी के घटगाड नाले पर बने पुल के 2016 मे बहने के बाद एक लकड़ी का पुल बना था लेकिन वह भी टूट गया और 13 अगस्त को दो बहनें बह गई थी। जिसमें एक की मौत हो गई थी। उसके बाद उत्तरकाशी के एक गांव मे पुल टूटने के बाद रस्सी के सहारे नदी पार करने की वीडियो वायरल हो गयी थी।
अहम सवाल यह है कि इतने पुल टूटने के बाद आखिर कितनों की जिम्मेदारी तय की जा सकी है !