जगदम्बा कोठारी
अब शिक्षित बेरोजगार सरकार महासंघ के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है। पूर्व सीएम हरीश रावत आंदोलन मे घी डालने का काम कर रहे हैं। रावत ने कहा है सरकार ने रोजगार के नाम पर प्रदेश के युवाओं के साथ छल किया है। कांग्रेस प्रदेश के बेरोजगारों के साथ खड़ी है।
वन आरक्षी की लिखित परीक्षा मे हुई गड़बड़ी को लेकर महासंघ ने परीक्षा रद्द करने की मांग की है।
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले का संज्ञान लेकर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों से पूरी जानकारी ली और भविष्य में व्यवस्थाएं और बेहतर बनाने के लिए कहा है।
इस मामले में डीआईजी ने एसआईटी टीम का गठन करके इसकी जांच सीओ सिटी शेखर सुयाल को सौंप दी है। गौरतलब है कि 2017 और 18 में भी भर्तियों को लेकर हुई गड़बड़ियों की जांच अभी तक बेहद सुस्त चल रही है।
इस परीक्षा के दौरान पूरी तरह से परीक्षा की गोपनीयता भंग रही। रविवार को जिस तरह से फिल्मी अंदाज मे उत्तराखंड सरकार की नाक के नीचे परीक्षा केंद्रों मे इतनी बड़ी धांधली हुई, उसके बाद से प्रदेश मे हड़कंप मचा है।
परीक्षार्थी खुलेआम परीक्षा केंद्रों पर मोबाईल लेकर गये। ब्लू टूथ हेडफोन के जरिये बाहर से प्रश्नों के उत्तर बताये गये। वह भी तब जबकि प्रदेश के वन मंत्री दिग्गज नेता डा. हरक सिंह रावत हैं।
वर्ष 2017 मे अधिनस्थ चयन आयोग ने समूह ‘ग’ के तहत 1218 वन आरक्षी के रिक्त पदों पर भर्तियां निकाली थी। जिसमे कुल 1,56,044 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमे से गढ़वाल मंडल के सात जिलों मे कुल 59037 और कुमांऊ मंडल के 6 जिलों मे कुल 40243 परिक्षार्थियों ने लिखित परीक्षा दी।
भर्ती परीक्षा नियमावली मे संशोधन होने के बाद से आयोग ने शारीरिक परीक्षा से पहले ही रविवार 16 जनवरी 2020 को प्रदेश के 376 परिक्षा केंद्रों मे दो पालियों मे लिखित परिक्षा आयोजित करवायी।लेकिन परीक्षा काॅपी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी और मामला गर्मा गया।
खुलासे मे पुलिस को हैरान करने वाली जानकारियां प्राप्त हो रही हैं। प्रदेश भर मे अब तक दो दर्जन से अधिक लोगों पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस पूछताछ जारी है। एसटीएफ ने रूड़की के मंगलौर और पौड़ी कई लोगों को हिरासत मे लिया है।
एसटीएफ डीआईजी रिद्दिम अग्रवाल के मुताबिक सूचना मिली थी कि रविवार को एक गिरोह परीक्षा केंद्रों मे प्रश्नपत्र आउट कर बाहरी लोगों से उत्तर उपलब्ध करा रहे हैं। पुलिस ने टीम गठित कर छापेमारी मे रूड़की मंगलौर के दो युवकों को दबोचा जिसकी निशानदेही पर अन्य गिरफ्तारियां भी जारी हैं। पूछताछ मे दोनों आरोपियों ने बताया कि वह पांच से सात लाख रूपये लेकर मोबाइल फोन और ब्लूटूथ डिवाइस के जरिये परीक्षा केंद्र मे बैठे अपने फिक्स परीक्षार्थियों को बाहर से सही उत्तर बता रहे थे।
परीक्षा मे हुई इस धांधली का पता तब चला, जब सोशल मीडिया पर डीएवी पीजी काॅलेज के कक्ष संख्या 13 मे से एक छात्र की ओएमआर शीट वायरल हो रही थी। शिक्षित बेरोजगारों द्वारा परिक्षा के लिए बीते तीन वर्षों से तैयारी की जा रही थी। भर्ती से उत्साहित प्रदेश के डेढ़ लाख युवाओं ने इसके लिए आवेदन किया और महीनों पसीना बहाया मगर अब प्रश्न पत्र आउट होने से परिक्षा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और परीक्षा देने वाले एक लाख युवाओं का भविष्य और तीन वर्षों की मेहनत दांव पर लगी है।
उत्तराखंड मे प्रतियोगी परिक्षाओं मे धांधली का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश मे पटवारी भर्ती घोटाला, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, ऊर्जा निगम मे जेई भर्ती, फार्मासिस्ट भर्ती, एम्स भर्ती घोटाला समेत लगभग दर्जन विभागों मे भर्तियों के नाम पर बड़ी लापरवाही सामने आ चुकी है।
बहरहाल इस गिरोह का मास्टर माइंड रूड़की निवासी मुकेश सैनी को उसके कोचिंग सेंटर से गिरफ्तार कर लिया है। वह 2016 मे भी ऐसे ही आरोपों मे गिरफ्तार किया जा चुका है।
वहीं आज उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग ने भी परीक्षा की उत्तर सूची प्रकाशित कर दी है, जबकि परिक्षा के दिन ही प्रेस रिलीज कर 18 फरवरी को प्रश्नपत्र की उत्तर कुंजियां वेबसाईट पर डालने का दावा किया था और साथ ही आयोग ने परिक्षा मे किसी भी प्रकार की गडबड़ी के आरोपों को निराधार बताया था लेकिन अब प्रकरण मे बड़े बवाल के चलते आयोग ने एक दिन बाद आज वेबसाईट पर उत्तर सूची डाली है। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर युवा जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक डोभाल ने प्रदेश सरकार की शह पर परिक्षा की गोपनियता भंग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्ण बहुमत की सरकार के 57 विधायकों मे से एक भी विधायक इस मसले पर बोल नहीं रहा है क्योंकि सबके चहेतों को नकल करवायी गयी।
परीक्षा केंद्रों मे मोबाईल प्रवेश पर रोक नहीं थी, कई केंद्रों पर मामूली चैकिंग तक नहीं हुई। यह सब सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि सरकार यदि इस माह की 25 तारीख तक भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर दोबारा परीक्षा करवाने का आदेश जारी नहीं करती है तो प्रदेश के हजारों बेरोजगार सड़कों पर उतरेंगे।
जहां बेरोजगार संघ ने सरकार को सोशल मीडिया पर चौतरफा घेर लिया है तो वहीं हरीश रावत भी मुद्दे को भुनाने मे लगे हैं।
विपक्ष त्रिवेंद्र सरकार को जिस तरह घेरने मे कामयाब दिख रहा है और जिस प्रकार शिक्षित बेरोजगारों मे आक्रोश है उसे देखकर तो यही लगता है कि हाल ही मे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों से पूरी तरह बाहर भी न निकल सके मुख्यमंत्री के लिए परीक्षा की गोपनीयता भंग होने का मुद्दा मुसीबत बन गया है।