पुष्कर सिंह धामी जी ने मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश में बेरोज़गारी कम करने और रोज़गार देने की बात कही इसके चलते उन्होंने बेरोज़गारों को नियुक्तियों में कोरोना के चलते एक वर्ष की छूट दी ।
उसके विपरीत वूमेन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सुद्धोवाला के निदेशक, डाo.आर.पी.एस गंगवार ने अपने 16 महीने के कार्यकाल में 18 लोगो को जो की वर्षो से इस कॉलेज में कार्यरत थे नौकरी से बाहर निकाला या पद मुक्त किया है ।
जब इनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों किया तो डायरेक्टर महोदय ने फंड का न होना या पैसा कम होना बताया है। डाo.आर.पी.एस गंगवार, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर यूनिवर्सिटी से संबंधित है और चार्ज पर वूमेन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सुद्धोवाला के निदेशक के पद पर डेपुटेशन पर आसीन है ।
वही डाo.आर.पी.एस गंगवार self fiinaced कॉलेज से अपनी सैलरी 7th pay commission ले रहे है जो कि तक़रीबन 2,85,000 है।
साथ मे AICTE के भत्ते अलग से ले रहे है और परमानेंट फैकल्टी को पूरा 6th pay भी नही दे रहे है, अगर निदेशक गंगवार यही सैलरी वह अपने मूल इंस्टिट्यूट पंतनगर से लेते तो कॉलेज का साल का तकरीबन 36 लाख रुपये बचता। जैसे संस्थान में और भी कर्मचारी कार्यरत है जो अन्य संस्थान से है पर वह अपनी सैलरी अपने parent institute यानी कि मूल संस्थान से ले रहे है जिससे संस्थान पे कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नही पड़ता। और जिन 18 से 20 लोगों को डाo.आर.पी.एस गंगवार ने अपने कार्यकाल में कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखाया है। वह आज इनकी ज़िद के चलते बेरोज़गार नही होते।
बेरोज़गार हुए लोगो मे 3 फैकल्टी , सफाई कर्मचारी व TEQIP-III स्टाफ मेंबर्स है। जिनमे से 3 फ़ैक्टली ने अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ माननीय हाइकोर्ट की शरण ली है।
संस्थान हर महीने 20,000 रुपये सैलरी हाइकोर्ट के वकील को देता है एवं इसके बाद भी extra payment Rite/etc के नाम पर दिया जाता है जो कि सरासर गलत है। यह भी डाo.आर.पी.एस गंगवार की देन है।
संस्थान के वकील को बदलने के लिए अंतरिम BoG में कहा गया था क्योंकि उनका कॉन्ट्रैक्ट जुलाई 2021 को समाप्त हो रहा था।
डाo.आर.पी.एस गंगवार उसके चलते BoG नही कराई क्योंकि उसमें संस्थान के वकील को बदलना ही था तब इन्होंने BoG को bypass करते हुए दिल्ली जाकर नये चेयरमैन के पास जाकर उनका approval ले आये पर वो किसी ने देखा नही और उसके बाद भी वकील को संस्थान से 20000 रुपये के अतिरिक्त भी धनराशी दी जा रही है जो नियमविरुद्ध है।
जब प्रदेश पर कोरोना काल चरम पर था तब इन फैकल्टी मेम्बेर्स और स्टाफ को कॉलेज से बहार का रास्ता दिखाया गया है जो कि सरासर अमानवीय था।
कोरोना काल के समय फ़ैक्टली और स्टाफ को भी कोरोना हुआ तो इन्होनें किसी को भी बहार बताने से मना किया। डाo.आर.पी.एस गंगवार के समय कोरोना के नियमों की खुलकर धज्जियाँ उड़ाई गयी नतीजन वर्षो से से कार्यरत कॉलेज की assistant accountant श्रीमती नीलम हटवाल कोरोना ने मौत हो गयी। इन्होंने शासन के GO के बाद भी कॉलेज में रोस्टर भी बहुत दिनों के बाद लगाया वो भी सिर्फ स्टाफ के लिए था फैकल्टी को रोज़ संस्थान आने पे मजबूर किया गया।
डाo.आर.पी.एस गंगवार संस्थान के फैकल्टी और स्टाफ से सैलरी का 10 प्रतिशत PM relief fund के नाम पर काटा जो कि आजतक PM relief fund में जमा नही करवाया और उससे संबंधित कोई दस्तावेज़ किसी को नही दिखाएं गये और नही किसी फैकल्टी स्टाफ की ITR में रिफ्लेक्ट हुआ। TEQIP-III प्रोजेक्ट के तहत संस्थान में निदेशक द्वारा जमकर खरीद फरोत हुई जिसमें फर्नीचर टेंडर हल्द्वानी 1 या 2 कंपनियों से लिया गया और 370 छात्राओं के लिए इतना अधिक फर्नीचर लिया गया जिसका utilization होना नामुमकिन और असंभव है और लाखों का फर्नीचर 3rd और 4th floor में धूल खा रहा है ।
संस्थान में निदेशक द्वारा सिविल कंस्ट्रक्शन के नाम पर संस्थान के खाते से 5 लाख की पेमेंट हुई कि मैकेनिकल की वर्कशॉप के ऊपर लाइब्रेरी बनाने को जिसमे कोई काम नही हुआ बस 5 लाख पेमेंट हुई।इसी तरह CA की 2.50 लाख की पेमेंट हुई जो कि नही होनी चाहिए थी।