स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- उबड़ खाबड़ रास्तों से फूली सांसों के साथ अपनी बीमार दादी को अस्पताल ले जाने के लिए मोटर मार्ग तक लाए युवा। शहरों की चकाचौंध से दूर इस विकसित राज्य के मूल निवासियों को आज भी मोटर मार्ग तक पहुंचने के लिए घंटों पैदल चलना पड़ता है।
नैनीताल जिले में भीमताल और धारी ब्लॉक के बबियाड गांव के लोग आज भी लगभग पाँच किलोमीटर चलकर मुख्य मार्ग तक पहुंचते हैं। इस क्षेत्र में पड़ने वाले गांव के ग्रामीण, विकास से कोसों दूर आज भी एक मात्र सडक के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाए देखते हैं। गांव की सड़कें, चुनाव आते ही राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं और चुनाव जाते ही इन समस्याओं को भुला दिया जाता है। आजादी से आज तक इस गांव में मोटर मार्ग नहीं पहुंच सका है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को बीमार, दुल्हन, गर्भवती, नवजातों और वृद्धों के साथ राशन को पीठ पर लादकर ले जाकर चुकाना पड़ता है। बताया जा रहा है कि विधायक ने दो किलोमीटर सड़क शुरू कराई, लेकिन काम शुरू होते ही वन विभाग ने नियमों का हवाला देते हुए काम बंद करवा दिया। इसके बाद से अबतक सड़क का काम रुका हुआ ही। इससे पहले भी इस गांव से एक डोली में बीमार महिला को ले जाने की खबर के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी सवींन बंसल इस गांव में पहले जिलाधिकारी के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने इस मार्च को जिला स्तर से राज्य सेक्टर में ट्रांसफर कर योजना शुरू की थी और वहां के लोगों में उनकी कार्यशैली से बड़ी आस जगी थी। हालांकि, वर्षों बाद मोटर मार्ग आज तक फाइलों में ही दफन है।
इन मार्गों से छात्र छात्राओं को स्कूल पढ़ने के लिए कई किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। खेतों की कच्ची फसल खेत में ही सड़ जाती है, बीमार को डोली में रखकर मुख्य मार्ग तक ले जाया जाता है। आज की घटना में भी मोहनी देवी की अचानक तबीयत खराब हो गई। अपनी जान हथेली में रखकर परिजन और संबंधी उन्हें कंधों में लादकर नजदीकी मोटर मार्ग तक लाए। मोहानी देवी को मदद देने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद्र टम्टा, मनोज कुमार, युवा नेता वेद प्रकाश, सुभाष, देवेश चन्द्र, अनिल कुमार, ललित मोहन, विद्या सागर आदि थे।