बड़े मंचों पर अक्सर स्वीकार किया जाता है कि संसदीय लोकतंत्र में विधायिका की सर्वोच्चता कायम रखने के लिये संसद और विधानसभा की अधिक से अधिक बैठकें होनी चाहिये।
एक सहमति के मुताबिक बड़ी विधानसभाओं में हर साल कम से कम 100 बैठकें और छोटी विधानसभाओं में 60 बैठकें होनी चाहिए, लेकिन उत्तराखण्ड विधानसभा में सालाना बैठकों का औसत आंकड़ा 15 भी पार नहीं कर पा रहा है। सत्ताधारी दल हो या विपक्ष, किसी को इसकी फिक्र नहीं।
वर्ष 2001 में नई दिल्ली में लोकसभा, राज्यसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों, सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी में एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें विधायिका की सर्वोच्चता बरकरार रखने के लिए संसद व विधानसभाओं की अधिक से अधिक बैठक करने का निर्णय लिया गया था।
निर्णय के मुताबिक 100 से अधिक सदस्य वाली विधानसभाओं में हर साल कम से कम 100 बैठकें और 100 से कम सदस्य वाली विधानसभाओं में कम से कम 60 बैठकें होनी चाहिए। लेकिन उत्तराखण्ड विधानसभा में सलाना बैठकों की संख्या 23 से आगे नहीं बढ़ पाई है। उत्तराखण्ड की तीसरी विधानसभा में वर्ष 2013 में सर्वाधिक 23 बैठकें हो पाईं थी।
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“हाल ही में देहरादून आयोजित अखिल भारतीय विधानसभाओं के अधिकारियों के सम्मेलन में सहमति बनी थी कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर नहीं होने सम्बंधी कानून में संशोधन कर इस अवधि को घटकर तीन माह किया जायेगा। यदि यह संशोधन संसद द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो मौजूदा तीन सत्रों के स्थान पर, एक वर्ष में चार सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप बैठक की संख्या में वृद्धि होगी” – जगदीश चन्द्र। सचिव, उत्तराखण्ड विधानसभा।
उत्तराखण्ड विधानसभा में विधायिका की बैठकों का वर्षवार विवरण
वर्ष बैठकों की संख्या
2001—- 19
2002—– 17
2003—— 23
2004——- 07
2005——— 21
2006——– 15
2007——- 16
2008——– 20
2009——– 18
2010——– 12
2011——– 14
2012——— 20
2013——– 08
2014——— 19
2015——— 12
2016———- 13
2017–‐——- 13
2018———- 14
2019—‐——- 17
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“राज्य विधानसभा का सत्र अक्सर कम अवधि का होता है, जिस वजह से विधायिका की बैठकें कम ही हो पाती हैं। यह नेता सदन की जवाबदेही है कि विधानसभा सत्र लम्बी अवधि के हों। मैं आगामी बजट सत्र की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में रखूंगी”–—-इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखण्ड विधानसभा
(News courtesy : deepak farswan facebook page and navoday times)