कृष्णा बिष्ट
जीरो टोलरेंस सरकार का नया फरमान है कि चोर यदि पकड़ा जाने पर लूट की रकम वापस कर दे तो फिर उस पर कोई कार्यवाही नहीं होगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य विभाग के विभागीय मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अधीन स्वास्थ्य विभाग ने अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले अस्पतालों के बचाव के लिए “नई जीरो टोलरेंस योजना” लागू की है।
अब यदि अस्पताल लूटी हुई रकम वापस कर देंगे तो फिर इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी।
जी हां यह भ्रष्टाचार के लिए बुरी तरह बदनाम हो चुकी जीरो टोलरेंस सरकार का नया चलन है।
जिस सरकार मे मुख्यमंत्री के भाई भतीजों, यार दोस्तों के ही भ्रष्टाचार मे लिप्त होने के सबूत सरेआम हो गये हों, आप उन सीएम से और अपेक्षा भी क्या कर सकते हो !
राज्य स्वास्थ्य अभिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया के माध्यम से सरकार ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर अब इन अस्पतालों पर कार्यवाही न करने को कहा है।
गौरतलब है कि अटल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों के इलाज में फर्जीवाड़ा करने के कारण तेरह अस्पताल लपेटे में आ गए थे। इन्होंने गलत तरीके से सरकारी धन का गबन किया था। इनकी जांच हुई थी और बाकायदा इन का अनुबंध निरस्त करते हुए इन पर पेनल्टी भी लगाई गई थी।
जाहिर है कि इन अस्पतालों की पहुंच मुख्यमंत्री कार्यालय तक होगी तभी इन्हें आयुष्मान योजना में अनुबंधित होने का लाभ मिला था और उन्होंने भी धड़ल्ले से जमकर फर्जीवाड़ा किया था।
गौरतलब है कि फर्जीवाड़ा करने वाले पांच अस्पतालों ने लूट का पैसा वापस सरकारी खजाने में जमा भी कर दिया है। यह 5 अस्पताल काशीपुर और रुद्रपुर के ही हैं। इस क्षेत्र से पूर्व सांसद भगत सिंह कोश्यारी आज महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं तथा वर्तमान सांसद अजय भट्ट भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। अजय भट्ट तो राज्य की पहली सरकार मे स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं।
अभी सरकार ने 5 अस्पतालों पर एफ आई आर दर्ज न कराने के लिए डीजीपी को पत्र लिखा है। इसके अलावा 8 और निजी अस्पताल हैं जिन्होंने फर्जीवाड़ा किया हुआ है और इन पर दोष सिद्ध हुआ है।
किंतु अब संबंधित थानों को पत्र लिखकर इनके खिलाफ एफआईआर न करने के लिए निर्देश दिया जा रहा है।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार यही योजना काशीपुर के एनएच घोटाले के किसानों के लिए शुरू हो चुकी है और छात्रवृत्ति घोटाले में लिप्त कॉलेज के मालिकों के लिए भी लागू की जा सकती है।
यदि कॉलेज के मालिक छात्रवृत्ति घोटाले का पैसा वापस कर देंगे तो फिर उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी। जिस करोडों के दवा घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है, उसमे भी यह योजना लागू हो तो आश्चर्य नही।
अहम सवाल यह है कि क्या ऐसा निर्देश अब जीरो टोलरेंस की सरकार में सभी विभागों में लागू होगा !
जैसे कि पीडब्ल्यूडी विभाग, सिंचाई विभाग और अन्य तमाम विभागों में यदि निर्माण करने का पैसा कोई इंजीनियर या ठेकेदार गबन कर जाए और फिर कभी कहीं जाकर पकड़ा जाए तो फिर वह लूट की रकम जमा कर दें और उस पर कोई कार्यवाही नहीं होगी।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह नया जीरो टोलरेंस वाकई काबिले तारीफ है।
संभवतः इसी को रामराज कहते हैं। आने वाले समय में राज्य की आए दिन होने वाली चोरियों और डकैतियों में भी यह जीरो टोलरेंस का नया फार्मूला लागू हो सकता है कि यदि उत्तराखंड से लूटकर भागने वाले बदमाश पैसा वापस कर दे तो फिर थानों में उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज नहीं होगी।
वाह ! वेल डन “मिस्टर जीरो टोलरेंस “।