कृष्णा बिष्ट
हरियाणा की हुड्डा सरकार और फिर AIIMS के मुख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचारियों व राजनेताओं की नाक मे दम करके रखने वाले 2000 बैच के आई.एफ.एस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी एक बार फिर से चर्चाओं के केन्द्र में बने हुए हैं, इस बार चतुर्वेदी के केस को ले कर केन्द्र और राज्य सरकार एक मत नहीं हैं।
दरसल केन्द्र चाहता है कि संजीव चतुर्वेदी के वर्ष 2015-16 के जीरो ए.सी.आर का केस दिल्ली स्थित सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) मे चले लेकिन उत्तराखंड सरकार इस केस की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट में चाहती है। राज्य सरकार ने चतुर्वेदी के पक्ष मे कैट मे शपथ पत्र दाखिल करते हुए कहा है कि इस केस की सुनवाई कैट मे होने से संजीव चतुर्वेदी को बार–बार दिल्ली जाना पड़ेगा, जिससे सरकारी काम पर तो असर पड़ेगा ही साथ मे कर्मचारी पर अनावश्यक आर्थिक बो़झ भी पड़ेगा।
केंद्र सरकार के पास नैनीताल हाई कोर्ट में भी अधिवक्ता हैं लिहाजा वह अपना पक्ष नैनीताल हाई कोर्ट के समक्ष बेहतर तरीके से रख सकती हैं।
दरअसल यह मामला संजीव चतुर्वेदी के उत्तराखंड कैडर मे आने से पूर्व AIIMS के कार्यकाल का है, जहाँ वह मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे थे। उनकी इसी वर्ष 2015-16 की ए.सी.आर को कुछ नकारात्मक टिप्पणियों के साथ ज़ीरो कर दिया गया था, जो कि संजीव चतुर्वेदी को उत्तराखंड
कैडर मे नियुक्ति मिलने के बाद प्राप्त हुई।
कन्जरवेटर ऑफ फारेस्ट हल्द्वानी मे नियुक्ति के बाद संजीव ने अपनी इस ए.सी.आर को नैनीताल उच्च न्यायालय मे चुनौती दी, जहाँ से न्यायालय ने चतुर्वेदी को सर्वप्रथम अपना केस ट्रिब्यूनल मे दाखिल करने को कहा, इस के बाद संजीव चतुर्वेदी के अपना केस नैनीताल ट्रिब्यूनल मे दाखिल कर दिया।
ट्रिब्यूनल ने इस केस मे जुलाई 2017 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया। यही नही सितम्बर 2017 को ट्रिब्यूनल ने संजीव चतुर्वेदी को स्थाई राहत देते हए यह भी कहा कि इस मामले के निस्तारण तक इस ए.सी.आर को संजीव चतुर्वेदी के सर्विस रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं माना जाएगा।
कई चरण की सुनवाई के बाद नैनीताल बेंच ने इस केस की अंतिम सुनवाई इस वर्ष 27 अगस्त को सुनिश्चित की थी, किन्तु बेंच के एक सदस्य के इलाहाबाद से नैनीताल नहीं पहुंचने के कारण इसकी सुनवाई टल गई, नैनीताल में कैट की स्थाई बेंच नहीं होने के कारण बेंच का गठन इलाहाबाद से होता है जो कि हर माह एक बार नैनीताल में लगती है।
पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने दिल्ली कैट चेयरमैन के समक्ष याचिका दायर कर संजीव चतुर्वेदी का केस नैनीताल बैंच से दिल्ली ट्रांसफर करने का आग्रह किया था, जिस पर कैट चेयरमैन ने भी केस को नैनीताल बैंच से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया।
यहां यह उल्लेख करना भी आवश्यक है कि पूरे देश में कैट की शाखाएं मौजूद है, जिन के पास बराबर शक्ति होती है, सिर्फ दिल्ली कैट चेयरमैन के पास केस को एक बेंच से दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने की अतिरिक्त प्रशासनिक शक्ति होती है। चेयरमैन के इस आदेश को संजीव चतुर्वेदी ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसकी सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट में चेयरमैन के इस आदेश को रद्द करते हुए केंद्र सरकार पर 25000 का आर्थिक जुर्माना भी लगा दिया।