क्रांति भट्ट
दौड़ कर विपरीत हालातों को भी पछाड़ देती है ” रूपा ”
पत्थर तोड़ कर दोनों बेटियों को पालते हैं . बढातें हैं और मैदान हो जिन्दगी . दौड़ने के प्रेरित करते हैं पिता दीपक बहादुर और मां अमृता
* 6 बार स्कूली खेल प्रतियोगिता में ‘ नेशनल खेल चुकी है ” रूपा
* दीदी नर्वदा भी खेल चुकी हैं 3 बार नेशनल
* नेपाल मूल के हैं
दोनों बहिनें पढाई में अब्बल
* लोग कहते हैं कि ” हिम्मते मर्दे , मदद-ए- ख़ुदा “। हिम्मत हो तो बेटियां भी आसमान नाप सकतीं हैं । उत्तराखंड खेल महाकुंभ देहरादून में 800 मीटर रेस में चमोली जिले ने फिर दौड़ में अपना दबदबा बनाया है । चमोली की बालिकाओं व बालकों ने प्रथम स्थान पा कर 8 स्कूटी व बाइक जीतीं हैं । 4 बालिकाओं ने स्कूटी और 4 बालकों ने बाइक ।
** इस ” तेज धावकीय ” दौड़ में एक बालिका ” रूपा ” भी है । जिसकी सफलता की , हिम्मत की , की प्रत्यक्ष अब की सफलता की कहानी और फिर लिखी जा सकने वाली सम्भावनाओं की इबारत लिखने के लिए मन कुलबुलाया । इस बालिका की ” जांबाजी ” इसके मां पिता की बेटियों को सदैव आगे पढने . दौड़ने के लिए हाड तोड मेहनत पर लिखने के लिये आखर भी इनके आगे पिछड़ जाए ।
नेपाल सें मजदूरी , करने के लिए दीपक बहादुर और अमृता देवी लंगासू आये । पत्थर तोड़े। लोगों के घर बनाने के लिये जो काम आता था किया और अभी मजूरी ही करते हैं ।घर में पहली बेटी हुई नर्बदा । मां पिता ने अपनी लाडली को आंखों पर बिठा दिया । झोपड़ी में रहकर बेटी को मोमबत्ती और ” चिमनी ” की मधिम रोशनी पढने के लिए प्रेरित किया । बच्ची पढने में भी खेलने में भी छुटपन से आगे रहीं। ” बढ़ती बेटी “,पढ़ती बेटी . दौडती बेटी स्कूली व विध्यालयी शिक्षा में ही अपनी शानदार उपलब्धि की इबारत लिखने लगी । नर्मदा ने भी स्कूली खेल प्रतियोगिता में तीन बार सबको पछाड़ कर नेशनल स्तर तक प्रतिभाग किया ।मां पिता की हिम्मत और बेटी की ” पढने दौड़ने और जीवन में कुछ करने और बेहतर करने की जिजीविशा का ही परिणाम है कि नर्वदा आज कर्णप्रयाग महाविद्यालय में बीएससी की छात्रा हैं । मां पिता पत्थर फोड़ कर भी बेटियों को निरंतर आगे बढने पढने के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं और बेटियां भी अपनी आमा और बापू के सपनों को पूरा करने में लगीं है ।
अब कहानी छुटकी रूपा की ।
रूपा जिसने खेल महाकुंभ में 800 मीटर रेस में प्रथम स्थान पाया है और स्कूटी जीती है । कम स्वर्णिम उपलब्धि नहीं है रूपा की यह सफलता । इनके गुरूजी रह चुके अवतार सिंह जी ,अपनी इस छात्रा की उपलब्धि पर चमकते चेहरे से खुश होकर कहते हैं ” हमारी छात्रा ” रूपा “साक्षात उडन परी हैं । रूपा की खेल में डेडिकेशन पर अध्यापक बद्री भट्ट कहते हैं कि दौड़ में हो या पढाई में यह बालिका हमेशा सर्व श्रेष्ठ रहीं हैं । 6 बार स्कूली खेल प्रतियोगिता में नेशनल तक जा पहुँचीं हैं हर बार । जब पहली बार दौड़ी तो पैरों में जूता तक नहीं था । पर हिम्मत नहीं हारी , दौड़ती रही , दौड़ती रही और साथ में पढ़ती भी रही । अभी वह इंटर मीडिएट की छात्रा हैं। यहाँ अध्यापक प्रकाश चौहान अपनी इस छात्रा की शानदार उपलब्धि पर फूले नहीं समाते । शान से कहते हैं ” हमारी छात्रा रूपा विलक्षण है अद्भुत हैं । वह हमेशा आगे ही रहेगी । पढने में भी दौडने में भी । जीवन की हर दौड़ में आगे ही आगे ।
रूपा एक शानदार उपलब्धियों की एथलीट हैं । दौड में उनका कोई सानी नहीं । पर कभी कभी नियम ” उपलब्धियों प्रतिभा के पैर कैसे बांध लेते हैं रोक लेते हैं । रूपा के साथ भी यही हुआ । उसका सलेक्शन ” स्पोर्ट्स कालेज ” के लिए दौड़ के सर्वश्रेष्ठ मानकों पर खरा उतरने पर तो हो गयाह कोई पछाड़ नहीं सका । पर जब बात आखिर में आयी तो नेपाल की होने के कारण उसका सलेक्शन स्पोर्ट्स कालेज के लिए नहीं हो पाया । पर शाबास बिटिया ” रूपा ! तुम हारी नहीं , नहीं दौड़ने के इरादे , संकल्प और लक्ष्य से और न विपरीत हालातों के आगे हारीं । आपकी मंजिल अभी और आगे है बहुत आगे रूपा । इस बार आपकी इंटर की परीक्षा है इसमें भी आप अब्बल रहोगी जैसे दीदी नर्बदा रही थी ।
** और सैल्यूट रूपा और नर्बदा की मां अमृता और दीपक बहादुर जी को भी । आप दोनों की हिम्मत और जज्बे को तहे दिल से सैल्यूट । आपने हाड तोड़ मेहनत कर अपनी दोनों बेटियों को सदैव आगे रहने , पढने बढने के लिए अपना खून पसीना एक किया है दीपक बहादुर आप सच्चे अर्थों में ” बहादुर ” हो और अमृता जी ! आपने बेटियों को न सिर्फ अपने दूध का अमृत पिलाया है बल्कि हौसले का भी जो अमृत पिलाया है उसके लिए आपको सिर झुका कर सैल्यूट ।