कमल जगाती, नैनीताल
पूर्व प्रधानमंन्त्री अटल बिहारी बाजपाई उत्तराखण्ड के नैनीताल से भी काफी अधिक लगाव रखते थे। ऐसा बताया जा रहा है कि भुज में विनाशकारी भूकंप के बाद उन्होने होली नहीं मनाने का फैसला लिया और सीधे एक हफ्ते के प्रवास के लिए नैनीताल के राजभवन पहुँच गए। यहाँ की हसीन वादियों में उन्होंने गुजरातियों के उस दुःख को भुलाने की कोशिश की जो इतिहास में हजारों लोगों की जान लेने के लिए काले दिन के रूप में लिखा गया है।
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गोपाल रावत बताते हैं कि मार्च 2002 में होली के दौरान प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई निजी प्रवास पर नैनीताल पहुंचे थे। उस समय भाजपा के कई नेता भी उनसे मिलने राजभवन गए थे। उन्होंने बताया कि भुज के गम को भुलाने के लिए कोमल ह्रदय अटल बिहारी बाजपाई नैनीताल चले आए थे। यहाँ जब इस नेता की उनसे मुलाकात हुई तो इन्होने दुखी प्रधानमंत्री को माँ नयना देवी मंदिर के दर्शन करने को कहा जो उन्होंने किया भी। उनके इस दौरे के पीछे एक और राज छुपा था। उनके द्वारा बनाए गए इस नए राज्य से विशेष प्रेम होने के कारण उन्होंने इसे ‘मौरल सपोर्ट’ देने और देश दुनिया में इस नए राज्य का प्रचार-प्रसार करने के लिए यहाँ आना तय किया था।
वरिष्ठ पत्रकार रिजीव लोचन साह ने इस बात पर मोहर लगते हुए कहा कि अटल जी एक हफ्ता तक नैनीताल रहे और उन्होंने होली का लोकपर्व भी नहीं मनाया था ।
नैनीताल में की थी औद्योगिक पैकेज की घोषणा
अटल बिहारी बाजपेई ने नैनीताल में ही इस दौरान उत्तराखंड तथा हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज देने की घोषणा की थी। आज उत्तराखंड जिस मुकाम पर भी खड़ा है वह इसी की बदौलत है।
उस दौर में विकास के मुद्दे पर पक्ष तथा विपक्ष एकजुट रहते थे। नैनीताल के तत्कालीन जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक तथा वर्तमान में उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर नौटियाल याद करते हुए कहते हैं कि 2003 के उस दौर में नैनीताल के DM उत्पल कुमार सिंह थे।
उद्योग निदेशक श्री नौटियाल बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी तथा तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष भगत सिंह कोश्यारी एक साथ अटल जी को मिलने गए थे और उन्हें प्रदेश को औद्योगिक पैकेज दिलाने के लिए मनाया था। इस पर अटल जी ने दिल्ली आदि तमाम सूत्रों से काफी बातचीत की थी और इस बात के लिए तैयार हो गए थे कि राज्य को विशेष औद्योगिक पैकेज दिया जाए। उनकी इस घोषणा को ‘नैनीताल डिक्लेरेशन’ का नाम दिया गया था।
नैनीताल को दिया था नया जीवन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने सन 2002 में नैनीताल प्रवास के दौरान नैनीझील की बिगड़ी हालत पर इसे जीवन देने के लिए 200 करोड़ रूपये दिए थे। प्रधानमंत्री की इस इच्छा के बाद नैनीताल में झील संरक्षण परियोजना का गठन हुआ और झील में एरिएशन पद्वति से झील को बचाने का काम शुरू हुआ। यहाँ लेटेस्ट अमेरिकी तकनीक से झील की तलहटी में कुल 30 रिंग स्थापित किये गए, जिसमें से मशीन से बुलबुले निकाले गए। इसमें से .06 एम.जी.का एक बुलबुला निकला जिससे गन्दगी उठने की समस्या नहीं आई। झील में इसके बाद ऊपर से नीचे तक दस एम.जी.ऑक्सीजन हो गया जिससे मछलियां मरने की समस्या भी ख़तम हो गई है।
प्रधानमंत्री के नैनीताल दौरे के दौरान उनसे मिलने गए भाजपा नेता बताते हैं कि उन्होंने नैनीझील के बारे में जानकारी ली और इसके लिए 200 करोड़ रूपये की घोषणा की। इस राशि में से 68 करोड़ से अधिक की धनराशि एरिएशन के प्रोजेक्ट को लगाने में लग गई जिससे नैनीझील कुछ साफ़ हुई है। प्रधानमंत्री नैनीताल के राजभवन में लगभग सात दिनों तक रुके थे। इस दौरान उनसे मिलने उत्तराखंड से लगभग सभी बड़े नेता पहुंचे थे। उस दौरान राज्य में नवनिर्मित एन.डी.तिवारी की कांग्रेस सरकार थी।