कमल जगाती, नैनीताल
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एन.जी.टी.)ने उत्तराखण्ड सरकार को बड़ा झटका देते हुए उनके 2000 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘कंडी मार्ग’ को सर्वोच्च न्यायालय और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार बनाने को कहा है।
गौरव कुमार बंसल द्वारा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एन.जी.टी.) में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के संरेखण(अलाइनमेंट)के अनुसार सड़क का निर्माण नहीं करवा रही है।
एन.जी.टी.के न्यायाधीश आर.एस.राठौर ने सरकार को सड़क निर्माण का कार्य उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नियमानुसार बनाने को कहा है। न्यायालय ने ये भी कहा है कि सरकार सड़क का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए बनाए। याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के उस प्रस्ताव को चुनौती दी थी जिसमें सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दिए संरेखण से अलग सड़क बनाने और कोर क्षेत्र व बाघ के प्रजनन क्षेत्र से सड़क को पास कराने की तैयारी की है । राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने भी संयुक्त एफिडेविट जमा कर कोर व बाघ के प्रजनन क्षेत्र में सड़क निर्माण से नुकसान होने की बात कही है।
इसके अलावा वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इण्डिया ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में सड़क निर्माण से कोर जोन और बाघ संरक्षण अभियान को झटका लगेगा। राज्य सरकार कंडी मार्ग में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ सड़क निर्माण करने पर जुटी है। ये सड़क कुमांऊ और गढ़वाल क्षेत्र को बिना यू.पी.में प्रवेश करे, कॉर्बेट और राजाजी बाघ संरक्षण क्षेत्र होते हुए छोटे रास्ते से जल्दी पहुंचाएगी ।