कुमार दुष्यंत
भारत रत्न व लोकप्रिय प्रधानमंत्री स्व अटलबिहारी वाजपेयी जी की अस्थियों के आज गंगा में प्रवाहित किये जाते हुए मौजूद तमाम लोगों के जहन में यह सवाल बार बार कौंध रहा था कि स्व. पूर्व प्रधानमंत्री व उनके परिवार की इच्छा के अनुरुप क्या अटलजी की अस्थियां गंगा में ही प्रवाहित की जा रही हैं या फिर नहर में? यह सवाल इसलिए भी लाजिमी था कि तमाम हरिद्वार वासियों व हिंदु धर्मावलंबियों की मांग व इच्छा के बावजूद इसके लिए सहमति जताने वाले सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रावत भी न केवल इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।बल्कि राज्य की ओर से दो दिन से इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मुख्य कर्ता धर्ता बने हुए थे।
यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि पिछले डेढ साल से हरकीपैडी पर बह रही गंगा की धारा सरकारी दस्तावेजों में नहर बनी हुई है।और वर्ष 2016 की दिसंबर से सरकार के अनुसार हरिद्वार शहर में गंगा नहीं है।बल्कि करीब आधा किलोमीटर दूर नीलधारा के रुप में बहती है!
मूख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने गंगा के दो सौ मीटर निकट अवैध रुप से बनाए होटलों को ध्वस्तिकरण से बचाने के लिए शहर में हरकीपैडी से गुजरने वाली गंगा की धारा को स्कैप चैनल यानि नहर घोषित कर दिया था।इसके बाद कांग्रेस सरकार का पतन होने पर जब लोगों ने उन्हें लताड़ लगाई तो उन्होंने इसके लिए क्षमा याचना करते हुए स्वयं त्रिवेंद्र सरकार से अपने इस फैसले को बदलने की मांग की थी।स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी हरीश सरकार के इस निर्णय को अनुचित बताते हुए हरिद्वार के पुरोहितों को इसे शीघ्र बदलने का भरोसा दिया था।उसके बाद सरकार इसे भूल गयी।तब से ही गंगा की यह धारा गंगा न होकर नहर बनी हुई है।और आज इसी धारा में ही स्व पूर्व प्रधानमंत्री व अपने जनप्रिय नेता का अस्थिविसर्जन माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व अन्य भाजपा नेताओं ने करवाया!