नीरज,पुरोला
वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में विभागों पर बकाया वसूली की आंच विभागों को झुलसा रही है। इसका ताजा वाकिया उतराखण्ड जल संस्थान में सामने आया है। अन्य विभाग इससे पूर्व भले ही पेयजल आपूर्ति ठप होने पर जल संस्थान को उसकी लापरवाही के लिए पानी पी- पी कर कोसते थे और प्यास बुझाने के वाद बिल देना भूल जाया जाते थे लेकिन अब वही जल संस्थान हाथ धो कर उन विभागों के पीछे बकाया वसूली के लिए घूम रहा है। सरकारी विभागों पर जल संस्थान के पानी के लाखों के बिल बकाया है।
आलम यह है कि रंवाई घाटी में स्थित तीन ब्लाक मोरी, पुरोला तथा नौगांव में करीब दो दर्जन से अधिक सरकारी विभागों में जल संस्थान का 92 लाख रूपये से अधिक पानी का बिल भुगतान बकाया है। जिनमें 8लाख44हजार तो बिलम्ब शुल्क है, जो विभागों द्वारा समय पर पानी का शुल्क जमा न करने की लापरवाही को उजागर करता है।
मजेदार बात यह भी है कि जो विभाग कानूनी तौर पर बिल वसूली का अधिकार रखते हैं, वे खुद जल संस्थान के बकायेदारों की सूची में शामिल हैं।
बकाया बिलों की सूची के अनुसार शिक्षा विभाग सबसे बड़ा बकायेदार है। विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार
इन सरकारी विभागों में शिक्षा विभाग पर 46 लाख 38 हजार,स्वास्थ्य विभाग 13लाख 22 हजार, वन विभाग पर 12लाख32हजार, लोक निर्माण विभाग पर4लाख, शौचालय 2लाख 66हजार, राजस्व विभाग 2लाख50हजार, पटवारी चौकी 1लाख43 हजार, विद्युत विभाग 1लाख50हजार,सिंचाई विभाग 1लाख26हजार, पशु चिकित्सालय 1लाख 30हजार, आंगनवाड़ी केन्द्र79हजार, उपकोषागार 65हजार, राजकीय इंटर कालेज 51हजार, विकास खण्ड कार्यालयों पर 44हजार,कार्डिग उद्योग 37हजार, गोविन्द वन्य जीव विहार 31हजार, नारी निकेतन 31हजार, सहकारी समिति 12हजार, गढवाल मंडल विकास निगम 1लाख16हजार, तथा जल निगम पर 3हजार की धन राशि बकाया है।
गैर-सरकारी बकाया दारों का भी हिसाब लगायें तो यह करोडों का बकाया निकलेगा।
सहायक अभियंता एसएस रावत ने कहा कि वसूली अभियान तेज कर दिया गया है तथा कई विभागों को नोटिस जारी कर दिये गये हैं।यदि महीने के अंत तक कोई विभाग पानी के बकाया बिलों का भुगतान नहीं करता है तो उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।