कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के नैनीताल पहुंची 92 वर्षीय ब्रिटिश वृद्धा फियोनों रॉयल डेनिसन अपने भाई और भाभी के साथ 18 नवंबर को नैनीताल के जन्मदिन का केक काटेंगी। फियोनों और उनके भाई पीटर जोंस की पढ़ाई ब्रिटिश काल में नैनीताल के सैंट मैरीज और शेरवुड से हुई है।
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नैनीताल के एक प्रतिष्ठित होटल में बीती 14 नवंबर को भाई पीटर जोंस और भाभी शिला के साथ पहुंची फियोनों ने अश्रु भरी आंखों से नैनीताल में बिताए दिन ताजा किये। फियोनों रॉयल डेनिसन(92) के पिता एशले जोन्स उस समय सेंट्रल प्रोविंस जबलपुर के डी.आई.जी.पुलिस अधिकारी थे। उनकी ड्यूटी कोलकत्ता में थी जब आपातकाल केे हालातों में उनके ऊपर हमले के खतरे को देखते हुए दोनों बच्चों को नैनीताल पढ़ने के लिए भेजा गया था। उन्होंने बताया कि सन 1939 में जूनियर और 1944 में उन्होंने सैंट मैरिज से सीनियर कैम्ब्रिडज की शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने स्कूल में रहते हुए हॉकी सीखी और यहाँ कप्तान रहते हुए स्थानीय आल सेंटस स्कूल की टीम को भी पराजित किया। फियोनों इसके बाद पिरवार के साथ जबलपुर चले गई जहाँ उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा और 1945 में इंडिया की महिला टीम के लिए खेला। उन्होंने पुरानी बातें शेयर करते हुए बताया कि जब 27 सितंबर 1943 को वो अपने परिजनों के साथ मल्लीताल के नाचघर कैपिटल वर्त्तमान कैपिटल सिनेमा गई थी तो वहां उनकी मुलाकात ब्रिगेडियर गॉर्डन डेनिसन से हुई जो प्यार में बदल गई। ब्रिगेडियर गॉर्डन तब मेरठ में नियुक्त थे और नैनीताल घूमने आए थे। उन्होंने फियोनों को उनके साथ नाचने के लिए न्योता दिया जिसे फियोनों ने कुबूल कर लिया था। फियोनों के नैनीताल छोड़ने के तीन वर्ष बाद दोनों की मुलाकात जबलपुर में हुई, जहाँ उनकी शादी तय हो गई।
ब्रिगेडियर गॉर्डन के बर्मा से युद्ध के बाद लौटने पर दोनों का विवाह हुआ। फियोनों ने शादी की तिथि उनकी पहली नैनीताल में मुलाकात की तिथि 27 सितंबर रखने का आग्रह किया जो 1946 में साकार हुई। फियोनों अपने पति ब्रिगेडियर गॉर्डन के साथ 1947 में लंदन जाने से पहले नैनीताल के नैनीताल क्लब में हनी मून मनाने आई थी। लन्दन जाने के बाद ब्रिगेडियर गॉर्डन महारानी एलिजाबेथ के ए.डी.सी.नियुक्त हुए और बाद में सन 2001 में इंग्लैंड के फानम से लार्ड मेयर चुने गए । उन्होंने संवाददाता को उत्साहित होकर बताया कि वो कल नैनीताल के 177वें जन्मदिन पर होटल के विशेष कार्यक्रम में केक काटेंगी। उन्होंने ये भी बताया कि उनके पिता जिम एडवर्ड कॉर्बेट के घनिष्ठ मित्र थे। फियोनों ने बताया कि उनकी माँ पामेला के भाई एंडरसन पेट ने भी दक्षिण भारत में कोयले की खदानें ली थी जहाँ से निकले सोने से उन्हें बहुत ज्यादा फायदा हुआ जिसे उन्होंने यहाँ के श्रमिकों और गरीबों में दान कर दिया था और दक्षिण के एक शहर का नाम ही उनके नाना के नाम पर रख दिया गया था। नैनीताल पहुँचने के बाद वह अपनी मित्र गीता पाण्डे के साथ किलबरी घूमने गई और अब वो अपने पुराने स्कूल सैंट मैरिज और भाई के शेरवुड स्कूल जाएंगी। उन्होंने कहा कि मेरा आधा दिल हिंदुस्तान और उससे ज्यादा नैनीताल में बसता है।
फियोनों के साथ आए 86 वर्षीय उनके छोटे भाई पीटर जोंस ने शेरवुड में प्रेप में पढ़ा। इसके बाद वो दार्जिलिंग चले गए और वहीँ सेंट पॉल स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। पीटर ने बताया कि शेरवुड में अनिवार्य रूप से खेली जाने वाली बॉक्सिंग का उनपर ऐसा असर पड़ा कि उन्होंने इसकी प्रैक्टिस जारी रखी और इंग्लैंड जाने के बाद प्रोफेशनल बॉक्सिंग में भाग लिया। बॉक्सिंग तो उनके पिता ने छुड़वा दी लेकिन 86 वर्षीय पीटर इस याद को संजोए हुए हैं।
पीटर 1947 में लंदन जाने के बाद रॉयल ब्रिटिश एयर फोर्स में टेक्नीकल स्टाफ के रूप में भर्ती हुए और वहीँ से सेवानिवृत्त हुए। पीटर अपनी बहन फियोनों और पत्नी शिला को आज अपने पुराने स्कूल शेरवुड दिखाने जाने वाले हैं। फियोनों वर्त्तमान में लंदन और उनके भाई और भाभी केंटबरी में रहते हैं। दोनों भाई बहनों ने एक सुर में कहा कि वो अगले वर्ष भी नैनीताल घूमने जरूर आएँगे। तीनों लोग 14 नवंबर को नैनीताल पहुँचे थे और अब नैनीताल का जन्मदिन मनाने के बाद 24 नवंबर को दिल्ली और फिर वापस इंग्लैंड के लिए रवाना हो जाएंगे।
इधर होटल के जी.एम. मेहता ने बताया कि उनके मेहमानों का नैनीताल प्रेम देखकर पूरा होटल प्रबंधन आश्चर्यचकित है। वो इन मेहमानों के लिए नैनीताल के जन्मदिन के रोज विशेष पार्टी का आयोजन कर रहे हैं। वो रविवार शाम 4:30 बजे फियोनों और उनके साथियों की मौजूदगी में केक काटकर नैनीताल की लम्बी उम्र की कामना करेंगे। उन्होंने इस ऐतिहासिक मौके के लिए ढेर सारे पकवान भी तैयार करवाए हैं।