नीरज उत्तराखंडी
मोरी ब्लाक के फतेपर्वत पट्टी के एक दर्जन से अधिक गाँव में अवैध रूप से उगाई जा रही पोस्त की फसल की सूचना मिलते ही नारकोटिक्स विभाग ने प्रशासन की टीम को लेकर छापामारी अभियान चला कर विगत चार दिनों में 22 हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई पोस्त की फसल नष्ट कर दी।
वहीं मोरी ब्लाक के पंचगाई,अडोर,बडासू,बंगाण,मासमोरऔर पिंगल पट्टियो में पोस्त की खेती का चिह्निकरण का कार्य चल रहा है। गौरतलब है कि विगत कई वर्षों से नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो व प्रशासन मोरी ब्लाक में पोस्त से अफीम की खेती पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए जन जागरूकता अभियान चला कर ग्रामीण किसानों व जन प्रतिनिधियों से नशे की खेती न करने के शपथ पत्र भी भरवाये गये। लेकिन किसान पोस्ट की खेती करने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं।
प्रशासन पुलिस वन व नारकोटिक्स विभाग की संयुक्त टीम ने विगत चार दिनों में फतेपर्वत के मसरी,सट्टा,दोणी,ग्वालगाॅव,पुजेली,सेवा,बरी,हडवाडी,खन्यासणी आदि गाँवों में 22 हेक्टेयर क्षेत्र में पोस्त की खेती नष्ट की। पोस्त के फल में चीरा लगा कर उससे निकलने वाले दूध की तरह सफेद तरल पदार्थ से अफीम तैयार की जाती है।
इंदौर और जयपुर से आने वाली नारकोटिक्स की टीम पिछले 10-12 सालों से लगभग हर साल मई के माह में उत्तराखंड के इन सुदूर गांव में आती है और अफीम की खेती को नष्ट कराती है।
यह टीम खुद लाठी-डंडों से खेतों में उतर कर पूरी फसल को नष्ट करती है। किंतु स्थानीय प्रशासन का सहयोग इतना रहता है कि वह पहले ही खेती करने वालों को नारकोटिक्स टीम के आगमन के विषय में सूचित कर देती है। जिससे अफीम उगाने वाले लोग पहले ही दाएं-बाएं हो जाते हैं।
पटवारी अफीम उत्पादकों को पकड़ने के बजाय उत्पादकों के लिए मुखबिरी करने का काम करता है। यही कारण है कि पिछले काफी समय से इन क्षेत्रों से अफीम की तस्करी काफी बढ़ गई है। पिछले दिनों देहरादून पुलिस को कई ऐसे मामले पकड़ में आए जिसके अंतर्गत इन इलाकों से अफीम तस्करी करके लाई जा रही थी किंतु इन्हें सहसपुर आदि जगहों पर धर दबोचा गया।
जाहिर है कि उत्तराखंड के महकमे अफीम की खेती उगाने वालों के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही नहीं कर रहे। यही कारण है कि पिछले एक दशक में यह खेती घटने के बजाय इसका क्षेत्रफल काफी बढ़ गया है।