बीसीसीआई के कार्यक्रम अनुसार दिनांक 27, 28, 29 एवं 30 अगस्त को खिलाड़ियों का ट्रायल होना था और उसके बाद ही चयनित खिलाड़ियों की लिस्ट जारी होनी थी, किंतु उन्होंने 26 तारीख को ही खिलाड़ियों की लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में सिर्फ उन खिलाड़ियों का चयन किया गया है जो उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में काबिज पदाधिकारियों की अपनी ही क्रिकेट एकेडमियों के खिलाड़ी हैं। जबकि उत्तराखंड के दूरस्थ एवं ग्रामीण क्षेत्रों से आए किसी भी खिलाड़ी को लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। जबकि ना ही उनका ट्रायल हुआ, ना ही उनसे मूल निवासी प्रमाण पत्र लिया गया। और तो और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और गेट के अंदर नहीं घुसने दिया गया व पुलिस से धक्के देकर भगा दिया गया।
योग्य खिलाड़ी बाहर, चहेतों का चयन
यदि खिलाड़ियों का चयन 27, 28, 29 और 30 अगस्त को बीसीसीआई द्वारा नियुक्त कोच एवं सिलेक्टर्स द्वारा चयन किया जाना था तो उनकी अनुपस्थिति में 26 तारीख को ही किसकी अनुमति से अपने-अपने खिलाड़ियों की लिस्ट जारी कर दी गई और जैसा कि पता चला है कि उसी शाम को उक्त पदाधिकारियों एवं चयनित खिलाड़ियों द्वारा शहर के नामी होटल में शानदार दावत का आयोजन कर जश्न भी मनाया गया।
गेस्ट खिलाडियों पर सवाल
जिन तीन ‘गेस्ट खिलाड़ियों’ को विशेष रूप से निमंत्रित करते हुए राज्य की टीम में चयन किया गया है, उनका तो स्वयं के राज्यों तक में भी चयन नहीं हो पा रहा था और वे रिटायरमेंट की कगार पर खड़े हुए थे या फिर वे सन्यास लेने की सोच रहे थे। इन सब का चयन क्या सुप्रीम कोर्ट के द्वारा या उनके द्वारा गठित समिति के द्वारा किया गया था या फिर बीसीसीआई की भंग कमेटी द्वारा या एसोसिएशन के इन पदाधिकारियों द्वारा अपनी मनमर्जी से किया गया था। क्या मजबूरी थी यह समझ से बाहर है जबकि उत्तराखंड के ही कई होनहार खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों से जैसे पवन नेगी, उन्मुक्त चंद, रोबिन बिष्ट, मयंक बिष्ट, पवन सुयाल, प्रशांत भंडारी, चेतन बिष्ट जैसे ना जाने ऐसे कितने ही होनहार खिलाड़ियों को आमंत्रित किया जा सकता था ताकि उत्तराखंड राज्य का नाम रोशन हो सके जबकि इन खिलाड़ियों का तो जन्म और डोमिसाइल तक भी इसी राज्य का है।