देहरादून में न्यायालय के आदेश पर चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान बुरी तरह हांफता दिखाई देने लगा है। कारण सरकार ही है। न्यायालय द्वारा लगातार पड़ती फटकार के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार का दोहरा रवैया गौर करने लायक है। सरकार के इस रवैये के कारण ही अब यह अभियान एक प्रकार से थम सा गया है।
पर्वतजन ने सरकार के खास लोगों पर बरस रही कृपा पर लगातार खबरें प्रकाशित की। पिछले दिनों घंटाघर के समीप मुख्यमंत्री के सबसे करीबी सुनील उनियाल गामा के अवैध अतिक्रमण पर तभी लाल निशान लग पाए, जब पर्वतजन में खबर छपी। लाल निशान लगने के बावजूद एक महीने तक दुकानें नहीं तोड़ी गई। इसके बाद तमाम सामाजिक संगठनों ने पर्वतजन की खबर को अतिक्रमण हटाओ अभियान के कर्ता-धर्ताओं को दिखाई और आखिरकार जनता के दबाव में शासन-प्रशासन को झुकना पड़ा और मुख्यमंत्री के राइट हैंड बने सुनील उनियाल गामा और उनके साथियों की दुकानें अतिक्रमण क्षेत्र से हटा दी गई।
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों के मुताबिक सुनील उनियाल गामा अब भी त्रिवेंद्र रावत पर दबाव बनाए हुए हैं कि उनकी तोड़ी हुई दुकानों के स्थान पर उन्हें नगर निगम या एमडीडीए से दुकान दिलाई जाए। देखना है कि अब सरकार का इस मसले पर क्या रुख रहता है।