होमोसेक्सुअल इन जगहों पर उत्तराखंड मे भी फैल रहे हैं तेजी से।
सोशल मीडिया ग्रुप में गुलजार बाजार
कानून के मुताबिक समलैंगिकता गैरकानूनी है तथा इस पर सामाजिक पाबंदी भी है। इसके बावजूद देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे मैदानी इलाकों में गे अथवा समलैंगिक युवकों का बाजार 25% की दर से प्रतिवर्ष बढ रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि पिछले 2 वर्ष में गे लोगों की दुनिया में पहाड़ के युवकों की बढ़ोतरी लगभग 33% हुई है।
ग्रुप में अधिकांश लोग भले ही अपना नाम बदल देते हैं। लेकिन उत्तराखंड में निवास करने वाली जातियों वाला सरनेम धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। इन के ग्रुपों में चौहान, रावत,नेगी आदि सरनेम के युवक अब आमतौर पर दिख जाते हैं।
अकेले देहरादून में दो दर्जन ऐसे मेलजोल के स्थान चिन्हित हुए हैं, जहां पर गे एक दूसरे को मिलने का टाइम देते हैं और फिर अपने घर, फ्लैट अथवा होटलों की तरफ निकल पड़ते हैं। WhatsApp तथा Facebook पर खुलकर अपनी इच्छाओं का इजहार करने वाले अधिकतर युवा 22 से 32 साल तक की उम्र के हैं। देहरादून में रिस्पना पुल, ISBT, शिमला बाईपास, गांधी पार्क, बल्लीवाला चौक तथा क्लेमेंट टाउन के इलाके मुख्य रुप से गे लोगों के पसंदीदा मीटिंग पॉइंट हैं।
हरिद्वार में गे के दर्जनों WhatsApp ग्रुप तथा 1 दर्जन से अधिक Facebook ग्रुप हैं। अकेले ‘हरिद्वार ग्रुप’ नाम के एक गे पब्लिक ग्रुप में 1000 मेंबर हैं। यह एक पब्लिक ग्रुप है और कोई भी इसका सदस्य बने बिना इसमें शामिल ग्रुप के सदस्यों अथवा उनकी पोस्ट को देख सकता है।
हरिद्वार के लक्सर, हर की पैड़ी, ज्वालापुर, रानीपुर मोड़, शिवालिक नगर, सिडकुल, भूपतवाला, सिंहद्वार, खड़खड़ी आदि गे लोगों के हॉट मीटिंग पॉइंट है।
उधमसिंह नगर में रामनगर तराई से पहाड़ की तलहटी तक गे मिलन के लिए आते-जाते रहते हैं।
उधम सिंह नगर तथा नैनीताल के हल्द्वानी । रुद्रपुर जैसे इलाकों में गे किसी सिनेमा हॉल अथवा चौक-चौराहे को अपना मीटिंग पॉइंट बना लेते हैं अकेले “रुद्रपुर गे क्लब” 250 सदस्य हैं तो “रुद्रपुर गांधी पार्क गे” नामक ग्रुप में 396 सदस्य हैं।
पिछले कुछ सालों में देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर के औद्योगिक इलाकों में गे ग्रुप बहुत तेजी से बढ़े हैं। इसके पीछे लोगों का अपने परिवारों से दूर रहना भी एक बड़ी वजह है।
पिछले कुछ सालों में पैसे और मौज मस्ती के लिए गे बनने वाले लोगों का यह बाजार 90% सिर्फ जिस्म की जरूरत तथा मौज मस्ती तक सीमित हो गया है। इन ग्रुप से जुड़े लोग अधिकतर अच्छी सोसाइटी तथा पढ़े लिखे समाज से संबंध रखते हैं।
Facebook के क्लोज ग्रुप तथा WhatsApp ग्रुप में एक दूसरे से जुड़ने के कारण पैसे के लिए काम करने वाले गे इस धंधे से बाहर हो गए हैं। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि गे दो प्रकार के होते हैं। कुछ गे को बॉटम पोजिशन पसंद होती हैं तो कुछ टॉप होते हैं। सोशल मीडिया में गे अपनी मनमर्जी का चयन कर लेते हैं। ऐसे में किसी को पैसे देकर हायर करने की जरूरत नहीं रहती।
“देहरादून गे” नाम के एक पब्लिक ग्रुप में 244 मेंबर हैं। यह ग्रुप केवल लड़कों का है। इस ग्रुप में गे खुलकर अपनी पसंद, नापसंद, लंबाई, उम्र, नाप आदि बताते हुए मनमर्जी से खुद को उपलब्ध कराते हैं।अथवा अपनी इच्छा रखते हैं।
“देहरादून गांधी पार्क एंड पलटन बाजार गे” नाम से Facebook पर बाकायदा एक पेज बना है। इस पेज को 722 लोगों ने लाइक किया है। और 746 इसे फॉलो करते हैं। इस पेज से जुड़े अधिकतर लोग राजपुर से लेकर प्रेम नगर तक मिलते जुलते हैं। इनमें टॉप तथा बॉटम दोनों तरह के लोग जुड़े हुए हैं। इस पेज के लोगों की मुख्य समस्या जगह की कमी होती है। जिसके पास अपनी प्राइवेसी या अपना घर हो उसके ऑफर जल्दी स्वीकार कर लिए जाते हैं। ओरल सेक्स के लिए सहमत होना एक अतिरिक्त योग्यता है। इस पेज में एक व्यक्ति ने कमेंट किया कि उसे पलटन बाजार के आसपास कोई टॉप चाहिए तो उसे आसपास से 100 से अधिक गे ने अपना नंबर दे दिया।
गढ़ी कैंट में प्रियंक नाम का बॉटम बॉय कहता है कि जब से पिछले कुछ सालों में WhatsApp ग्रुप और Facebook ग्रुप चलन में आए हैं, तब से उसकी डिमांड बहुत कम हो गई है। उसके पास सिर्फ चुनिंदा पुराने कस्टमर ही बचे हैं। इन ग्रुपों का इस्तेमाल अधिकतर वे लोग भी करते हैं जो देहरादून आते-जाते रहते हैं। वह दून आने से पहले ग्रुप में मैसेज छोड़ देते हैं कि वह फलां-फलां होटल में रुके हैं तथा उन्हें टॉप या बॉटम चाहिए जो व्यक्ति इंटरेस्टेड होता है, वह उन्हें अपना WhatsApp नंबर सीधे कमेंट बॉक्स में या फिर मैसेज बॉक्स में इनबॉक्स कर देता है। इस तरह से एक जैसी सोच और विचारधारा के लोग अपनी पसंद नापसंद के हिसाब से मिल लेते हैं।
इनकी दुनिया आम लोगों से बिल्कुल अलग है तथा यह लोग समाज में ज्यादातर मिलना-जुलना पसंद नहीं करते। “ओन्ली हरिद्वार विजिटर्स” नाम के एक क्लोज ग्रुप में 441 मेंबर हैं। इस ग्रुप से जुड़े तथा रानीपुर में रहने वाले 27 वर्षीय हैंडसम अंकित रावत एक बॉटम है।
अंकित से जब पर्वतजन ने गे बनने का कारण पूछा तो उसने अपना एक मार्मिक अनुभव सुनाया। उसका कहना है कि आजकल की लड़कियों की अनाप-शनाप फरमाइशों और नाज नखरे उठाने से गे वाली जिंदगी बेहतर है। लड़कियां कब, किस बात पर क्या आरोप लगा दे पता नहीं।
महेश गुप्ता देहरादून में एक नमकीन कंपनी के सेल्स मैनेजर है। महेश का कहना है कि लड़कियों के मुकाबले लड़कों की पसंद नापसंद और सोच समझ आपस में ज्यादा मैच करती हैं। इसलिए वह शुरू से ही लड़कियों से दूर रहे हैं।
कानून की नजर में यह अवैध है लेकिन पुलिस प्रशासन इन सब के प्रति या तो अनजान है या फिर जानबूझकर नजरें फेरे हुए हैं। असुरक्षित यौन संबंधों को लेकर होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए उत्तराखंड में भी कुछ एनजीओ काम कर रहे हैं। किंतु उनके पास भी ऐसे लोगों के आंकड़े ना के बराबर हैं।जिससे एड्स जैसी बीमारियों के प्रति जागरुकता अथवा रोकथाम के लिए काउंसलिंग अथवा अन्य प्रयास भी नहीं हो पा रहे हैं।
इस कड़ी में सिर्फ इतना ही। अगली कड़ी में आपको ले चलेंगे लेस्बियन की दुनिया में। आपको भी इस संबंध में कोई जानकारी साझा करनी हो तो हमें 94120 56112 पर संपर्क कीजिए। तब तक इंतजार कीजिए और पढ़ते रहिए- पर्वतजन- क्योंकि जानना आपका हक है।