खंडन छापने का निर्देश देने वाले सूचना विभाग ने भी साधी चुप्पी। अधूरी सूचना के बोर्ड सरकारी कार्यालयों पर। नामित अधिकारियों के नाम नही भेजे विभागों ने।
गिरीश गैरोला
दिन में आफिस का कार्य निपटाना और देर रात तक जागकर सड़कों पर यात्रा व्यवस्था का जायजा लेने और आबादी के निकट पहुची जंगल की आग को खुद मौके पर मौजूद रहकर बुझाने वाले डीएम उत्तरकाशी के आदेशों को जिले के अधिकारी कैसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल लेते हैं, इसका उदाहरण उत्तरकाशी में देखने को मिला । धूम्रपान निषेध और तंबाकू निवारण पर जनजागरूकता के लिहाज से बैठक के बाद चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण समिति उत्तरकाशी के सौजन्य से उत्तराखंड शासन का लोगो लगे फ्लेक्सी /सूचना पट पर शिकायत के लिए नामित अधिकारी का नाम, पद नाम और मोबाइल नंबर की रिक्त जगह के साथ अधूरी जानकारी के साथ ही खाना पूर्ति के लिए टांग दिए गए।
जाहिर है कि खानापूर्ति करने के लिए और बजट पूरा करने के लिए विभन्न कार्यालयों में इन फ्लेक्सी को टांग दिया गया है, जिसको देख कर भ्रम होना लाजमी है कि आखिर किस स्थान पर किस नामित अधिकारी से उक्त संबंधित सूचना के लिए शिकायत की जाय।
डीएम ऑफिस कलेक्ट्रेट उत्तरकाशी में इस तरह की रिक्त स्थानों के साथ लगे सूचना पट की खबर प्रकाशित करने पर डीएम ने सीएमओ से जबाब तलब कर कार्यवाही का भरोसा दिलाया था, जिसके बाद सूचना विभाग के कक्ष के बाहर लगे सूचना पट पर एक कंप्यूटर प्रिंट आउट निकालने के बाद सूचना विभाग के एक कर्मचारी ने रिक्त स्थान भरकर पर्वतजन के नाम सोसल मीडिया पर उक्त खबर का खंडन करने का आदेश चस्पा कर दिए थे। किंतु हैरानी की बात ये है कि संबंधित विभाग ने एक सूचना पट पर करेक्शन कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया, जबकि उत्तरकाशी विकास भवन कार्यालय में इसी तरह के अधूरी सूचना के पट अथवा फ्लेक्सी अभी भी हंसी का पात्र बन रहे हैं। इनमे भूमि संरक्षण, कृषि विभाग पंचायत विभाग सहित कसाई अन्य स्थानों पर आज भी अधूरी सूचना के साथ टंगे इन फ्लेक्सी को देखा जा सकता है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विनोद नौटियाल का जबाब भी कान खड़े करने वाला है। सीएमओ डाॅ. विनोद नौटियाल ने बताया कि इस प्रकरण को डाॅ. सुजाता जो टीबी विभाग देख रही हैं, जो आज किसी कार्य से रामनगर गयी हैं, उन्होंने बताया कि उक्त फ्लेक्सी पिछले लंबे समय से ऑफिस में पड़ी थी, जिसे निर्धारित समय की भीतर सभी कार्यालयों में लगाया जाना था, जिसके लिए संबंधित विभागों को पत्र भेजकर उनके परिसर में उक्त के लिए नामित अधिकारियों के नाम बताने का अनुरोध किया गया था। किंतु पर्याप्त समय गुजर जाने के बाद भी विभागों से कोई जबाब नही मिला। लिहाजा समय सीमा में लगने की अनिवार्यता के चलते इन्हें अधूरी सूचना के साथ ही टांग दिया गया। हालांकि उन्होंने बताया कि वे अभी जनपद में नए आये हैं और ये सब कार्य उनसे पूर्व के अधिकारियों के समय किये गए हैं।
अब घटना के बाद राष्ट्रीय कार्यक्रम के प्रति अधिकारियों के रवैये को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।