बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन में उदासीन पुलिस।
खबर के बाद जागा पुलिस प्रशासन धाम से इंपोर्टेड भिखारियों को खदेड़ने के लिए 15 दिन चलेगा अभियान।
गिरीश गैरोला
चार धाम यात्रा के दौरान देश-विदेश के यात्रियों और पर्यटको के साथ बिन बुलाए मेहमान की तरह इम्पोर्टेड भिखारियों की भीड़ पर पर्वतजन की खबर के बाद पुलिस प्रशासन नींद से जागा है। उत्तरकाशी के पुलिस कप्तान ददन पाल ने बताया कि भीख मांगना अपराध है लिहाजा अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था के निर्देश पर 15 मई से अगले 15 दिनों तक यात्रा मार्ग से भिखारियों को खदेड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान इन पर कानूनी कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
गौरतलब है कि पर्वतजन ने चार धाम यात्रा मार्ग पर पर्यटकों से रुद्राक्ष की माला बेचने के नाम पर बाहर से आये से संदिग्धों और भिखारियों के सत्यापन की खबर प्रकाशित की थी। पुलिस कप्तान ने कहा कि बाहरी लोगों के सत्यापन का सिलसिला लगातार जारी रहता है, किन्तु पिछले चार वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आए है जिससे स्पष्ट हित है कि खुद पुलिस महकमा ही बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन को लेकर गंभीर नही है।
एसपी ददन पाल ने बताया कि जनपद में वर्ष 2015 में सत्यापन के लिए भेजे गए 600 आवेदनों में से 571 सत्यापित होकर वापस आये हैं, जबकि 29 मामले अभी भी पेंडिंग हैं। इसी तरह वर्ष 2016 में 584 मामले भेजे गए जिनमे से 571 वापस आ गए जबकि 13 अभी भी लंबित है, वर्ष 2017 में 137 में से 123 मामले सत्यापित होकर वापस आये किन्तु 14 अभी तक नही मिले, वर्ष 2018 में अभी तक 608 मामले भेजे गए जिनमे से 248 वापस आये और 360 अभी भी पेंडिंग है।
इस दौरान इन संदिग्धों पर कैसे पुलिस नजर रखती है अथवा कब तक उनके सत्यापन होने का इंतजार करेगी इसका कोई ठोस जबाब विभाग के पास नही है। इस दौरान उक्त व्यक्ति कहां गया इसकी निगरानी संभव नही है।
पुलिस कप्तान ने बताया कि सत्यापन के पेंडिंग मामलों के लिए बाहरी जनपदों और बाहरी प्रदेशों के पुलिस थानों से बराबर रिमाइंडर भेजकर अनुरोध किया जाता है। इस दौरान स्थानीय पुलिस की मजबूरी है कि वो कोई भी कार्यवाही नही कर सकती है। और कानून में मौजूद इन्ही सुराखों के चलते अपराधी अपना काम कर चलते बनता है और पुलिस लकीर पीटती रह जाती है।