प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के बाद से अपेक्षाओं के आसमान पर टंगी टीएसआर सरकार के ट्रांसफर एक्ट के बाद भाजपाइयों के चेहरे पर सुकून नजर आ रहा है। भाजपाइयों को लगता है कि इसी तरह आने वाले सत्र में लोकायुक्त एक्ट भी पारित हो जाए तो अगले आम चुनाव में कार्यकर्ता आत्मविश्वास के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस एक्ट को कर्मचारियों के हित में बताते हुए कहते हैं कि इससे पारदर्शी व्यवस्था लाने में मदद मिल सकेगी। इस ट्रांसफर एक्ट का पूरा नाम उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 है।
क्या है ट्रांसफर एक्ट
एक्ट के मुताबिक अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों में उनके ट्रांसफर होंने अनिवार्य होंगे। यानी अब राज्य के कर्मचारियों के लिए लंबे समय तक सुगम स्थानों में डटे रहना मुश्किल होगा। साथ ही दुर्गम क्षेत्रों में सेवा कर रहे कर्मचारियों को भी सुगम क्षेत्रों में तैनाती का मौका मिल सकेगा। ज्यादा लंबे समय तक दुर्गम क्षेत्रों में सेवा दे रहे कर्मचारियों को ज्यादा समय तक सुगम क्षेत्रों में तैनाती देकर प्रोत्साहित किया जाएगा। एक्ट के तहत कर्मचारियों के तीन तरह से ट्रांसफर किए जाएंगे। समूह ‘क’ व ‘ख’ के अधिकारियों को उनके गृह जनपद में तैनात नहीं किया जाएगा। समूह ‘ग’ के अधिकारियों को उनके गृह स्थान को छोड़कर गृह जनपद में तैनाती मिल सकती है।
1. सुगम क्षेत्रों दुर्गम क्षेत्रों में ट्रांसफर
2. दुर्गम क्षेत्रों से सुगम क्षेत्रों में ट्रांसफर
3. अनुरोध के आधार पर ट्रांसफर
एक्ट के मुताबिक जबरन ट्रांसफर रुकवाने, या इसके लिए दबाव डालने पर संबंधत कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ सख्त एक्शन लिय़ा जाएगा। स्वास्थ्य और अन्य मजबूरियों की स्थितियों में अनुरोध के आधार पर ट्रांसफर किए जाएंगे।
ट्रांसफर एक्ट के फायदे
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दावा करते हैं कि इस एक्ट के बाद प्रत्येक कर्मचारी को सुगम और दुर्गम क्षेत्रों में सेवा का बराबर अवसर मिलेगा।इस कारण अधिकारी व कर्मचारी मन लगाकर काम कर सकेंगे। इस एक्ट का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि ट्रांसफर पोस्टिंग में धांधली पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। हम सब जानते है कि उत्तराखंड में ट्रांसफर पोस्टिंग एक इंडस्ट्री की तरह काम करती थी, इस एक्ट को लाकर इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि हमने पूरी पार्दर्शिता और जिम्मेदारी के साथ इस बार जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों को जिलों में तैनात किया। सीएमओ, सीएमएस को पूरी पारदर्शिता के साथ तैनाती दी। पहली बार डॉक्टरों को पहाड़ चढ़ाने का काम किया। इन सब कदमों से भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी को बल मिलेगा।
ट्रांसफर एक्ट की असली परीक्षा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में होने वाली तैनाती उसे होगी यदि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों और अस्पतालों में परिवर्तन देखने को मिलेगा तभी माना जाएगा कि यह एक अपनी कसौटी पर खरा उतरा हैलंबे समय तक सुगम क्षेत्रों में तैनात कर्मचारी अपने राजनीतिक संपर्कों और लॉबी को मजबूत कर देते थे, ट्रांसफर एक्ट से इस व्यवस्था को खत्म किया जा सके तो यह एक्ट सफल माना जाएगा और इसका सरकार को राजनीतिक लाभ भी मिलेगा। इस एक्ट से उम्मीद जताई जा रही है कि अलग अलग जगहों पर रहने से अधिकारियों को राज्य की भौगोलिक स्थितियों का पता लग सकेगा। इससे वे प्रदेश को अच्छी तरह समझ पाएंगे।सुगम क्षेत्रों में ट्रांसफर करवाने के लिए पैसे और संपर्कों का इस्तेमाल किया जाता था। इससे ब्लैक मनी और दलाली की संस्कृति पनपती थी। ट्रांसफर एक्ट इसको पूरी तरह न सही आंशिक रूप से भी ध्वस्त कर देगा तो इस एक्ट का जनता में एक अच्छा संदेश जाएगा।