आइएएस लाॅबी उतरी विरोध मे!!
भारतीय वन सेवा के अफसर मनोज चंद्रन वर्तमान में सचिवालय में अपर सचिव के पद पर हैं। आजकल सचिवालय के कार्मिक विभाग में मनोज चंद्रन को सचिव बनाए जाने की तैयारी चल रही है। मनोज चंद्रन ने कुछ दिन पहले कार्मिक विभाग को एक पत्र लिखा था कि उन्हें सचिव बना दिया जाए। दरअसल कुछ माह पहले मनोज चंद्रन को ₹10000 का ग्रेड वेतन दिया गया है। अब मनोज चंद्रन का तर्क है कि यह ग्रेड वेतन सचिव की पोस्ट का होता है इसलिए उन्हें भी सचिव बना दिया जाए ।
जब यह पत्र कार्मिक विभाग में पहुंचा तो कार्मिक के एक अफसर ने इस पर उल्टे टिप्पणी लिख दी थी कि मनोज चंद्रन किस आधार पर खुद को सचिव बनाए जाने की बात कर रहे हैं? अगर मनोज चंद्रन का ग्रेड वेतन वाला तर्क मान लिया जाए तो 10000 ग्रेड वेतन के उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में दर्जनों अधिकारी हैं, वह सब भी खुद को शासन में सचिव बनाए जाने के लिए योग्य हो जाएंगे। फिर देश की सर्वोच्च सेवा IAS में चयनित होने की जरूरत ही क्या है!
सचिव की पोस्ट पर IAS अथवा PCS काडर का अधिकारी ही आ सकता है। सूत्रों का कहना है कि जब कार्मिक विभाग में मनोज चंद्रन का पत्र पहुंचा तो उस पर कार्मिक के एक अधिकारी ने कड़ी टिप्पणी लिख दी थी कि क्यों न इस पर कुछ कार्यवाही की जाए!
किंतु फिर जब यह फाइल उनके उच्चाधिकारी तक पहुंची तो उन्होंने नोटशीट से यह टिप्पणी हटवा दी। तब कुछ दिन के लिए यह फाइल ठंडे बस्ते में चली गई थी ।
अब यह मुद्दा एक बार फिर से चल पड़ा है। हुआ दरअसल यह कि वर्तमान में मनोज चंद्रन समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर हैं। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने आईएएस रविनाथ रमन को प्रभारी सचिव समाज कल्याण का दायित्व सौंप दिया तो मनोज चंद्रन को यह नागवार गुजरा। उन्होंने तर्क दिया कि आईएएस रविनाथ रमन का ग्रेड वेतन उनसे कम है इसलिए वह उनसे जूनियर हैं। इसलिए वह रविनाथ रमन के अंडर में काम नहीं करेंगे। इसी बिना पर मनोज चंद्रन ने खुद को एक बार फिर से सचिव बनाए जाने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। हालांकि रविनाथ रमन ने अभी प्रभारी सचिव समाज कल्याण का पदभार ग्रहण नहीं किया है क्योंकि वह फिलहाल राज्यपाल के साथ हैं तथा प्रभारी सचिव गृह का पदभार भी संभाल रहे हैं।
मनोज चंद्रन को सचिव बनाए जाने के समर्थन में यह तर्क दिया जा रहा है कि क्योंकि पहले भी IAS-PCS सेवा से इतर आईटी सेवा के अफसर दीपक गैरोला को भी सचिव बनाया जा चुका है, इसलिए उन्हें भी सचिव बना दिया जाए।
गौरतलब है कि जब दीपक गैरोला को सचिव बनाया गया था तो IAS लाॅबी ने ही यह कहते हुए उनकी छुट्टी करा दी थी कि IAS अथवा PCS सेवा के अलावा किसी अन्य सेवा के अफसरों को सचिव नहीं बनाया जा सकता। विरोध करने वालों मे तत्कालीन सचिव भूपेन्द्र कौर अलख भी थी। अब अपने फायदे के लिए यही अफसर उस तर्क को पलट कर इस्तेमाल करना चाहते हैं। अब इन अफसरों का कहना है कि क्योंकि पहले भी दूसरी सेवा के अफसर दीपक गैरोला को सचिव बनाया जा चुका है इसलिए मनोज चंद्रन को भी सचिव बना दिया जाए ।
22अगस्त को आईएएस एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से एक अनौपचारिक मुलाकात की थी। जिसमें उन्होंने कोई एजेंडा या मांग पत्र तो मुख्यमंत्री को नहीं दिया लेकिन मुलाकात के समय मुख्यमंत्री के सामने मनोज चंद्रन को सचिव बनाए जाने पर अपनी आपत्ति जरुर व्यक्त की थी ।
आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह ने पर्वतजन से बातचीत में कहा कि यदि मनोज चंद्रन को सचिव बनाया गया तो आईएएस एसोसिएशन इसका कड़ा विरोध करेगी।
मनोज चंद्रन भारतीय वन सेवा के अफसर हैं तथा वन सेवा में इनकी छवि साफ अधिकारी की नहीं रही है। संभवतः इसीलिए उन्होंने वन सेवा के बजाए सचिवालय में अपने लिए कुछ एडजस्टमेंट की तिकड़म भिडाई है।
वन सेवा में रहने के दौरान कुछ वन अपराधों में संलिप्तता को लेकर उनके खिलाफ कुछ जांच एजेंसियों ने भी जांच की थी। उस जांच का क्या हुआ, इस पर भी अभी तक किसी सरकार ने संज्ञान नहीं लिया है। सचिवालय में दूसरे विभागों के अफसरों को अपर सचिव के पद पर तो लिया जा सकता है किंतु उन्हें सचिव नहीं बनाया जा सकता।
दूसरा तथ्य यह है कि सचिवालय में दूसरे विभागों से आकर अपर सचिव बने अफसरों को उसी विभाग से संबंधित कामकाज दिया जाता है ।भारतीय वन सेवा के अफसर मनोज चंद्रन को शासन में अपर सचिव बनाए जाने के लिए एक नायाब तर्क दिया गया और फिर उसी तर्क को तोड़- मरोड़ कर वह अब तक सचिवालय में जमे हुए हैं। दरअसल समाज कल्याण विभाग में वनवासियों के वन अधिकारों को लेकर एक पुनर्वास की योजना चलाई जाती है। मनोज चंद्रन को शासन में अपर सचिव बनाते समय यही तर्क रखा गया कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत वनवासियों के अधिकारों को ठीक से देखने-समझने के लिए वन सेवा के अफसर मनोज चंद्रन को समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव बना दिया जाए। किंतु बाद में मनोज चंद्रन ने वनवासियों के अधिकारों के लिए तो कुछ भी नहीं किया किंतु समाज कल्याण विभाग के अधिष्ठान से लेकर अन्य योजनाओं पर जरूर कब्जा जमा लिया। फिलहाल इतना ही तय माना जा रहा है कि यदि मनोज चंद्रन को सचिव नहीं बनाया जा सका तो उन्हें अपने मूल विभाग यानी वन विभाग में वापस जाना होगा।
एक समीकरण यह भी है कि मनोज चंद्रन को उनके मूल विभाग में वापस भेजने के लिए वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने ही कुछ खेल किया हो सकता है, वरना यह मात्र संयोग नहीं हो सकता कि पहले भी टकराहट IAS रविनाथ रमन तथा दीपक गैरोला के बीच हुई थी तथा इस बार भी टकराहट रविनाथ रमन तथा मनोज चंद्रन के बीच ही है। पहले आईटी सेवा के अफसर सचिव दीपक गैरोला के साथ काम करने से आईएएस तथा तत्कालीन अपर सचिव आई टी रविनाथ रमन ने मना कर दिया था। अब रविनाथ रमन से यह अहम वन सेवा के अफसर मनोज चंद्रन का टकराया है। रविनाथ रमन युवा तथा तेज तर्रार अफसर हैं और युवा आईएएस ऑफिसर की समस्याओं और उनकी मांगों के लिए नेतृत्व करने में हमेशा आगे रहते हैं।
अब मनोज चंद्रन शासन में ही सचिव बनाए जाने को लेकर जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं।बहरहाल देखना यह है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार उन्हें कब तक सचिव के पद पर बिठाती हैं और यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि IAS लॉबी का इसको लेकर क्या रुख रहता है!