अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक की मनमानी और भ्रष्टाचार को उजागर करते तीन वीडियो सामने आए हैं। इन वीडियो को देख कर पता चलता है कि अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक एम पी एस बिष्ट किस तरह से अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते है और किस तरह से उन्होंने अंतरिक्ष उपयोग केंद्र को शोषण तथा अपनी भोग विलासिता का अड्डा बना रखा है !
देखिए वीडियो-1
गौरतलब है कि अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक तो क्या उत्तराखंड राज्य के मुख्य सचिव को भी घर पर सरकारी खर्चे से नौकर रखना अनुमन्य नहीं है।
ऐसे में क्या इन निदेशक महोदय से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि प्रथम श्रेणी में पोस्ट ग्रेजुएट उत्तराखंड के लड़कों को यदि नौकरी नहीं मिल रही है तो क्या उनकी यही नियति है कि वह आउट सोर्स के माध्यम से एम पी एस बिष्ट जैसे भ्रष्ट निदेशकों के बच्चों के कपड़े धोने और उनके पामेरियन नस्ल के शोपीस कुत्ते घुमाने को अभिशप्त हैं ! और उनके टॉयलेट बाथरूम साफ करेंगे ! कुत्ते ही घुमाने होते तो नौकरी क्यों करते! गांव मे ही अपने भोटिया प्रजाति के कुत्तों के साथ रहते।
देखिए वीडियो-2
अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक बिष्ट कर्मचारियों को अपने घर पर झाड़ू पोछे, टॉयलेट-बाथरूम की साफ-सफाई और कपड़ों की धुलाई के काम पर लगा कर रखते हैं। यही नहीं अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के कर्मचारियों से निदेशक दो कुत्तों को टहलाने, टॉयलेट कराने के साथ-साथ अपनी गाड़ी धुलाने का भी काम लेते हैं और जब कर्मचारी यह काम करने से मना करते हैं तो निदेशक भी कह देते हैं कि “जब तुम मेरा काम नहीं कर सकते तो फिर तुम भी मेरे किसी काम के नहीं हो”। यह कहते हुए उन्होंने 16 जनवरी को अपने कार्यालय के कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया।
देखिए वीडियो-3
उदाहरण के तौर पर एक कर्मचारी सोहन सिंह का वीडियो आप देख सकते हैं। एक वीडियो में सोहन सिंह कहते हैं कि 10 सालों से अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में कई अन्य डायरेक्टर भी आए गए, लेकिन किसी ने भी कार्यालय के कर्मचारियों से घर का काम नहीं कराया। सोहन सिंह कहते हैं कि निदेशक नौकरी से निकालने की धमकी देकर जबरन शोषण करते हैं।
सोहन सिंह सामाजिक विज्ञान विषय में फर्स्ट डिवीजन में पोस्ट ग्रेजुएट युवक है, लेकिन उत्तराखंड में नौकरियां तो सिर्फ प्रभावशाली और जान पहचान वाले लोगों की बपौती बनकर रह गई है।
अपनी मनमर्जी और शोषण के दरवाजे खुले रखने के लिए अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने पद होते हुए भी आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति की, ताकि मन मुताबिक शोषण न कराने पर उनको बाहर का दरवाजा भी दिखाया जा सके।
एक कर्मचारी सोहन सिंह पहले अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में तैनात थे, किंतु जैसे ही एम पी एस बिष्ट निदेशक बनकर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में आए तो उन्होंने सोहन सिंह को कहा कि तुम्हें मेरे घर पर काम करना है।
निदेशक का लिहाज करते हुए सोहन सिंह खामोशी से निदेशक के घर पर तैनात हो गए। यहां पर सोहन सिंह का काम निदेशक के कपड़ों की धुलाई, घर के झाड़ू पोछा का सभी कामकाज और टॉयलेट बाथरूम की सफाई मात्र रह गया। सोहन सिंह को निदेशक के बीटेक में अध्ययनरत पुत्र के कपड़ों को भी धोना पड़ता था।
जब अति हो गई तो कुछ महीने बाद सोहन सिंह ने यह काम करने के प्रति आपत्ति जाहिर की और वापस अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में भेजे जाने की गुहार लगाई तो निदेशक ने यह कहते हुए सोहन सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया कि अगर तुम मेरा काम नहीं कर सकते तो तुम भी मेरे किसी काम के नहीं हो।
इससे पहले डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर कार्य कर चुकी शीला रावत को भी डायरेक्टर ने अपने घर का कामकाज करने के लिए कहा था। डायरेक्टर ने शीला रावत को कहा कि “तुम्हारा घर मेरे घर के नजदीक पड़ता है इसलिए तुम मेरे घर पर घर का काम काज कर लिया करो।”
शीला रावत ने इंकार कर दिया तथा कहा कि उनकी नियुक्ति अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में हुई है, इसलिए वह घर पर काम नहीं करेंगी। निदेशक को यह बात नागवार गुजरी और आखिरकार उन्होंने शीला रावत को भी नौकरी से निकाल दिया।
नौकरी से बर्खास्त इन आउटसोर्स कर्मचारियों का धरना लगभग 125 दिन से जारी है लेकिन उत्तराखंड के इन नौजवानों के विषय में शासन-प्रशासन कान धरने को राजी नहीं है। ऐसे में अहम सवाल यही है कि क्या इसी तरह से अफसरों के घरों में शोषण कराने के लिए यह राज्य बनाया गया था ! देखना यह है कि कार्यालय के कर्मचारियों से घर पर शोषण कराने वाले यह वीडियो सार्वजनिक होने के बाद शासन-प्रशासन अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है !