स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई अस्थि कलश यात्रा के विसर्जन के बाद कार्यक्रम में व्यापक अव्यवस्थाओं से बुरी तरह नाराज भाजपा के आला नेताओं ने कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की जमकर क्लास लगाई और उन्हें इतने गरिमापूर्ण कार्यक्रम को राजनीति का शिकार बनाने के लिए काफ़ी कोसा गया।
दरअसल कार्यक्रम की समाप्ति के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के प्रेम नगर आश्रम में भाजपा के श्याम जाजू, शिवप्रकाश, संजय कुमार तथा अजय भट्ट से लेकर तमाम पार्टी के बड़े नेता कार्यक्रम की समीक्षा के लिए एकजुट हुए।
इस बैठक में सतपाल तथा निशंक खेमे के तमाम विधायक भी मौजूद रहे, किंतु बैठक में मदन कौशिक खेमे से कोई बड़ा चेहरा शामिल न था।
बाद में मदन कौशिक को बैठक में बुलाया गया और उनसे पूछा गया कि जब कार्यक्रम सतपाल महाराज के आश्रम से आरंभ किया जाना था तो रातों रात कार्यक्रम स्थल बदलकर पहले शांतिकुंज और फिर बाद में भल्ला कॉलेज में क्यों कराया गया !
कार्यक्रम के दौरान पेयजल से लेकर तमाम छोटी-छोटी अव्यवस्थाओं से बुरी तरह बौखलाए पार्टी के नेताओं ने इसका सारा ठीकरा मदन कौशिक के सर पर जमकर फोड़ा।
शांतिकुंज प्रमुख भी हुए नाराज !
गौरतलब है कि शांतिकुंज के प्रमुख प्रणव पंड्या भी मदन कौशिक के इस कदम से काफी नाराज हैं। यही कारण था कि इस कार्यक्रम से शांतिकुंज के कार्यकर्ताओं ने पूरी तरह से किनारा रखा। शांतिकुंज का कोई भी व्यक्तित्व इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार अब पार्टी के कुछ बड़े नेता शांतिकुंज के प्रमुख प्रणव पंड्या को मनाने की जुगत में लगे हुए हैं।
पत्रकार पर ही भड़के मंत्री जी
गौरतलब है कि सतपाल महाराज के आश्रम की दीवार तोड़े जाने से उत्पन्न विवाद के बाद एक साल से मदन कौशिक महाराज के आश्रम की तरफ नहीं गए थे। आज कार्यक्रम स्थल पर मदन कौशिक को बुलाए जाने पर जब वह आए तो उनसे एक पत्रकार ने पूछ लिया कि आखिर आज कैसे आश्रम में पदार्पण हो गया ! इस पर बौखलाए मदन कौशिक ने पत्रकार से ही प्रतिप्रश्न कर डाला कि मुझे यहां आने के लिए क्या तुम्हारे टिकट की जरूरत पड़ेगी ?
जाहिर है कि मदन कौशिक हरिद्वार से लोकसभा टिकट के दावेदार हैं और इसी समीकरण के तहत उन्होंने अस्थि विसर्जन कार्यक्रम को अपने अनुसार बदल डाला था, लेकिन इलेवंथ आॅवर में बदले गए इस कार्यक्रम से उनको यश मिलने के बजाय नाराजगी झेलनी पड़ी।
इस कार्यक्रम को राजनैतिक रैली का रूप दे दिया गया था,जबकि इसे समारोह कहा जा रहा था। जहां स्टेज था, वहां नीचे सीढ़ी खाली रखी हुई थी।यहां बाद में कार्यकर्ताओं को बिठाया गया। कुछ संत पहले जगह न मिलने के कारण बाहर चले गए, उनको बाद में मना कर बिठाया गया। स्टेज में मुश्किल से 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी।
फिलहाल तो भाजपा के बड़े नेता शांतिकुंज प्रमुख को मनाने पर अपना ध्यान लगाए हुए हैं, उसके बाद देखना होगा कि एक साल से चले आ रहे इस विवाद का पटाक्षेप किस तरह से होता है !