ऋषिकेशः योग और अध्यात्म की नगरी ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज हो गया है। यहां विदेशों से आए २० देशों के ७० योग प्रशिक्षक योग की विभिन्न विद्याओं के साथ उत्तराखण्ड में योग से आयुर्वेद, संस्कृत वाचन, रेकी और भारतीय दर्शन की शिक्षा दे रहे हैं।
परमार्थ निकेतन में हुए योग महोत्सव के पहले सत्र का शुभारंभ कुंडलिनी योग से हुआ। गंगा तट परमार्थ घाट पर स्थित सभागार में प्रातरू चार बजे कैलिफोर्निया अमेरिका से आये सुखमन्दिर ङ्क्षसह खालसा ने साधकों को कुण्डलिनी योग का अभ्यास कराया। तत्पश्चात पेन्सिलवानिया अमेरिका से आयी एरिका काफॅमैन द्वारा लीला योग, डॉ. फरजाना सिराज द्वारा योग थेरेपी का समकालीन औषधि के रूप में उपयोग एवं साध्वी आभा सरस्वती जी द्वारा पारम्परिक हठ योग का अभ्यास कराया गया। अमेरिका से आयी आनन्द्रा जार्ज द्वारा ब्रह्ममूहूर्त में ध्यान के दौरान मंत्रो का मधुर वाचन किया गया। अल्पहार के पश्चात प्रातःकाल आसन की कक्षाओं में दो घंटे तक योग गुरुओं ने योग अभ्यास कराया। गंगा के तट पर योग से संयोग के इस विशिष्ट सत्र का निर्देशन कैलिफोर्निया अमेरिका की प्रसिद्ध योगी लौरा प्लम्ब, ने किया। मिलर, कैलिफोर्निया अमेरिका की प्रसिद्ध योगी टामी रोजेन एवं ऋषिकेश व वर्तमान में चीन के योगाचार्य मोहन भण्डारी द्वारा किया गया। उसके बाद के सत्र में अमेरिका से आये एडम बोर द्वारा कीर्तन कार्यशाला एवं रूस लिप्टन द्वारा ‘विश्वास का जीव विज्ञान’ विषय पर परिचर्चा की गयी। उपासना कामिनी द्वारा तन और मन के रोगों के उपचार हेतु समग्र स्वास्थ्य परीक्षण पर संवाद सम्पन्न कराया गया। स्वामी बीए परमद्ववेती ने इन बाउंड योग का तथा इण्डिया योग के संस्थापक श्री भरत शेट्ठी ने तन-मन एवं श्वास क्रिया के मध्य संयोजन का अभ्यास कराया।