भूपेंद्र कुमार
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दून महिला अस्पताल में बेड के इंतजार में 5 दिन से बरामदे में पड़ी एक गर्भवती महिला ने दिनांक 20-9-2018 को फर्श पर ही बच्चे को जन्म देने के बाद दम तोड़ दिया था। माँ की मृत्यु के कुछ क्षणों पश्चात ही नवजात ने भी दम तोड़ दिया था।
इस संबंध में महिला अस्पताल के डॉक्टर स्टाफ नर्सों जिम्मेदारों की घोर लापरवाही की शिकायत इस संवाददाता द्वारा माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में एवं अन्य माननीयों को की गई थी।
माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड शासन/ जिलाधिकारी देहरादून एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई है , माननीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा शिकायत की प्रति माननीय उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के सचिव को भी भेज कर इस प्रकरण के बारे में पूछा गया है कि अगर आपके द्वारा इस प्रकरण में संज्ञान लिया गया हैं तो आपके द्वारा अब तक क्या कार्रवाई की गई है ।
गौरतलब है कि इसकी शिकायत पहले इस संवाददाता ने पुलिस तथा महिला आयोग में की थी लेकिन किसी के भी स्तर से कागजी औपचारिकता के अलावा कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई।
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से मौत का शिकार हुई सुचिता मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के दिखोल गांव पट्टी नागिनी की रहने वाली थी और वर्तमान में अपने पति रमेश रावत के साथ मसूरी में रह रही थी। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन ने खाना पूर्ति के लिए इंटरनल जांच कमेटी बनाकर मामले को रफा-दफा कर दिया था।
किंतु अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देहरादून के एसएसपी, जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव सहित उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग से भी इस संबंध में जवाब तलब कर दिया है। उम्मीद है कि अब जच्चा बच्चा के परिजनों को न्याय मिल सकेगा।