आज सदन में जहां एक ओर पूरा विपक्ष विधानसभा गेट के बाहर धरने पर बैठा रहा, वहीं सरकार अपने ही विधायकों से घिरी रही।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का बड़बोलापन आज उन्हीं पर भारी पड़ गया। दरअसल हुआ यह कि राजपुर विधायक खजान दास ने सफाई कर्मियों की भर्तियों का मुद्दा सदन में उठाया था। विधायक खजान दास ने विधानसभा में प्रश्न लगाया था कि सफाई कर्मियों की भर्तियां क्यों नहीं हो रही है और इससे सफाई कर्मियों की अगली पीढ़ी के बच्चों को रोजगार कैसे मिलेगा !
खजान दास को प्रश्न के उत्तर की जो प्रति पहले घर के उपलब्ध कराई गई थी उसमें कुछ और जवाब था तथा जो प्रति सदन में उपलब्ध कराई गई थी उसमें कुछ और जवाब था।
इस पर खजान दास ने पूछ लिया कि “इन दो तरह के जवाबों में कौन सा जवाब सही है और यह जवाब दो तरह के क्यों है ! आखिर वह किस जवाब को सही माने!” इस पर मदन कौशिक ने लापरवाही से विधायक को चुप रहने का फरमान सा सुनाते हुए कह डाला कि वह “जो कहे वही सही मान लिया जाए।” इस पर विधायक खजान दास भड़क गए और बोले तो फिर उन्हें गलत जवाब की प्रति क्यों उपलब्ध कराई गई थी !
किंतु इस बीच मदन कौशिक की लापरवाही वाला अंदाज मुन्ना सिंह चौहान को अखर गया। विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मदन कौशिक को सदन की मर्यादाओं और परंपराओं का जमकर एहसास करा दिया और कहा कि यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधि कुछ पूछ रहा है तो मंत्री को जिम्मेदारी पूर्वक इसका जवाब देना चाहिए ना कि ऐसे गैर जिम्मेदार जवाब की अपेक्षा वे सरकार के मंत्री से करते हैं।
मुन्ना सिंह चौहान का इतना बोलना था कि मदन कौशिक निरुत्तर हो गए। इस बीच विधायक संजय कुमार ने मुद्दे को लपक लिया और कह डाला कि हरीश रावत के टाइम पर वह यह तो सुनते थे कि खाता ना बही जो हरीश रावत कहे वही सही लेकिन इस सरकार में तो ऐसा हो रहा है कि खाता ना बही जो मदन कौशिक कहे वही सही।
तीन-तीन विधायकों के बरसने पर मदन कौशिक की जुबान को ताला लग गया और वह चुपचाप बैठ गए बहरहाल आज सरकार के प्रवक्ता तथा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को इन तीनों विधायकों ने यह एहसास करा दिया कि आज भले ही वे विधायक हैं लेकिन आने वाले समय में रिक्त पड़ी 2 सीटों पर मंत्री पद की दावेदारी करने की पूरी पूरी योग्यता रखते हैं। बहरहाल आज इन तीनों विधायकों ने सदन में विपक्ष की कमी नहीं खलने दी।