अपनी शर्तों पर सिर्फ़ अपने समर्थकों को निकाय चुनाव में टिकट बाँटने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए आज तब अजीब स्थिति पैदा हो गयी जब वो डोईवाला नगर पालिका में भाजपा प्रत्याशी नगीना रानी के नामांकन के लिए पहुँचे।
नगीना रानी के नामांकन से ठीक पहले चार बार के कन्हरवाला के प्रधान नरेंद्र सिंह नेगी ने पार्षद का टिकट वापस कर दिया। नेगी के अचानक के इस निर्णय से भाजपा बैकफ़ुट पर आ गयी कि अब प्रत्याशी कहां से लायें !
कन्हरवाला के 22 साल से ग्राम प्रधान नरेंद्र सिंह नेगी ने पर्वतजन से बातचीत में कहा कि वह चुनाव से नहीं भागे हैं, बल्कि पहले उनका नाम टिकट के लिए चल रहा था लेकिन पारिवारिक मजबूरियों तथा अन्य व्यवस्थाओं के चलते उन्होंने काफी पहले ही मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव लड़ने के प्रति अपनी असमर्थता से अवगत करा दिया था।
बहरहाल पार्टी ने संभवतः तैयारी नही की तथा आनन फ़ानन में एक नए प्रत्याशी को टिकट देकर कर इतिश्री कर दी। नगीना रानी को टिकट देने से डोईवाला में भाजपा दो फाड़ पहले ही हो गयी और नगीना रानी के नामांकन के लिए भीड़ ज़ुटानी मुश्किल हो गयी।
आधी भीड़ भाजपा से बग़ावत कर लड़ने वाली मधु डोभाल के साथ चले जाने से स्थिति और अप्रिय हो गयी।आनन – फ़ानन में मुख्यमंत्री की टीम द्वारा फ़ोन लगवाए गए। असंतुष्ट लोगों की ऊपरी स्तर पर बात का सिलसिला शुरू हुआ लेकिन भीड़ जुटी नहीं।
इस बीच डोईवाला में एक वाहन में मुनादी करवायी गयी कि मुख्यमंत्री पहुँच चुके हैं, सभी लोग जल्दी पहुँचे !
तमाम प्रयासों के बावजूद भी जब अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुटी तो देहरादून ऋषिकेश के लोग बुलाए गए। आख़िर में पोल तब खुली, जब नामांकन कक्ष में मुख्यमंत्री के सलाहकार और ओएसडी भी पहुँच गये। मुख्यमंत्री ने अपने अनुसार अपनी विधानसभा में टिकट तो दे दिया लेकिन शुरुआत ऐसी होगी उन्होंने सोचा न था।
नगीना रानी के बराबर की भीड़ जुटाकर मधु डोभाल ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी इस सीट पर ये ताजा समीकरण कांग्रेस की सुमित्रा मनवाल के लिए मुफ़ीद हो सकते हैं। शिक्षिका पद से रिटायर सुमित्रा मनवाल का राजनीतिक परिवार से होना उनके लिए सहयोगी के रूप में है।बहरहाल डोईवाला की ख़राब शुरुआत ने सीएम और उनकी टीम की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।