स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए जितनी बड़ी समस्या विपक्षी दल नहीं, उससे अधिक चुनौती उन्हें स्वयं के घर और दल से मिल रही है। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की भाभी के भाजपा के खिलाफ बगावत का चुनाव लडऩे से उनके लिए स्थिति असहज है। वहीं खुद उनकी डोईवाला विधानसभा, जहां से वे विधायक चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री बने हैं, की डोईवाला नगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी में जबर्दस्त विद्रोह मचा हुआ है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तमाम समीकरणों को दरकिनार करते हुए डोईवाला नगरपालिका अध्यक्ष पद पर जिन नगीना रानी को भाजपा का सिंबल दिलाया है, उनके खिलाफ भाजपा की बगावत कर चुनाव लडऩे वाली मधु डोभाल ने सनसनीखेज तथ्यों के साथ आरोप लगाए हैं कि जानबूझकर उनका टिकट काटा गया और हकीकत यह है कि पांच वर्ष तक डोईवाला की ब्लॉक प्रमुख रहने के बाद नगीना रानी जब पांच वर्षों का अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर मारखमग्रांट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ी तो मारखमग्रांट की जनता ने नगीना रानी के पांच वर्ष के शासन का जवाब उन्हें तीसरे नंबर पर धकेल कर दिया।
2014 के पंचायत चुनाव में नगीना रानी जिस मारखमग्रांट से चुनाव लड़ी, उस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष चौधरी गौरव सिंह की पत्नी टीना सिंह को 9358 मत प्राप्त हुए। उन्होंने जिन शहनाज को उत्तराखंड के इतिहास में अब तक के रिकार्ड 6225 मतों से हराया, उन्हें मात्र 3133 मत मिले, जबकि तीसरे नंबर पर रही नगीना रानी को क्षेत्र की जनता ने 2800 वोटों में समेटकर रख दिया।
भाजपा से बगावत कर चुनाव लडऩे वाली मधु डोभाल का कहना है कि जिस महिला के नाम हार का सबसे बड़ा रिकार्ड हो, आखिरकार उन्हें टिकट देने का तब क्या औचित्य था, जबकि भारतीय जनता पार्टी, संघ के सर्वे में मधु डोभाल सबसे बेहतर और जिताऊ प्रत्याशी बताई गई।
नगीना रानी के चुनाव मैदान में उतरने के बाद मधु डोभाल की ओर से ताबड़तोड़ बैठकों और सभाओं के बाद डोईवाला नगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी की हालत फिलहाल पस्त है। यदि यही ट्रेंड बरकरार रहा तो डोईवाला नगरपालिका में नगीना रानी को टिक पाना और मुश्किल हो जाएगा।
देखना है कि भारतीय जनता पार्टी अब बगावत कर चुनाव लड़ रही मधु डोभाल द्वारा किए जा रहे हमलों का क्या तोड़ निकालती है या निकाल भी पाती है। बहरहाल, नगीना रानी के प्रचार की चर्चा कम और उनके उत्तराखंड के इतिहास में हार का रिकार्ड बनाने की चर्चा ने चुनाव को रोचक बनाया हुआ है।