• Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • वेल्थ
  • हेल्थ
  • मौसम
  • ऑटो
  • टेक
  • मेक मनी
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

एसपी से बड़ा थानेदार!

in पर्वतजन
0
1
ShareShareShare

Related posts

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ईएनटी सर्जन ने पॉच साल के बच्चे की श्वास नली से निकाली सीटी

March 28, 2023
36

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक सप्ताह का आयोजन

March 28, 2023
19

प्रदेशभर से सूचना के अधिकार में प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि थानेदार फरियादियों की शिकायतों पर मुकदमे दर्ज करने की बजाय उन्हें बैरंग लौटा देते हैं तथा अपने उच्चाधिकारियों के निर्देशों पर भी मुकदमे दर्ज नहीं करते।

भूपेंद्र कुमार

उत्तराखंड मेंं मित्र पुलिस अपने क्षेत्र को अपराधमुक्त क्षेत्र बताने के लिए अपराधों की एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) ही दर्ज नहीं करती। फरियादी थाने में तहरीर लेकर जाते हैं, लेकिन पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बजाय फरियादियों को बाहर से ही टरका देती है, बल्कि कई बार उन्हें मुकदमेबाजी में न फंसने की सलाह दे डालते हैं।
पिछले दिनों उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक एमए गणपति ने सभी पुलिस अधीक्षकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से काफी डांट लगाई। गणपति ने क्षुब्ध होकर यहां तक कह दिया कि जो थाने मुकदमे दर्ज नहीं करते, उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ३० नवंबर तक सभी राज्यों को मुकदमें ऑनलाइन दर्ज करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
इस संवाददाता ने पुलिस मुख्यालय से सूचना के अधिकार के अंतर्गत उत्तराखंड के समस्त थाना-चौकियों में आए शिकायती पत्रों और उन पर हुई कार्यवाही की सूचना मांगी थी। पुलिस मुख्यालय के साथ ही पुलिस अधीक्षक कार्यालयों और विभिन्न थाना-चौकियों से १ अप्रैल २०१५ से लेकर ३० अप्रैल २०१६ तक प्राप्त सूचनाओं का जब विश्लेषण किया गया तो पुलिस महकमे की तानाशाही का नया चेहरा सामने आया।
आरटीआई में प्राप्त जानकारी से पता चला कि थानेदार थाने में आई शिकायतों पर तो कार्यवाही करते नहीं, साथ ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय से थानों को भेजी गई शिकायतों को तो लगभग दरकिनार ही कर देते हैं।
शहर कोतवाल के जलवे
जनता की शिकायतों के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण देहरादून का सबसे संवेदनशील कोतवाली थाना है।
थाना कोतवाली में अप्रैल २०१५ से अप्रैल २०१६ के मध्य २४५६ शिकायतें सीधे प्राप्त हुई, लेकिन कोतवाली में मात्र ११० शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की गई। वहीं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आई २०३० में से मात्र ३८ शिकायतों पर ही एफआईआर दर्ज की गई। इससे साफ पता चलता है कि यहां के थानेदार अपने यहां आए फरियादियों को तो कोई तवज्जो नहीं देते, लेकिन आलाधिकारियों द्वारा भेजी गई शिकायतों पर भी कान नहीं धरते। थानेदारों की यह मनमानी यूं ही नहीं है।
थानेदारों को सियासी संरक्षण के चलते वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश भी उनके सामने बौने पड़ जाते हैं।
पिछले दिनों देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सदानंद दाते ने कोतवाली क्षेत्र तथा पटेलनगर के थानेदारों के ट्रांसफर कर दिए थे, लेकिन सियासी संरक्षण के चलते कोतवाली क्षेत्र के थानेदार ने नई जगह ज्वाइन तक नहीं किया और रातोंरात उन्हें कोतवाली की सत्ता दोबारा प्राप्त हो गई। यह घटना थानेदार के सामने एसएसपी का कद बताने के लिए पर्याप्त है।
दून के थाने : राम जाने
कोतवाली क्षेत्र ही नहीं देहरादून के सभी थाना क्षेत्रों का यही हाल है। रायवाला के थाना क्षेत्र में तो और भी अधिक अंधेरगर्दी है। यहां २७१ शिकायतें दर्ज हुई, किंतु थानेदार ने एक भी शिकायतें दर्ज नहीं की। वहीं एसएसपी कार्यालय से रायवाला को ११७ शिकायतें कार्यवाही के लिए भेजी गई, किंतु थानाध्यक्ष ने एसएसपी कार्यालय के कहने पर भी एक भी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं किया।
सबसे वीआईपी थाना क्षेत्र वसंत विहार और डालनवाला का हाल तो और भी निराला है। इन दोनों थाना क्षेत्रों में क्रमश: ९९४ और ९९० शिकायतें प्राप्त हुई, किंतु दोनों में १२-१२ मुकदमे ही दर्ज किए गए। एक और समानता देखिए कि इन दोनों थानों को एसएसपी कार्यालय से क्रमश: ९९४ व ९९० शिकायतें ही प्राप्त हुई और उन प्राप्त सूचनाओं पर भी उन्होंने १२-१२ मुकदमें ही दर्ज किए। क्या गजब का याराना है।
ऐसी संयोगभरी समानता से एक संदेह जरूर उत्पन्न होता है कि इन्होंने सूचना के अधिकार में जवाब ही आपस में मिलकर बनाए हो और हो सकता है कि इसका वास्तविकता से कुछ लेना-देना ही न हो।
देहरादून के विकासनगर, नेहरू कालोनी, मसूरी, जीआरपी, क्लेमेंटाउन, चकराता व कालसी थानों ने तो कोई जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझा। जाहिर है कि इन थाना क्षेत्रों में मुकदमे दर्ज करने के नाम पर भारी घालमेल है।

हरिद्वार रुद्रपुर में रामराज!
हरिद्वार में मंगलौर तथा बुग्गावाला थाने में तो ऐसा लगता है कि जैसे रामराज हो। इस थाने से प्राप्त सूचना के अनुसार मंगलौर में २६५ शिकायतों में से सभी में एफआईआर दर्ज हुई है।
बुग्गावाला में भी ७४ शिकायतों पर सभी पर एफआईआर दर्ज की गई, किंतु बुग्गावाला में एसएसपी कार्यालय से भेजी गई २६४ शिकायतों में से एक भी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जबकि मंगलौर में एसएसपी कार्यालय से भेजी गई ११५४ शिकायतों में से मात्र ५ शिकायतों पर ही एफआईआर दर्ज की गई। या तो यहां के थानाध्यक्ष भी एसएसपी को कुछ नहीं समझते या फिर ये सूचनाएं ही मनगढंत आंकड़ों पर आधारित हैं।
पिरान कलियर थाने में तो ३८६ सूचनाएं सीधे प्राप्त हुई और ९० सूचनाएं एसएसपी कार्यालय से भेजी गई थी, किंतु यहां के थानाध्यक्ष ने दोनों ही मामलों में एक भी एफआईआर पूरे साल में दर्ज नहीं की। इसी तरह श्यामपुर, पथरी, ज्वालापुर, कनखल, कोतवाली हरिद्वार आदि थाना क्षेत्रों में भी एसएसपी के कहने पर हजारों शिकायतें भेजी गई, लेकिन एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई।
ऊधमसिंहनगर के कुण्डा, सितारगंज, पंतनगर, नानकमत्ता, खटीमा, पुलभट्टा और केलाखेड़ा में जितनी भी शिकायतें सीधे आई वे तो शत प्रतिशत दर्ज की गई। यह जानकारी भी संदेहास्पद लगती है। एसएसपी कार्यालय से प्राप्त सूचनाओं पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया।
नैनीताल में निंदनीय
नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में भी ९५ शिकायतों में से एक भी दर्ज नहीं की गई। यहां एसएसपी नैनीताल की ओर से ६१ शिकायतें भेजी गई, किंतु उनमें से भी एक भी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। जिला नैनीताल के १२ थानों में से ८ थानों में हजारों शिकायतें एसएसपी कार्यालय से भेजी गई, किंतु एक भी शिकायत पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
पहाड़ी जिलों के मैदान में मनमानी
शेष पहाड़ी जनपदों में मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले प्राप्त शिकायतें काफी कम हैं तथा शिकायतों के मुकाबले एफआईआर दर्ज किए जाने का अंतर भी काफी कम है। इतना जरूर है कि पहाड़ी जनपदों के मैदानी कस्बों में स्थापित थानों में भी मैदानी जिलों की तरह ही अपराध के आंकड़े और थानेदारों की मनमानी के आंकड़े लगभग एक जैसे ही हैं। उदाहरण के तौर पर पौड़ी जिले के मैदानी कस्बे कोटद्वार थाना में २५५ शिकायतें सीधे तथा २४० शिकायतें एसएसपी के माध्यम से भेजी गई, किंतु एक भी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है तथा यहां देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अपराध का ग्राफ काफी कम होने के दावे किए जाते हैं, किंतु सूचना के अधिकार में प्राप्त थानों के आंकड़े बताते हैं कि चर्चित उपन्यासकार ने अपने उपन्यास ‘वर्दी वाला गुण्डाÓ में ठीक ही कहा है कि थानेदार अपने इलाके का सबसे बड़ा गुण्डा होता है।
एक ओर उत्तराखंड में ईमेल पर एफआईआर दर्ज कराने की तैयारियां हो रही हैं और सुप्रीम कोर्ट भी एफआईआर दर्ज करने के २४ घंटे के भीतर उसे अनिवार्य रूप से ऑनलाइन अपलोड करने के आदेश कर चुका है। वहीं आम पीडि़त व्यक्ति का कोई सुनने वाला नहीं। जब एफआईआर ही दर्ज नहीं होंगी तो ऑनलाइन किए जाने की तो बात ही बेमानी है। उत्तराखंड के पुलिस मुख्यालय ने ९ नवंबर से मुकदमें ऑनलाइन दर्ज करने का निर्णय लिया है। १२५ थाने कंप्यूटरीकृत हो चुके हैं तथा 27 अन्य को भी वी सेट से जोड़े जाने की तैयारी है। पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक एमए गणपति ने राजनीतिक संरक्षण चाहने वाले पुलिस अधिकारियों की तगड़ी क्लास ली थी। जाहिर है कि वह भी भली-भांति समझते हैं कि पुलिस को राजनीतिक संरक्षण से मुक्त किए बिना जनता के प्रति जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता।

जनता की शिकायतों के प्रति पुलिस कितनी संवेदनशील है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण देहरादून का सबसे संवेदनशील कोतवाली थाना है। थाना कोतवाली में अप्रैल 2015 से अप्रैल 2016 के मध्य 2456 शिकायतें सीधे प्राप्त हुई, लेकिन कोतवाली में मात्र 110 शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की गई।sp-se-bara-thanedar

 

”मैंने 9 नवंबर से उत्तराखंड के थानों को सभी मुकदमें ऑनलाइन दर्ज करने के निर्देश दे दिए हैं। इससे ऐसी शिकायतें अब नहीं आएंगी।
– एम.ए. गणपति
पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड

Previous Post

गुब्बारा नहीं, इलाज थमाइए

Next Post

हल्द्वानी को अराजक बनाती इंदिरा हृदयेश

Next Post

हल्द्वानी को अराजक बनाती इंदिरा हृदयेश

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Recent News

    • बड़ी खबर: खाई में गिरा पोकलैंड वाहन । एक घायल
    • बड़ी खबर : यहां मेडिकल छात्रों से फिर हुई रैगिंग। कॉलेज प्रशासन ने लिया सख्त एक्शन
    • एक्सक्लूसिव खुलासा : अफसर जी-20 में व्यस्त , माफिया खनन में मस्त । सुने ऑडियो, देखें वीडियो

    Category

    • उत्तराखंड
    • पर्वतजन
    • मौसम
    • वेल्थ
    • सरकारी नौकरी
    • हेल्थ
    • Contact
    • Privacy Policy
    • Terms and Conditions

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • उत्तराखंड
    • सरकारी नौकरी
    • वेल्थ
    • हेल्थ
    • मौसम
    • ऑटो
    • टेक
    • मेक मनी
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!