प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं। लेकिन उत्तराखण्ड सरकार की एक मंत्री रेखा आर्या ने एक ऐसे व्यक्ति गिरीश चंद्र जोशी से लाखों की जमीन खरीद डाली जिसकी हैसियत बेहद मामूली है।
यह व्यक्ति उनके पति गिरधारी लाल साहू का नौकर है। उसके नाम से करोड़ों की संपत्ति का लेन-देन स्पष्ट करता है कि वह गिरधारी लाल साहू
का मुखौटा मात्र है। आयकर विभाग उसकी जांच कर रहा है।
मोबाइल पर हुई बातचीत के 3 ऑडियो में गिरीश जोशी ने इस बात का खुलासा किया है।
उत्तराखंड के प्रमुख साप्ताहिक ‘दि संडे पोस्ट’ के पास ऐसे साक्ष्य हैं, जिनकी बिना पर उत्तराखण्ड की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्या के तार सीधे-सीधे बेनामी संपति की खरीद-फरोख्त से जुड़ते हैं।
अब देखना होगा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के कठोर संकल्प को हकीकत में बदलने की दिशा में कार्यवाही करते हुए क्या अपनी विधायक और मंत्री रेखा आर्या पर न्यायोचित कार्यवाही करती है या नहीं।
गौरतलब है कि संडे पोस्ट में पहले भी गिरधारी लाल साहू द्वारा बेनामी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के खुलासे किए थे तथा किडनी खरीदने बेचने का मामला भी उजागर किया था।
इसके जवाब में गिरधारी लाल साहू ने बरेली के थानों में अपने सियासी रसूख का लाभ लेते हुए संडे पोस्ट के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज करा दिए हैं, जबकि उत्तराखंड में साहू की पत्नी को किडनी देने वाले व्यक्ति ने जब पुलिस में शिकायत की तो उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले अखबार को मुकदमे और दमन का शिकार होना पड़ रहा है। जबकि इस प्रकरण में भ्रष्टाचार को लेकर उत्तराखंड सरकार का मौन जीरो टॉलरेंस की नीति को आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है।
कथा बेनामी संपति को मंत्री रेखा आर्या द्वारा खरीदने की
उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री रेखा आर्या के पति गिरधारी लाल साहू बड़े पैमाने पर बेनामी संपतियों को खरीदने-बेचने का काम अपने यहां खाना बनाने वाले गिरीश चंद्र जोशी के माध्यम से करते हैं। गिरीश चंद्र जोशी अल्मोड़ा जिले के देवली खाम गांव का मूल निवासी है और वर्तमान में रेखा आर्या के निवास बृजानंद बिहार में रहता है। गिरीश चंद्र जोशी का एक बेहद मामूली हैसियत का होने के बावजूद करोड़ों की संपति का लेन-देन करना यह प्रमाणित करने के लिए काफी है कि वह किसी बड़े काले-कारोबारी का मुखौटा मात्र है। देहरादून स्थित आयकर विभाग की इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन इकाई द्वारा गिरीश जोशी की बाबत जांच की जा रही है और विभाग के मुख्यालय तक रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। गिरीश जोशी को भेजे गए इंकमटेक्स के नोटिसों से स्पष्ट है कि उसके पास ना तो आय का कोई साधन है] ना ही आयकर नंबर है। इसके बावजूद यह व्यक्ति गिरीश चंद्र जोशी 21 जनवरी 2014 को तहसील किच्छा के गांव सिरोली खुर्द में एकता रानी पुत्री मदन मोहन मदान से 1.4991 हेक्टेयर 3.70 एकड़ जमीन एक करोड़ पैंतीस लाख रुपये में खरीद लेता है। रजिस्ट्री के कागजात में यह नहीं स्पष्ट है कि इसमें से कितनी धनराशि बैंक और कितनी नकद दी गई। यहां यह जांच का विषय है कि गिरीश चंद्र जोशी के पास इतनी बड़ी धनराशि कहां से आई जबकि उसके पास ऐसी आय के कोई साधन नहीं है। इस रजिस्ट्री में गवाह के तौर पर सतेंद्र राठौर के हस्ताक्षर हैं। सतेंद्र राठौर गिरधारी साहू का करीबी होने के साथ&साथ उसके द्वारा की गई अधिकांश खरीद-फरोख्त के मामलों में गवाह रहता आया है।
दि संडे पोस्ट में गिरधारी साहू के बेनामी कारोबार पर खबरों के प्रकाशित होने और इंकमटेक्स विभाग द्वारा जांच होने के दौरान ही 3 अक्टूबर 2017 को इस जमीन का 0.1896 हेक्टेयर हिस्सा त्रिवेंद्र रावत सरकार में मंत्री रेखा आर्या के नाम कर दिया गया। दस्तावेजों के अनुसार रेखा आर्या ने गिरीश चंद्र जोशी से यह जमीन कुल 12 लाख बत्तीस हजार में खरीदी। इस रजिस्ट्री में भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह धनराशि किस बैंक के जरिए गिरीश जोशी के खाते में डाली गई। ना ही यह स्पष्ट है कि नकद धन का आदान-प्रदान हुआ है। यह जांच का विषय है कि कितनी धनराशि का सही में हस्तांतरण हुआ है। बकौल गिरीश जोशी उससे केवल रजिस्ट्री कराई गई है। किसी भी प्रकार का कोई लेन-देन नहीं हुआ है। इस रजिस्ट्री में भी बतौर गवाह सतेंद्र राठौर के हस्ताक्षर हैं। भाजपा सरकार में मंत्री रेखा आर्या द्वारा इंकमटेक्स के क्रिमिनल विंग द्वारा जांच के दायरे में आ चुके व्यक्ति से जमीन खरीदना गंभीर प्रकरण है। ऐसे में जबकि उक्त गिरीश जोशी पर गिरधारी साहू के लिए बेनामी संपत्तियों को खरीद के आरोप हों, रेखा आर्या द्वारा जमीन खरीदना स्पष्ट करता है कि गिरीश जोशी के नाम पर दर्ज संपत्तियों को अब खुर्द-बुर्द किया जा रहा है ताकि भविष्य में गिरीश जोशी का बेनामी संपत्ति कानून की पकड़ में आने से पहले ही ऐसी संपतियों को साहू परिवार अपने नाम कर सके।
यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी रेखा आर्या ने वर्ष 2013 में गिरीश चंद्र जोशी से एक फ्लैट सात लाख सत्ताईस हजार रुपये में खरीदा था। ग्राम हरिपुर] हल्द्वानी में गिरीश जोशी ने कई फ्लैट बना कर बेचे हैं। इनमें से एक फ्लैट गिरधारी साहू की पहली पत्नी वैजयंती माला ने भी गिरीश जोशी से खरीदा है। इन दोनों रजिस्ट्री में भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि पैसों का लेन-देन कैसे हुआ है! इन फ्लैटों की रजिस्ट्री में भी बतौर गवाह सतेंद्र राठौर के ही हस्ताक्षर हैं। गिरीश चंद्र जोशी, गिरधारी साहू और रेखा आर्या के करीबी होने का एक प्रमाण वह एफआईआर है जो थाना मुखानी, हल्द्वानी में गिरीश चंद्र जोशी ने एक जमीन विवाद की बाबत 3/4/2015 को हर सिंह पालनी के खिलाफ दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में गिरीश चंद्र जोशी ने अपना पता निवासी बृजानंद विहार, लालपुर नायक, हल्द्वानी दिखाया है। 29 जून 2013 में जिस प्लॉट की रजिस्ट्री रेखा आर्या ने गिरीश जोशी से खरीद अपने नाम कराई उसमें उन्होंने अपना पता साहू निवास, बृजानंद विहार, लालपुर नायक हल्द्वानी ही दिया है।
संपत्तियों की इस खरीद-फरोख्त के सभी प्रमाण स्पष्ट तौर पर इन्हें बेनामी संपति होने की तरफ इशारा करते हैं। गिरीश जोशी से हुई बातचीत से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि वह गिरधारी लाल साहू का मुखौटा मात्र है। साहू उसका इस्तेमाल बेनामी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के लिए करता आया है। बकौल गिरीश जोशी उसे तो मात्र कुछ सौ रुपए ऐसे कामों की एवज में दिए जाते रहे हैं।
जोशी ने यह भी स्वीकारा है कि इनकम टैक्स विभाग की जांच के बाद से ही उसके बैंक खाते, जो साहू संचालित करता था, अब बंद कर दिए गए हैं। जिस जमीन को मंत्री रहते रेखा आर्या ने खरीदा है उसका कोई भी भुगतान गिरीश जोशी को नहीं दिया जाना सबसे बड़ा प्रमाण है कि ये सब संपत्तियां जोशी की न होकर गिरधारी लाल साहू की ही हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि रेखा आर्या ने रजिस्ट्री में 12 लाख बत्तीस हजार रुपए दिए जाने की बात कही है। जबकि गिरीश जोशी का कहना है कि उसके पास वर्ष 2015 के बाद से कोई बैंक खाता है ही नहीं। उसके अनुसार इस रजिस्ट्री को कराते समय कोई भुगतान नहीं किया गया है। “बेनामी लेन-देन निषेध कानून” स्पष्ट कहता है कि जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर संपत्ति खरीदता है तो वह बेनामी संपति कहलाती हैं। अब यह देखा जाना बाकी है कि उत्तराखण्ड सरकार और भाजपा प्रदेश संगठन अपने एक मंत्री द्वारा बेनामी संपति खरीदने पर क्या कार्यवाही करता है। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विषय पर अपना कड़ा रुख कई बार दर्शा चुके हैं। इसलिए उत्तराखण्ड सरकार और भाजपा संगठन अब शायद ही अपने मंत्री का बचाव कर पाए।
” तीन नंबर कोठी मेें बंंधक जोशी “
गिरधारी लाल साहू के मुलाजिम और बेनामी संपत्तियों के मुखौटा गिरीश जोशी से बातचीतः
आपने 2015 में एकता रानी से सिरोही खुर्द गांव में जमीन खरीदी थी वह कितने का सौदा हुआ था?
–हां, दो सौदे हुए थे। एक करोड़ पैंतीस लाख और दूसरा नब्बे लाख का। पैसा मेरे एक्सिस बेंक के खाते से दिए गए। इसी खाते पर इंकमटैक्स का नोटिस आने के बाद साहू जी ने इसे 2015 में बंद करा दिया था। उसके बाद से मेरा कोई खाता नहीं है। सब काम नकद में हो रहा है।
2013 के बाद से जो जमीन आप बेच रहे हैं] उसका पैसा कहां जाता है?
–सतेंद्र राठौर जब कहता मैं रजिस्ट्री कर देता हूं। पैसा राठौर ही लेता है साहू जी के लिए। मुझे हजार-पांच सौ रूपए दे देते हैं। पैसा भी वे लगाते थे मेरे नाम से अपना काम चलाते थे।
आपने रेखा आर्या जी को जो जमीन बेची है उसमें आपको खाते में या नकद पैसा दिया गया?
–नहीं, नहीं कुछ भी नहीं। कह रखा है एक हजार रूपये देंगे।
तो जो रजिस्ट्री में लिखा है(12 लाख बत्तीस हजार]) कुछ भी नहीं आप को दिया?
–नहीं, नहीं। मेरे खाते 2015 से बंद हैं।
आपसे 2013 में प्लॉट खरीदा और 2017 में सिरोही खुर्द में जमीन खरीदी। इसका कुछ भी पैसा नहीं दिया गया?
–नहीं मुझे कुछ नहीं दिया गया।
जो जमीनें आपसे खरीदते रहे हैं! उसका भुगतान कैसे करते थे?
–नकद कैश में होता था। अगर चैक देते थे तो किसी ओर के नाम से] सतेंद्र राठौर के नाम से देते थे। ऐसा हुआ मेरा एक्सिस बैंक में खाता था। उसमें ट्रांजेक्शन ज्यादा हो गया था तो साहू जी (गिरधारी लाल साहू) ने कहा कि इसे बंद करा दो ताकि कल के दिन दिक्कत ना हो। इसका कोई खाता ना खोलना। बाकी जो भी होगा आगे देख लेंगे।
जोशी जी अब आपकी इंकमटैक्स में जांच चल रही है तो आप कैसे बचेंगे?
–यही तो सर! मुझे तीन नंबर कोठी से बाहर नहीं जाने देते हैं। साहू जी ने मुझे तीन नंबर फार्म से बाहर नहीं जाने दिया। उन्होंने मना कर दिया कि तू कहीं मत जाना] कहीं कांग्रेस वाले तुझे ना पकड़ लें। जब मैं कहूुंगा] जहां भी भेजूंगा तभी जाना। ये मुझे बाहर नहीं जाने देते क्योंकि ये समझते हैं कि कहीं मेरी प्रोपर्टी ना खतरे में पड़ जाए।
जोशी जी! मोदी जी ऐसे मामलों में बेहद सख्त हैं। आप देख लो।
—वही तो। आप बताओ क्या करूं। ना तो सेलरी देते हैं। मेरा पैंतीस हजार फसा है। साहू जी यह भी कह रहे थे कि यदि गिरीश द्घर जाएगा तो हम अपने एक उत्तराखण्ड पुलिस वालो को साथ भेज देंगे। ताकि कोई कांग्रेस वाला इसे हाथ ना लगाए। एक सैकंड के लिए भी नहीं छोड़ते हैं।
अलग-अलग समय पर हुई दूरभाष वार्ता में गिरीश जोशी ने स्पष्ट किया है कि उसके नाम से सारा बेनामी कारोबार गिरधारी लाल साहू करता आया है। गिरीश जोशी ने यह भी बताया है कि उसे तीन नंबर कोठी( बृजानंद विहार, लालपुर) हल्द्वानी में रखा गया है जहां चौबीसों घंटा मंत्री रेखा आर्या को मिली सीआईएसएफ की सुरक्षा रहती है। गिरीश जोशी की जान को खतरा है और उसे तत्काल सरकारी सुरक्षा दी जानी चाहिए ताकि उत्तराखण्ड में बेनामी संपत्तियों के सबसे बड़े कारोबारी का पर्दाफाश हो सके और एक गरीब पहाड़ी गिरीश जोशी की जान बचाई जा सके।