एमडीडीए की भ्रष्ट कारगुजारियों का शिकार विकलांग हरकेश आहूजा व उसका परिवार
सूचना का अधिकार अधिनियम से हुआ अधिकारियों द्वारा किये गये फर्जीवाड़े का खुलासा
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के विकास के लिये बनाया गया मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण आज भ्रष्टाचार का अड्डा बनकर रह गया है। कुछ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यशैली इस विभाग की समस्त कार्यश्शैली पर पलीता लगाने का काम कर रही है। ये कथाकथित भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी रूपयों के लालच में क्या-क्या कर सकते हैं यानि किस हद तक भ्रष्टाचार कर सकते हैं उसका पता आपको इस रिपोर्ट को पढ़कर लगेगा।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचार का ताजा शिकार हुए विकलांग हरकेश आहूजा व उनका परिवार। हरकेश आहूजा देहरादून की 8/4 ओल्ड नेहरू कालोनी धर्मपुर, देहरादून क्षेत्र के रहने वाले हैं। हरकेश आहूजा के मकान की दीवार पर उनके पड़ोसी सुनील बहुगुणा ने अपना लिन्टर डालकर अपना मकान बना लिया हैं। इस विवाद को सुलझाने के लिये हरकेशा आहूजा ने एमडीडीए का दरवाजा खटखटाया। हरकेश आहूजा को उम्मीद थी कि एमडीडीए से उन्हे न्याय जरूर मिलेगा। एमडीडीए द्वारा जब पूरे मामले को लेकर आदेश आया तो हरकेश ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया। हरकेश आहूजा ने यह जानने के लिये कि आखिर किन तथ्यों और सबूतों के आधार पर एमडीडीए के अधिकारियों ने उनके पड़ोसी सुनील बहुगुणा का भवन का शमन मानचित्र जो मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की आख्या/टिप्पणी दिनांक 06-03-2017 के अनुसार पत्रांक 2025/16-17 दिनांक 16-01-2017 को अस्वीकृत कर दिया गया था को किन दस्तावेजो के आधार पर दिनांक 31-12-2019 को शमन कर दिया गया इसकी जानकारी आरटीआई का सहारा लेकर हरकेश आहूजा ने प्राप्त की तो आरटीआई के जरिये फैसले की जो प्रतियां हरकेश
आहूजा को मिली तो उन्हें देखकर हरकेश आहूजा को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ कि सुनील बहुगुणा को फायदा पहुंचाने के लिये एमडीडीए अधिकारियों-कर्मचारियों ने किस कदर फर्जीवाड़ा किया।
ऐसे रचा एमडीडीए के अधिकारियों-कर्मचारियों ने षडयंत्र
हरकेश आहूजा ने बताया कि उनकी शिकायत व एमडीडीए के नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के अधिकारियों/कर्मचारियों ने षडयन्त्र रचकर दो अलग-अलग व्यक्तियों के नाम की संपत्तियों जोकि अलग-अलग स्थानों पर स्थित है पर निम्न षडयन्त्र रच डाला-
एमडीडीए द्वारा पहले तो एक वाद सं0-0663/एस-4/2016 श्री सुनील बहुगुणा की सम्पत्ति सं0 155/11-बी धर्मपुर देहरादून का दायर किया और उक्त वाद में एमडीडीए द्वारा दिनांक 10-12-2018 को सुनील बहुगुणा की सम्पत्ति को दिनांक 14-12-2018 को सील करने के आदेश पारित कर दिये। उक्त सील आदेश 10-12-2018 पर माननीय न्यायालय अध्यक्ष/आयुक्त एमडीडीए महोदय द्वारा अपील संख्या 44/2018-19 सुनील बहुगुणा बनाम् एमडीडीए में स्टे दिनांक 08-01-2019 पारित करते हुये मात्र सुनील बहुगुणा के द्वितीयतल पर बने भवन को 15 दिन में शमन करने का जारी कर दिया गया।
इसी प्रकार एमडीडीए द्वारा एक वाद सं0-675/एस-3/2018 श्री राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा की सम्पत्ति सं0 3ए सरस्वती एन्क्लेव बद्रीपुर देहरादून का दायर किया और उक्त वाद में एमडीडीए द्वारा दिनांक 29-11-2018श्री राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा की सम्पत्ति को दिनांक 11-12-2018 को सील करने के आदेश पारित कर दिये। उक्त सील आदेश 29-11-2018 पर माननीय न्यायालय अध्यक्ष/आयुक्त एमडीडीए महोदय द्वारा अपील संख्या 26/2018-19 राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा बनाम् एमडीडीए में स्टे दिनांक 12-12-2018 पारित करते हुये श्री राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा के पूरे भवन को 15 दिन में शमन करने का जारी कर दिया गया।
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कुछ भी कर सकते हैं एमडीडीए के अधिकारी-कर्मचारी
अब यहां से एमडीडीए के भ्रष्ट कर्मचारियों/अधिकारियों का खेल शुरू हुआ। एमडीडीए के कर्मचारियों ने चूंकि सुनील बहुगुणा की सम्पत्ति को दिनांक 14-12-2018 को सील किया जाना था को सील की कार्यवाही से बचाने के लिये राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा को माननीय न्यायालय अध्यक्ष/आयुक्त के आदेश दिनांक 12-12-2018 को आधार बनाकर सील कार्यवाही अमल में नही ली तथा सुनील बहुगुणा का शमन मानचित्र सुनील बहुगुणा से दिनांक 23-12-12018 को आॅन लाईन जमा करवाकर मात्र एक सप्ताह में ही दिनांक 31-12-2018 को एक करोड़ के मकान मात्र एक लाख रूपये शमन शुल्क लेकर शमन कर दिया। परन्तु अब जब राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा ने अपने मामले में पारित आदेश दिनांक 12-12-2018 से अपना शमन मानचित्र एमडीडीए में प्रस्तुत किया तो एमडीडीए वालों ने राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा का शमन मानचित्र भी दिनांक 22-2-2019 को दो माह के अन्दर शमन कर दिया। जब माननीय आयुक्त/अध्यक्ष एमडीडीए जोकि एमडीडीए के अध्यक्ष व सबसे उच्च अधिकारी है के द्वारा मात्र आदेश 12-12-2018 राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा को दिया तो उस आदेश दिनांक 12-12-2018 से सुनील बहुगुणा की सम्पत्ति सीलमुक्त करते हुये शमन कैसे की जा सकती है और उसी आदेश से फिर राजेन्द्र प्रसाद बहुुगुणा की सम्पत्ति शमन कैसे की जा सकती हैं।
हरकेश ने आरोप लगाया कि एमडीडीए के कर्मचारी कुछ भी कर सकते है। वहां कुछ भी नामुकिन नही पैसा दो और कुछ भी करवा लो न्यायालयों के आदेशों की भी धज्जियां उड़वा लो या विकलांग परिवार, गरीब परिवारों व दबे कुचले परिवारों के मकान तुडवा दो या उन पर सुनील बहुगुणा जैसे धनाढ्य लोगों का कब्जा करवा दो परन्तु अपनी जेबें नोटों से पूरी तरह भरी रहनी चाहिये। इतना कुछ होने पर भी थक हार कर हरकेश आहूजा ने एमडीडीए सचिव से भी मुलाकात की लेकिन वहां से भी उन्हें कोई उचित आश्वासन नहीं मिला।
सूचना आयोग से न्याय मिलने की उम्मीद
हरकेश आहूजा का कहना है कि एमडीडीए की कार्यशैली से परेशान होकर ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया और अपने साथ हुए फर्जीबाड़े और भ्रष्टाचार की शिकायत की।
हरकेश को उम्मीद है कि उन्हे सूचना आयोग से न्याय जरूर मिलेगा। और भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध एमडीडीए को कड़ी से कड़ी विभागीय व दण्डात्मक कार्यवाही करने को बाध्य होना होगा। ताकि वह फिर किसी और के साथ ऐसा न कर सकें और माननीय न्यायालय अध्यक्ष/आयुक्त के आदेशों की धज्जियां व अवमानना न कर सके।